सीनियर सिटीजन को रेल किराये में मिलेगी छूट? रेल मंत्री ने कही ये बड़ी बात
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सीनियर सिटीजन को रेल किराये में मिलेगी छूट? रेल मंत्री ने कही ये बड़ी बात

रेल मंत्री (Minister of Railways) अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnav) ने संसद (Parliament) में  सीनियर सिटीजन को मिलने वाली रेल किराये (Train Ticket) में छूट या रियायतों (Concession) को लेकर जानकारी दी है. 

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नई दिल्ली: Indian Railways News: वरिष्ठ नागरिकों (Senior Citizens) को रेल यात्रा में बरसों से छूट मिल रही थी. लेकिन कोरोना संक्रमण के बाद हुए लॉकडाउन का हवाला देते हुए रेलवे (Ministry of Railways) ने यह छूट वापस ले ली. अब रेल मंत्री (Railway Minister) ने किराये में छूट (Railway Concession) की जानकारी दी है. 

  1. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी जानकारी 
  2. कोरोना काल में रियायतें ली गई थीं वापस
  3. सीनियर सिटीजन को कब मिलेगा कंशेसन?

वरिष्ठ नागरिकों को मिलेगी किराये में छूट?

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि टिकट किराये में कुछ श्रेणियों के लोगों को दी जाने वाली छूट या रियायतों को बहाल करने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है. रेल मंत्री ने बताया कि कोविड के मद्देनजर सभी श्रेणियों के यात्रियों के लिए दी जाने वाली रियायत वापस ले ली गई है. अभी इसे बहाल करने पर कोई विचार नहीं किया गया है.

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कोरोना काल में छूट ली गई वापस

कोरोना महामारी के चलते देश भर में लॉकडाउन लगाया गया था. इससे ठीक पहले, 20 मार्च, 2020 से अगले आदेश तक के लिए रेल किराये में दी जाने वाली छूट वापस ले ली गई थी. हालांकि दिव्यांगजनों की चार श्रेणियों, रोगियों और छात्रों की 11 श्रेणियों को अभी भी छूट मिल रही है.

सीनियर सिटीजन को कितनी मिलती थी छूट?

गौरतलब है कि इंडियन रेलवे के सभी ट्रेनों में सीनियर सिटीजन को कोरोना के पहले टिकटों पर 50 फीसदी तक की रियायत मिलती थी. आपको बता दें कि 60 से अधिक उम्र के पुरुष और 58 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को रेलवे में सीनियर सिटीजन की केटेगरी में रखा जाता है. कोरोना काल से पहले तक राजधानी, शताब्दी, दूरंतो समेत सभी मेल एक्सप्रेस ट्रेनों में पुरुषों को बेस फेयर में 40 फीसदी और महिलाओं को बेस फेयर में 50 फीसदी की छूट दी जाती थी. 

घाटे में भारतीय रेल

रेल मंत्री के अनुसार, वित्त वर्ष 2019-20 में किरायों में छूट से होने वाला नुकसान 2,059 करोड़ रुपये था और कोरोना महामारी के दौरान कई तरह की छूट निलंबित किए जाने से पिछले वित्त वर्ष में नुकसान घटकर 38 करोड़ रुपये तक पहुंच गया.

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