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नई दिल्ली : वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) परिषद की बैठक शनिवार को बेनतीजा रही। जीएसटी के तहत विभिन्न कारोबारी इकाइयों पर नियंत्रण को लेकर केन्द्र और राज्यों के बीच सहमति नहीं बन सकी। एक माह में तीसरी बार परिषद की बैठक हुई है। करदाता इकाइयों पर नियंत्रण के मुद्दे पर केन्द्र और राज्यों के बीच सहमति नहीं बन पाने से जीएसटी से जुड़े अन्य विधेयकों को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद की अगली बैठक अब 11-12 दिसंबर को होगी। इस बैठक में केन्द्रीय जीएसटी और राज्य जीएसटी विधेयकों के प्रारूप पर सहमति बनाई जायेगी। बैठक में जीएसटी के तहत किन करदाता इकाइयों पर केन्द्र का नियंत्रण होगा और कौन राज्य सरकारों के नियंत्रण में रहेगा इस मुद्दे को सुलझाया जायेगा। इन दोनों विधेयकों के अलावा जीएसटी के तहत राज्यों को दिये जाने वाले मुआवजे के ब्यौरे संबंधी एक विधेयक पर भी परिषद की सहमति बनानी होगी। जीएसटी लागू होने के पहले पांच साल की अवधि में राज्यों को राजस्व में यदि कोई नुकसान होता है तो केन्द्र उसकी भरपाई करेगा। इस संबंध में सभी नियम आदि मुआवजा विधेयक में होंगे।
जेटली से जब यह पूछा गया कि क्या जीएसटी परिषद महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति बनाने में कामयाब होगी तो जवाब में उन्होंने कहा, ‘क्या हम समाधान के करीब हैं? इस पर मैं यही कहूंगा कि उम्मीद तो है लेकिन फिलहाल मैं कुछ नहीं कह सकता। जहां तक कानूनों की बात है, 11-12 दिसंबर की अगली बैठक को लेकर मुझे कुछ सकारात्मक बातें दिख रहीं हैं। लेकिन विभिन्न इकाइयों पर नियंत्रण के अहम् मुद्दे को लेकर 2-3 सुझाव आये हैं।’ वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी की नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को 16 सितंबर 2017 से पहले लागू करने की संवैधानिक बाध्यता है। जीएसटी परिषद की बैठक का ब्यौरा देते हुये जेटली ने कहा कि दो दिन चली बैठक में केन्द्रीय जीएसटी और एकीकृत जीएसटी कानूनों के प्रारूप पर विचार विमर्श किया गया।
उन्होंने कहा, ‘हम तैयार कानूनों के प्रारूप में एक-एक धारा पर विचार कर रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं। इन कानूनों पर हम सहमति की तरफ बढ़ रहे हैं। दो अन्य कानून भी हैं- क्षतिपूर्ति और एकीकृत जीएसटी कानून जिनपर हम अगली बैठक में चर्चा करेंगे। दोहरे नियंत्रण से जुड़ी एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) फिलहाल कोई सहमति नहीं बनीं, इस पर हम अगली बैठक में चर्चा करेंगे।’
बैठक के बाद संवाददाताओं से बात करते हुये केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने कहा, ‘कोई सहमति नहीं बनी। दोहरे नियंत्रण के मुद्दे पर हम किसी सहमति पर नहीं पहुंच पाये। बहरहाल, जीएसटी कानून पर आगे की कारवाई पूरी नहीं हो पाई।’
पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने कहा, ‘हम अपनी बात पर कायम हैं कि आप दोहरा नियंत्रण नहीं रख सकते हैं। डेढ करोड़ रुपये से कम के कारोबार पर गरीबों के फायदे के लिये इस पर राज्यों का एकल नियंत्रण होना चाहिये। हम इस पर नहीं झुकेंगे।’ उन्होंने कहा कि दूसरा मुद्दाप कानूनों के बारे में जिन्हें तैयार किया जाना है। सभी पार्टियां मुद्दों पर बातचीत के लिये पूरी तैयारी के साथ आई और उन्होंने चर्चा की है जो कि अभी पूरी नहीं हुई।
जेटली ने बातचीत का ब्यौरा देते हुए कहा- तीन प्रस्ताव हैं, ‘एक कि आप समानांतर स्तर पर बंटवारा करें, दूसरा बढ़ते क्रम के हिसाब से बंटवारा हो और तीसरा सुझाव है कि हाईब्रिड यानी मिश्रित मॉडल को अपनायें। इसमें जो आंतरिक अर्थ है कि दोहरा नियंत्रण रह सकता है लेकिन मौजूदा दो तरह के अधिकारी अलग अलग हैं। हम अभी भी इस स्तर पर नहीं पहुंचे हैं जहां हम संघीय नौकरशाही के रूप में काम कर सकें जो कि जीएसटी की व्यवस्था को देखेगी।’
उन्होंने कहा, ‘इस तरह ये दोनों अलग अलग नौकरशाही जो हमारे पास है वह कराधान मामलों में एक बेहतर मानव संसाधन है इसलिये हम इस मानव संसाधन का कैसे बेहतर इस्तेमाल कर सकते हैं, मैं चाहता हूं कि सभी मुद्दों का समाधान हो।’ जेटली ने कहा कि सभी मुद्दों का समाधान किये बिना क्रियान्वयन नहीं हो सकता। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी दोहरे नियंत्रण को लेकर चिंता जताई और कहा कि इस मुद्दे पर केन्द्र की तरफ से पूरा ध्यान नहीं दिया जा रहा है।