How India become third largest economy: आईएमएफ के अनुमान के मुताबिक साल 2026 में भारत जापान को और साल 2027 में जर्मनी को पछाड़ कर विश्व की तीसरी सबसे बड़ी इकॉनमी बन जाएगा, लेकिन जापान और जर्मनी की जो हालात दिख रही है, उससे लग रहा है कि भारत की ये ख्वाहिश जल्द ही पूरी हो जाएगी.
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World Largest Economy: दुनिया के बड़े देशों की इकोनॉमी जहां भंवर में फंसी है तो वहीं भारत तेजी से उभर रहा है. चाहे अमेरिका हो या चीन, जापान हो या ब्रिटेन...बड़े देशों की आर्थिक सेहत बिगड़ रही है. अमेरिका जहां भारी भरकम कर्ज के बोझ तले दबा है तो वहीं चीन का रियल एस्टेट संकट उसकी अर्थव्यवस्था को निगलने लगा है. हाल ही में दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाएं ब्रिटेन और जापान मंदी के चक्रव्यूह में फंस गई हैं. लगातार दो तिमाहियों में जीडीपी ग्रोथ निगेटिव है, जिसके चलते ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ गई है. जबकि जापान की हालात तो और भी खराब है. आईएमएफ के अनुमान के मुताबिक साल 2026 में भारत जापान को और साल 2027 में जर्मनी को पछाड़ कर विश्व की तीसरी सबसे बड़ी इकॉनमी बन जाएगा, लेकिन जापान और जर्मनी की जो हालात दिख रही है, उससे लग रहा है कि भारत की ये ख्वाहिश जल्द ही पूरी हो जाएगी.
ब्रिटेन मंदी की चपेट में
ब्रिटेन के वित्त मंत्री जेरेमी हंट ने खुद इस बात को स्वीकार किया कि देश की इकोनॉमी सिकुड़ रही है. ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स (ONS) के मुताबिक दिसंबर तक देश के जीडीपी में 0.3 प्रतिशत की गिरावट आई है. इससे पहले जुलाई-सितंबर के बीच यह 0.1 फीसदी लुढ़ता. लगातार जीडीपी ग्रोथ निगेटव रहने से देश मंदी के मुहाने पर खड़ा हो गया है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं. ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था करीब दो साल से स्थिर बनी हुई है.
जापान के हाथ से फिसला टॉप 3 इकोनॉमी का ताज
जापान जो विश्व की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी हुआ करता था, उसके हाथ से ये ताज निकल गया है. पिछले साल जापान की इकॉनमी 1.9 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी. जापान की इकॉनमी 4.2 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गई. डॉलर के मुकाबले जापानी करेंसी येन की कीमत में गिरावट ने वहां की अर्थव्यवस्था को कमजोर किया है. वहीं देश की बढ़ती उम्र, घटती आबादी ऐसे फैक्टर हैं, जिसने जापान की इकोनॉमी पर चोट का काम किया. जापान की इकोनॉमी दुनिया में तीसरे नंबर से खिसककर चौथे नंबर पर पहुंच गई है. 4.7 ट्रिलियन डॉलर के साथ जर्मनी अब दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी है.
जर्मनी के ग्रोथ में ठहराव
जापान की अर्थव्यवस्था के सिकुड़ने से जर्मनी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन तो गया, लेकिन उसके सामने कई चुनौतियां है. जर्मनी की अर्थव्यवस्था 4.73 ट्रिलियन डॉलर के साथ तीसरे नंबर पर है. वहीं भारत की अर्थव्यवस्था का साइज 4.11 ट्रिलियन डॉलर है. आर्थिक हालातों में बदलाव के चलते जर्मनी चुनौतियों से जूझ रहा है. वहीं भारत के लिए अनुकुल माहौल बन रहा है. जर्मनी की अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों से जूझ रही है. जर्मनी में उपभोक्ता मांग निचले स्तर पर है, मांग बेहद कम है, मैन्युफैक्चरिंग और रियल एस्टेट पर सुस्ती की मार पड़ रही है. खराब रिसोर्स, बूढ़ी होती आबादी और आयात पर निर्भर अर्थव्यवस्था होने के चलते जर्मनी की चुनौतियां बढ़ रही है. यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण जर्मनी को हाई प्राइस फ्यूल की चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है. स्किल बेस्ड लेबर की कमी के चलते जर्मनी का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर प्रभावित हो रहा है. हालात ऐसे हैं कि यूरोप की सबसे बड़ी इकॉनमी में महंगाई चरम पर है.जर्मनी में एनर्जी की कीमत आसमान छू रही है . वहां ग्रोथ में ठहराव आ गया है. प्राकृतिक संसाधन घट रहे हैं.
भारत की अर्थव्यवस्था का हाल
जापान और जर्मनी की आर्थिक हालात जैसी दिख रही है, उससे लग रहा है कि भारत जल्द ही विश्व की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी में शामिल हो जाएगा.भारत की आर्थिक सेहत को देखें तो यहां माहौल अनुकुल बना हुआ है. देश की इकोनॉमी भाग रही है. वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था ने 7.8 फीसदी की दर से वृद्धि की. जीडीपी ग्रोथ पूर्वानुमानों से बेहतर हैं. विश्व बैंक, फिच, एडीबी जैसी रेटिंग एजेंसियों ने भारत के ग्रोथ रेट के अनुमान को बढ़ा दिया है. वित्त वर्ष 2023-24 के में भारत का जीडीपी ग्रोथ 7.3 फीसदी रही, जो वित्त वर्ष 2022-23 में 7.2 प्रतिशत रहा था. देश की यंग पॉपुलेश उसकी सबसे बड़ी ताकत है, देश की दो-तिहाई से अधिक आबादी वर्किंग एज में है, जो देश में ज्यादा गुड्स के उत्पादन का सबसे बड़ा हथियार है. जहां चीन, जापान, जर्मनी जैसे देशों की जनसंख्या बूढ़ी हो रही है, भारत यंग है, जिससे उसे डेमोग्राफिक डिविडेंड का भी फायदा मिलेगा. इसके अलावा नए अविष्कार, विदेशी कंपनियों का आकर्षण, बढ़ता निवेश भारत की इकॉनमी को ताकत दे रही है. मजबूत घरेलू मांग, विदेशी निवेश में बढ़ोतरी और निवेश के लिए सकारात्मक माहौल भारत की अर्थव्यवस्था को बल दे रहे हैं. जहां दुनिया में मंदी, महंगाई और युद्ध में फंसी हुई है, भारत अगले पांच सालों में विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है. माना जा रहा है कि अपनी युवा जनसंख्या, बढ़ते मिडिल क्लास, बढते घरेलू मांग, डिजिटल अर्थव्यवस्था का बढ़ता दायरा, विदेशी निवेश और अनुकूल सरकारी नीतियां उसके वो इसे जल्द पूरा कर लेगा.