HRA: एचआरए यानी हाउस रेंट अलाउंस लगभग सभी कर्मचारियों को मिलता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक इसमें कुछ लोग फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल करते हैं. मतलब कर्मचारियों द्वारा रेंट ना देकर भी एचआरए क्लेम किया जा रहा है.
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HRA: एचआरए यानी हाउस रेंट अलाउंस लगभग सभी कर्मचारियों को मिलता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक इसमें कुछ लोग फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल करते हैं. मतलब कर्मचारियों द्वारा रेंट ना देकर भी एचआरए क्लेम किया जा रहा है. इन रिपोर्ट्स पर सीबीडीटी के ऐक्शन का दावा किया जा रहा था. अब सीबीडीटी ने स्पष्टटीकरण जारी कर कहा है कि इन रिपोर्ट्स में कोई सच्चाई नहीं है.
क्या कहा सीबीडीटी ने?
सीबीडीटी ने एचआरए दावों से जुड़े मामलों को फिर से खोलने के लिए विशेष अभियान का दावा करने वाली मीडिया रिपोर्टों पर स्पष्टीकरण जारी किया है. सीबीडीटी ने कहा कि ऐसे मामलों को फिर से खोलने के लिए कोई विशेष अभियान नहीं चलाया जा रहा है. मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि सीबीडीटी अभियान चलाकर बड़े पैमाने पर ऐसे मामलों को खोलने जा रही है. सीबीडीटी ने कहा कि ऐसा दावा पूरी तरह से गलत है.
CBDT clarifies that apprehensions about retrospective taxation on re-opening of cases on issues pertaining to HRA claims are completely baseless.
CBDT has reiterated that there is no special drive to re-open such cases, and media reports alleging large-scale re-opening by the… pic.twitter.com/5AfOtHeK9g
— Income Tax India (@IncomeTaxIndia) April 8, 2024
सिर्फ लोगों को सचेत करने की कोशिश
सबीडीटी ने कहा कि एचआरए से जुड़ी करदाता द्वारा दायर की गई और आयकर विभाग के पास मौजूद जानकारी के बेमेल होने के कुछ मामलों के डेटा विभाग के ध्यान में आए हैं. ऐसे मामलों में विभाग ने करदाताओं को सचेत किया है ताकि वे सुधारात्मक कार्रवाई कर सकें.
सबीडीटी ने दावों को बताया निराधार
पीआईबी के पोस्ट में सबीडीटी के हवाले से इन रिपोर्ट्स को निराधार बताया गया है. इसमें कहा गया है कि वित्त वर्ष 2020-21 के लिए कर्मचारी द्वारा भुगतान किए गए किराए और प्राप्तकर्ता द्वारा किराए की प्राप्ति के बीच बेमेल के कुछ उच्च मूल्य वाले मामलों में डेटा विश्लेषण किया गया था. ई-सत्यापन का उद्देश्य दूसरों को प्रभावित किए बिना केवल वित्त वर्ष 2020-21 के लिए जानकारी के बेमेल होने के मामलों को सचेत करना था.
कोई विशेष अभियान नहीं
पीआईबी की पोस्ट में कहा गया है कि ऐसे मामलों को फिर से खोलने के लिए कोई विशेष अभियान नहीं है. मीडिया रिपोर्ट्स में विभाग द्वारा बड़े पैमाने पर मामले फिर से खोले जाने की बातें पूरी तरह से गलत हैं.