सस्ते होम लोन का लंबा इंतजार, इस साल ब्याज दर में कटौती की उम्मीद कम, SBI के चेयरमैन ने समझाया पूरा कैलकुलेशन
दुनियाभर के लोगों की निगाहें अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक पर टिकी है. सबके मन में सवाल है कि क्या अमेरिकी फेड कोविड महामारी के बाद पहली बार ब्याज दरों में कटौती करेगा? फेड के नतीजों के इंतजार में दुनियाभर के शेयर बाजार में उथल पुथल मची है.
SBI on Interest rate Cut: दुनियाभर के लोगों की निगाहें अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक पर टिकी है. सबके मन में सवाल है कि क्या अमेरिकी फेड कोविड महामारी के बाद पहली बार ब्याज दरों में कटौती करेगा? फेड के नतीजों के इंतजार में दुनियाभर के शेयर बाजार में उथल पुथल मची है. अमेरिकी फेडरल ब्याज दरों में कितनी कटौती करेगा इस सवाल के जवाब के बीच लोगों को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से ब्याज दरों में कटौती का इंतजार है. लोग सस्ते कर्ज का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन के बयान ने लोगों की उम्मीदें खत्म होती जा रही है.
ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कम
एसबीआई के चेयरमैन सीएम शेट्टी की माने तो आरबीआई की ओर से रेपो रेट में कटौती की उम्मीद बहुत कम है. एसबीआई के चेयरमैन सी एस शेट्टी ने कहा है कि खाद्य मुद्रास्फीति के मोर्चे पर अनिश्चितता को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) इस साल प्रमुख नीतिगत दर में संभवत: कटौती नहीं करेगा.
अमेरिकी फेडरल दे सकता है खुशखबरी
अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व बुधवार को पेश होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में संभवत: ब्याज दर घटा सकता है. अगर ऐसा होता है तो यह चार साल से अधिक समय में पहली बार होगा जब वह नीतिगत दर में कटौती करेगा. ऐसा माना जा रहा है कि अन्य देशों के केंद्रीय बैंक भी इसका अनुसरण करने के लिए प्रेरित होंगे. एसबीआई चेयरमैन ने कहा कई केंद्रीय बैंक नीतिगत दर के मोर्चे पर स्वतंत्र निर्णय ले रहे हैं. हालांकि, फेडरल रिजर्व के ब्याज दर में कटौती का असर सभी पर पड़ेगा, लेकिन आरबीआई ब्याज दर में कटौती पर निर्णय लेने से पहले खाद्य मुद्रास्फीति को ध्यान में रखेगा.
उन्होंने कहा, हमारा यह भी मानना है कि इस साल नीतिगत दर में संभवत: कटौती नहीं होगी. जबतक खाद्य मुद्रास्फीति नीचे नहीं आती, तबतक नीतिगत दर में कटौती मुश्किल है और इसके लिए शायद हमें चौथी (जनवरी-मार्च 2025) तिमाही के लिए इंतजार करना पड़ सकता है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) सात से नौ अक्टूबर को होने वाली अपनी बैठक में नीतिगत दर पर निर्णय करेगी.
एमपीसी मौद्रिक नीति पर गौर करते समय खुदरा मुद्रास्फीति पर ध्यान दे रही है. खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त में मामूली बढ़कर 3.65 प्रतिशत हो गई, जो जुलाई में 3.54 प्रतिशत थी. हालांकि, मुद्रास्फीति आरबीआई के औसत लक्ष्य चार प्रतिशत से नीचे है, लेकिन खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर अगस्त में 5.66 प्रतिशत थी. केंद्रीय बैंक ने उच्च खाद्य मुद्रास्फीति के जोखिम को देखते हुए अगस्त की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा. यह लगातार नौवीं बार था, जब रेपो दर में बदलाव नहीं किया गया। रिजर्व बैंक फरवरी 2023 से मानक रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया है.
एसबीआई कुछ सहायक कंपनियों में हिस्सेदारी बेचे जाने के सवाल पर शेट्टी ने कहा कि फिलहाल किसी भी सहायक कंपनी में हिस्सेदारी के विनिवेश के बारे में कोई विचार नहीं किया गया है. उन्होंने कहा, अगर इन सहायक कंपनियों को (विकास) पूंजी की आवश्यकता है, तो हम निश्चित रूप से गौर करेंगे. शेट्टी ने कहा कि इस समय किसी भी बड़ी अनुषंगी कंपनी को अपने परिचालन को बढ़ाने के लिए मूल कंपनी से पूंजी की आवश्यकता नहीं है. बैंक ने वित्त वर्ष 2023-24 में एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि. में 489.67 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी डाली थी.