अगर आप भी घर खरीदने या घर बनाने की प्लानिंग कर रहे हैं तो यह खबर आपको जरूर राहत देगी. सूत्रों के अनुसार घर खरीदना और बनाना दोनों ही जल्द सस्ता हो सकता है.
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नई दिल्ली : अगर आप भी घर खरीदने या घर बनाने की प्लानिंग कर रहे हैं तो यह खबर आपको जरूर राहत देगी. सूत्रों के अनुसार घर खरीदना और बनाना दोनों ही जल्द सस्ता हो सकता है. दरअसल जीएसटी काउंसिल की 10 जनवरी को होने वाली अहम बैठक में होम बायर्स और रियल एस्टेट सेक्टर को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है. सरकार की तरफ से अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी पर जीएसटी स्लैब को 12 फीसदी से घटाकर 5 प्रतिशत किया जा सकता है. हालांकि, डेवलपर्स को इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा नहीं मिलेगा. अगर ऐसा होता है तो घर खरीदने वालों को बड़ी राहत मिल सकती है. दूसरी तरफ सीमेंट के दाम पर GST घटाने के विचार को इस बैठक में भी टाला जा सकता है.
सीमेंट पर अभी नहीं घटेगा GST
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने हाल ही में इशारा दिया था कि जल्द ही सीमेंट को भी 28% के स्लैब से निकालकर 18% के टैक्स स्लैब में लाया जाएगा. वित्त मंत्री ने कहा था कि कंज्यूमर के लिहाज से 28% स्लैब लगभग खत्म होने के कगार पर है. लेकिन, सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इस बैठक में भी सीमेंट पर GST घटाने का प्रस्ताव नहीं है.
और क्या है बैठक का एजेंडा
जीएसटी काउंसिल की 10 जनवरी की बैठक में सर्विस सेक्टर, MSME को भी बड़ी राहत मिल सकती है. काउंसिल छोटे कारोबारियों के लिए जीएसटी थेसहोल्ड की लिमिट 20 लाख रुपए से बढ़ाकर 50 लाख रुपए करने की तैयारी कर रही है. छोटे ट्रेडर्स और मैन्युफैक्चर्स के लिए कंपोजिशन स्कीम का दायरा भी बढ़ाने की तैयारी है. इसे 1.50 करोड़ तक बढ़ाने पर मुहर लग सकती है.
सर्विस सेक्टर को भी राहत
सर्विस सेक्टर को भी कंपोजिशन स्कीम का फायदा देने की तैयारी की जा रही है. 50 लाख रुपए तक के टर्नओवर वाले सर्विस प्रोवाइडर को कंपोजिशन स्कीम का फायदा मिल सकता है. वहीं, स्मॉल सर्विस प्रोवाइडर के लिए 5 पर्सेंट फ्लैट जीएसटी लागू करने के प्रस्ताव पर भी मुहर लग सकती है. हालांकि, उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा नहीं मिलेगा.
रिटर्न फाइल करने में भी छूट संभव
छोटे कारोबारियों को रिटर्न फाइल करने के मामले में भी बड़ी छूट मिलने के आसार हैं. दरअसल, जीएसटी काउंसिल अब तिमाही के बजाए वार्षिक रिटर्न फाइल करने की मंजूरी दे सकती है. हालांकि, कारोबारियों को टैक्स तिमाही आधार पर ही भरना होगा. ई-वे बिल के फर्जीवाड़े को रोकने के लिए RFID तकनीक का इस्तेमाल करने पर भी सहमति बनाई जा सकती है. RFID डाटा को ई-वे बिल सर्वर के साथ शेयर करने पर चर्चा हो सकती है.