Gautam Adani US Bribe Case: गौतम अडानी समेत आठ लोगों के खिलाफ फ्रॉड, धोखाधड़ी और रिश्वतखोरी के आरोप लगने के बाद अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर में भारी गिरावट देखी गई. आइए जानते हैं सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन की तरफ से अडानी के अलावा जिन लोगों पर आरोप लगा वो कौन हैं और उन पर क्या-क्या आरोप लगे थे?
Trending Photos
Charges on Gautam Adani in Newyork: भारतीय अरबपति कारोबारी गौतम अडानी की हिंडनबर्ग के आरोपों के करीब दो साल बाद एक बार फिर से मुश्किलें बढ़ गई हैं. न्यूयॉर्क में अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस और यूएस सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) की तरफ से अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी और सात अन्य पर भारतीय सरकारी अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर से ज्यादा की रिश्वत देने, निवेशकों और बैंकों से अरबों डॉलर जुटाने के लिए झूठ बोलने और जांच में अडंगा डालने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है.
किन-किन पर लगा आरोप
गौतम अडानी के अलावा इस मामले में सात अन्य लोगों पर भी आरोप लगाए गए हैं. इनमें अडानी के भतीजे सागर अडानी (Sagar Adani) का भी नाम शामिल हैं. इसके अलावा वनीत एस जैन (Vneet S Jaain), रंजीत गुप्ता (Ranjit Gupta), रूपेश अग्रवाल (Rupesh Agarwal), सिरिल कैबनेस (Cyril Cabanes), सौरभ अग्रवाल (Saurabh Agarwal) और दीपक मल्होत्रा (Deepak Malhotra) पर भी आरोप हैं. इन सभी पर 24 अक्टूबर को आरोप लगाए गए थे. हालांकि इस बारे में 20 नवंबर की देर रात भारत में जानकारी सार्वजनिक हुई. आइए जानते हैं ये लोग कौन हैं और इन पर क्या आरोप लगे हैं?
गौतम अडानी, सागर अडानी और वनीत जैन
गौतम अडानी, अडानी ग्रुप के चेयरमैन और फाउंडर हैं. इसके अलावा वह अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के भी चेयरमैन हैं. अडानी ग्रीन एनर्जी वही कंपनी है, जिस पर ये सभी आरोप लगे हैं. सागर अडानी, गौतम अडानी के भतीजे हैं और वह अडानी ग्रीन के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं. वनीत जैन अडानी ग्रीन के एमडी हैं और वह अडानी ग्रुप के साथ पिछले 15 साल से भी ज्यादा समय से जुड़े हुए हैं.
क्या हैं आरोप?
गौतम अडानी, सागर अडानी और वनीत जैन पर आरोप है कि इन लोगों ने कथित तौर पर 'भारत सरकार के अधिकारियों को रिश्वत दी ताकि उन्हें अपने बिजनेस के लिए अच्छा कॉन्ट्रैक्ट मिल सके. एफबीआई अधिकारी जेम्स ई डेनहे के हवाले से प्रेस नोट में कहा गया कि उन पर आरोप है कि निवेशकों को धोखा दिया और झूठे बयान देकर पूंजी जुटाई... इसके अलावा जांच में अड़ंगा अटकाकर रिश्वतखेरी की साजिश को छिपाने की कोशिश की.' इसमें कहा गया कि कई मौकों पर, गौतम अडानी पर्सनली एक भारतीय सरकारी अधिकारी से मिले ताकि रिश्वतखोरी के प्लान को आगे बढ़ाया जा सके.
गौतम अडानी, सागर अडानी और जैन ने कथित तौर पर 'इंडियन एनर्जी कंपनी (अडानी ग्रीन) की रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार विरोधी प्रथाओं का गलत प्रतिनिधित्व किया और अमेरिकी निवेशकों और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से फंड जुटाने के लिए रिश्वतखोरी को छिपाया. इसमें रिश्वत के जरिये हासिल किया गया सोलर एनर्जी कॉन्ट्रैक्ट को पैसा देने के लिए भी शामिल है. इन पर आरोप है कि इन लोगों ने अडानी ग्रीन और उसकी कुछ अन्य कंपनियों को झूठ बोलकर बहुत सारा पैसा जुटाने के लिए कहा. उन्होंने लोगों को गलत जानकारी दी ताकि उन्हें विश्वास हो जाए और वे इन कंपनियों को पैसा दें. यह पैसा अरबों डॉलर का था और इसे विदेशी बैंकों और निवेशकों से लिया गया था. आरोपपत्र के अनुसार, सागर अडानी ने अपने सेलफोन का यूज 'सरकारी अधिकारियों को दी जाने वाली रिश्वत की विशिष्ट जानकारी को ट्रैक करने' के लिए किया.
रंजीत गुप्ता और रुपेश अग्रवाल (Ranjit Gupta and Rupesh Agarwal)
रंजीत गुप्ता 2019 से 2022 तक एज्योर पावर ग्लोबल लिमिटेड (Azure Power Global Ltd) के सीईओ रहे. एज्योर को यूनाइटेड स्टेट्स सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) की तरफ से दायर एक अलग शिकायत में उस कंपनी के रूप में नामित किया गया है जिसने 'उस रिश्वत का एक हिस्सा देने के लिए सहमति दी और प्रतिवादी पर्सनली एज्योर से पेमेंट लेने में भी शामिल थे'. SEC की शिकायत के अनुसार, कंपनी को नवंबर 2023 में डीलिस्ट कर दिया गया था. इसके अलावा रुपेश अग्रवाल ने भी एज्योर पावर में 2022 से 2023 के बीच काम किया है.
क्या हैं आरोप?
अमेरिकी अटॉर्नी ऑफिस के अनुसार रूपेश अग्रवाल ने 'पावर प्वाइंट और एक्सेल का यूज करके कई विश्लेषण तैयार किए और डिस्ट्रीब्यूट किए. वह रिश्वत के पैसे देने और छिपाने के अलग-अलग विकल्पों का समराइज करते थे.' प्रेस नोट के अनुसार, उन्होंने कैबनेस, अग्रवाल और मल्होत्रा के साथ मिलकर 'रिश्वतखोरी प्लान की जांच में ग्रैंड जूरी, एफबीआई और एसईसी के लिए अड़ंगा डालने की साजिश रची'.
सिरिल कैबनेस, सौरभ अग्रवाल और दीपक मल्होत्रा (Cyril Cabanes, Saurabh Agarwal and Deepak Malhotra)
सिरिल कैबनेस पर ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस की नागरिकता है. भारतीय नागरिक सौरभ अग्रवाल और दीपक मल्होत्रा कनाडाई पेंशन फंड सीडीपीक्यू के लिए काम करते थे. सीडीपीक्यू के पास एज्योर में बहुत बड़ा हिस्सा था.
इन तीनों पर लगे ये आरोप
प्रेस नोट के अनुसार कैबनेस, अग्रवाल और मल्होत्रा पर 'रिश्वतखोरी पलन के बारे में विदेशी भ्रष्टाचार प्रथा अधिनियम का उल्लंघन करने की साजिश' रचने का आरोप लगाया गया है. कनाडाई इनवेस्टर के तीन पूर्व अधिकारियों और रूपेश अग्रवाल पर जांच में अडंगा डालने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है.