लोन मोराटोरियम को लेकर सरकार ने 2 करोड़ रुपये के लोन पर चक्रवृद्धि ब्याज नहीं वसूलने का ऐलान किया, लेकिन कोर्ट इस बात से नाराज है कि इसे लागू क्यों नहीं किया गया, न ही कोई सर्कुलर जारी किया गया है. बुधवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र से कहा है कि आप लोगों की तकलीफ को समझिए, उनकी दिवाली अब आपको हाथ में है.
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नई दिल्ली: लोन मोराटोरियम को लेकर सरकार के रवैये पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से सख्त लहजे में पूछा है कि आपने पहले ही 2 करोड़ रुपए तक के लोन लेने वालों को फायदा देना का ऐलान किया है. लेकिन, इसके अमल में लाने की क्या योजना है. सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि सरकार को फैसला लेने में एक महीने का वक्त नहीं लग सकता. कोर्ट ने मामले की सुनवाई 2 नवंबर तक के लिए टाल दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि सरकार किसी सही फैसले के साथ ही कोर्ट में आएगी. कोर्ट ने कहा कि सरकार लोगों का दर्द समझिए, अब लोगों की दिवाली आपके हाथ में है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार ने कोर्ट को 2 करोड़ रुपए तक के लोन पर चक्रवृद्धि ब्याज माफ करने की बात कही थी. लेकिन अब तक इसकी प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है.
बेंच के अध्यक्ष जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि सरकार ने एक फैसला लिया. उसे लागू करने में इतनी देर समझ से परे है. कोर्ट में जवाब दाखिल कर फैसला बताया गया. लेकिन उसे लागू करने का सर्कुलर जारी नहीं किया गया.
इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम इसे जल्द ही शुरू करेंगे. तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि 15 नवंबर तक प्रक्रिया पूरी की जाएगी. इस पर कोर्ट ने कहा कि आपको ये करने में एक महीने का वक्त क्यों लगेगा. तुषार मेहता ने कहा कि जब सुनवाई शुरू होती है कुछ नया मामला आ जाता है. हम इन सब बातों का जवाब तुरंत नहीं दे सकते, इसमें वक्त लगता है.
सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन बैंक एसोसिएशन की ओर से पैरवी कर रहे वकील हरीश साल्वे से कहा कि क्या आप 2 करोड़ रुपये के लोन पर चक्रवृद्धि ब्याज माफी पर कुछ कर रहे हैं. इस पर वकील हरीश साल्वे ने कहा कि जो भी सरकार कह रही है, वो हम कर रहे हैं. इसमें वक्त लगता है. यह काफी बड़ा नंबर है, इसलिए इसे आगे भी पूरा किया जाएगा. कोर्ट ने कहा कि क्या लागू हो चुका है और क्या लागू होगा इसमें बड़ा अंतर है.
बुधवार की सुनवाई में अलग-अलग सेक्टर को राहत देने पर भी चर्चा होनी थी. लेकिन हो नहीं सकी. रिज़र्व बैंक ने कहा है कि बड़े लोन की रीस्ट्रक्चरिंग पर उसने बैंकों को निर्देश दिए हैं. अब ये बैंक और कर्जदारों पर छोड़ देना चाहिए.
सरकार ने पिछले हफ्ते इस मामले में हलफनामा पेश किया था. जिसमें कहा गया कि कोरोना महामारी में कई और सेक्टर्स को ज्यादा राहत देना संभव नहीं है. सुप्रीम कोर्ट को सरकार ने बताया कि कई सेक्टर्स को पर्याप्त राहत पैकेज दिया गया है. मौजूदा महामारी के बीच सरकार के लिए संभव नहीं है कि इन सेक्टर्स को और ज्यादा राहत दी जाए.
सरकार ने हलफनामे में कहा था कि 2 करोड़ रुपए तक के कर्ज के लिए चक्रवृद्धि ब्याज माफ करने के अलावा कोई और राहत बैंकिंग सेक्टर के लिए ठीक नहीं होगा. पहले दाखिल किए गए हलफनामे में केंद्र सरकार ने 2 करोड़ रुपए तक के लोन पर 'ब्याज पर ब्याज' माफ करने को कहा था. कोर्ट ने कहा था कि ब्याज पर जो राहत देने की बात की गई है, उसके लिए RBI ने कोई सर्कुलर जारी नहीं किया.
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