Goldman Sachs Report 2024: गोल्डमैन सैक्स ने केंद्र सरकार द्वारा खर्च में कमी का हवाला देते हुए भारत के सकल घरेलू उत्पाद के पूर्वानुमान को 20 आधार अंक कम कर दिया है. इसके अलावा रेटिंग फर्म ICRA ने भी अनुमान लगाया है कि भारत की जीडीपी वृद्धि दर में कमी आएगी.
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Goldman Sachs Report: अमेरिका की मल्टीनेशनल इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैक्स ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि के अनुमान में कटौती की है. गोल्डमैन सैक्स ने केंद्र सरकार द्वारा खर्च में कमी का हवाला देते हुए भारत के सकल घरेलू उत्पाद के पूर्वानुमान को 20 आधार अंक कम कर दिया है.
इससे पहले महीने की शुरुआतमें आरबीआई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया था.
2025 में 6.4 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी
गोल्डमैन सैक्स ने अब अनुमान लगाया है कि भारत की अर्थव्यवस्था 2024 में 6.7 प्रतिशत और 2025 में 6.4 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी. जीडीपी में कटौती की वजह अप्रैल-जून तिमाही के दौरान देश में हुए चुनाव के दौरान सरकारी खर्च में 35 प्रतिशत साल-दर-साल (YoY) कटौती है.
जून में लोकसभा चुनाव 2024 के बाद पहली एमपीसी घोषणाओं में केंद्रीय बैंक ने 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी 7.2 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया था.
RBI का क्या है अनुमान?
आरबीआई ने 2024-25 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी 7.1 प्रतिशत, दूसरी तिमाही के लिए 7.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही के लिए 7.3 प्रतिशत और चौथी तिमाही के लिए 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है. यह इस वर्ष के लिए लगातार चार तिमाहियों के लिए 7.3 प्रतिशत, 7.2 प्रतिशत, 7.3 प्रतिशत और 7.2 प्रतिशत के पिछले अनुमानों से थोड़ा अलग है.
इसी बीच, रेटिंग फर्म ICRA ने भी अनुमान लगाया है कि सरकारी पूंजी खर्च में कमी और शहरी उपभोक्ता विश्वास में गिरावट की वजह से देश की जीडीपी का सालाना विस्तार वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही (Q1) में छह तिमाही के निचले स्तर 6.0 प्रतिशत तक गिर जाएगा, जो कि Q4 FY2024 में 7.8 प्रतिशत था.
केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने खर्च में की कटौती
हालांकि, ICRA का अनुमान आरबीआई के जीडीपी अनुमान से काफी कम है. आरबीआई ने 2024-25 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।. ICRA का कहना है कि वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में लोकसभा चुनाव के दौरान कुछ क्षेत्रों में गतिविधि में अस्थायी सुस्ती देखी गई और केंद्र और राज्य सरकार दोनों के लिए सरकारी खर्च में कमी देखी गई.