Indian Oil Companies: रूस से भारत की कच्चे तेल की खरीद जनवरी में लगातार चौथे महीने पश्चिम एशिया के परंपरागत आपूर्तिकर्ताओं से अधिक रही है. रिफाइनरी कंपनियां लगातार छूट पर उपलब्ध रूसी कच्चे तेल की खरीद कर रही हैं.
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Russia Ukraine War: रूस ने जब से यूक्रेन पर हमला किया है अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिम ने उस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं. रूस का तेल निर्यात रोकने के लिए भी पश्चिमी देशों ने कई पाबंदियां लगाई हैं. हालांकि भारत ने रूस से तेल खरीदना जारी रखा.
भारतीय कंपनियों ने रूस से तेल खरीदने के लिए अब एक नया तरीका खोज निकाला है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रिलायंस इंडस्ट्रीज, बीपीसीएल और नायरा एनर्जी रूसी तेल खरीदने के लिए यूएएई की करेंसी दिरहम का इस्तेमाल कर रही हैं. ऐसा ये कंपनियां पश्चिमी प्रतिबंधों से बचने के लिए कर रही हैं.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक मामले की प्रत्यक्ष जानकारी रखने वाले लोगों के अनुसार, खरीदारों ने कुछ लेनदेन को इस मुद्रा में स्थानांतरित कर दिया है. विशिष्ट व्यापारियों की मांगों के आधार पर भुगतान कार्गो से कार्गो में भिन्न होता है. हालांकि, रिलायंस, बीपीसीएल और नायरा ने इस पर तक्काल कोई टिप्पणी नहीं की है.
संयुक्त अरब अमीरात दिरहम को भारतीय खरीदारों और रूसी विक्रेताओं दोनों को अपेक्षाकृत अनुमानित मुद्रा (डॉलर के लिए आंकी गई) - ग्रीनबैक की संभावित प्रतिबंधों की जटिलताओं के बिना प्रदान करता है, यहां तक कि उन सौदों पर भी जो अमेरिका और यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों का सीधे उल्लंघन नहीं करते हैं. भारत यूएई का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. अधिकारी दिरहम और रुपये में व्यापार को बढ़ावा देने के लिए एक तंत्र पर काम कर रहे हैं.
अधिकांस सौदे अब भी डॉलर में
अधिकांश तेल सौदे अभी भी डॉलर में किए जा रहे हैं. भारत के तेल मंत्री ने कहा कि वह तेल खरीद में दिरहम के इस्तेमाल से अनजान थे.
हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को बेंगलुरु में एक इंटरव्यू में कहा, ‘यदि आप मुझसे आधिकारिक तौर पर पूछ रहे हैं कि क्या मैं इन भुगतान चैनलों के बारे में जानता हूं, नहीं, मैं नहीं हूं.’ अधिकारी इस मुद्दे पर अन्य देशों के साथ चर्चा करने के लिए तैयार हैं, उन्होंने कहा. ‘अगर जरूरत पड़ी तो हमें बात करनी होगी.’
जनवरी में रिकॉर्ड लेवल पर पहुंचा रूस से तेल का आयात
पीटीआई भाषा के मुताबिक रूस से भारत की कच्चे तेल की खरीद जनवरी में लगातार चौथे महीने पश्चिम एशिया के परंपरागत आपूर्तिकर्ताओं से अधिक रही है. रिफाइनरी कंपनियां लगातार छूट पर उपलब्ध रूसी कच्चे तेल की खरीद कर रही हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से पहले भारत के आयात में रूसी तेल की हिस्सेदारी एक प्रतिशत से भी कम थी.
ऊर्जा खेप पर निगरानी रखने वाली वॉर्टेक्सा के अनुसार, जनवरी में रूस से भारत का कच्चे तेल का आयात बढ़कर 12.7 लाख बैरल प्रतिदिन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया. इस तरह भारत के आयात में रूसी कच्चे तेल का हिस्सा बढ़कर 28 प्रतिशत हो गया है. चीन और अमेरिका के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का आयातक है.
यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद पश्चिम के प्रतिबंधों के बाद रूसी तेल रियायती कीमत पर उपलब्ध है. रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले भारत के आयात में रूसी कच्चे तेल का हिस्सा केवल 0.2 प्रतिशत था. जनवरी, 2023 में यह बढ़कर 28 प्रतिशत हो गया है.
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