आर्थिक विकास पर रिसर्च करने के लिए अमेरिकी अर्थशास्त्री विलियम नॉर्डहॉस और पॉल रोमर को इस वर्ष का नोबेल पुरस्कार (अर्थशास्त्र) दिया जा रहा है.
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नई दिल्ली : अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार की घोषणा कर दी गई है. 2018 के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार के लिए अमेरिकी अर्थशास्त्री विलियम नॉर्डहॉस और पॉल रोमर को चुना गया है. आर्थिक विकास पर रिसर्च करने के लिए इन दोनों अर्थशास्त्रियों के संयुक्त रूप से यह सम्मान दिया जाएगा.
नोबेल पुरस्कार देने वाली रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेस ने सोमवार को इन दोनों अर्थशास्त्रियों के नाम की घोषणा की. नॉर्डहॉस येल विश्वविद्याल में प्रोफेसर हैं, जबकि रोमर न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनेस जुड़े हुए हैं.
रॉयल स्वीडिश एकेडमी ने इनके नामों की घोषणा करते हुए कहा कि इन दोनों अर्थशास्त्रियों ने ‘हमारे समय कुछ ज्वलंत प्रश्नों के समाधान प्रस्तुत किए हैं जो बताते हैं कि हम किस तरह अपनी आर्थिक वृद्धि को लंबे समय तक निरंतर मजबूत बनाए रख सकते हैं.
डेनिस मुकवेगे और नादिया मुराद को शांति का नोबेल
इस साल का शांति नोबेल पुरस्कार डेनिस मुकवेगे और यजीदी कार्यकर्ता नादिया मुराद को दिया गया है. कांगो के चिकित्सक डेनिस मुकवेगे ने यह पुरस्कार दुनिया भर की उन महिलाओं को समर्पित किया, जिन्होंने युद्ध की विभीषिका झेली है और जो हर दिन हिंसा का सामना करती हैं.
डेनिस मुकवेगे युद्ध से तबाह हुए डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगों में दो दशक से महिलाओं को शारीरिक और मानसिक परेशानियों से निकालने के काम में लगे हुए हैं. मुकवेगे ने कहा कि उन्होंने बलात्कार और यौन हिंसा की पीड़ित लगभग 50,000 महिलाओं का ऑपरेशन किया.
यौन शोषण और दुष्कर्म की शिकार महिलाओं के जख्मों को ठीक करने और उन्हें मानसिक आघात से बाहर निकालने के सतत प्रयासों के लिए उन्हें ‘‘डॉक्टर मिरेकल’’ के नाम से पुकारा जाता है.
रसायन का नोबेल 3 वैज्ञानिकों को
रसायन विज्ञान के नोबेल पुरस्कार के लिए अमेरिकी वैज्ञानिक फ्रांसेस अर्नोल्ड और जार्ज स्मिथ तथा ब्रिटिश अनुसंधानकर्ता ग्रेगरी विंटर को चुना गया है. तीनों वैज्ञानिकों ने विभिन्न क्षेत्रों में प्रोटीन के इस्तेमाल के लिए क्रम विकास के उसी सिद्धांत का इस्तेमाल किया जिसके जरिए आनुवंशिक बदलाव और चयन किया जाता है.
एकेडमी की नोबेल कैमेस्ट्री कमेटी के प्रमुख क्लेस गुस्तफसन ने संवाददाताओं से कहा कि 2018 के नोबेल विजेताओं ने डार्विन के सिद्धांत को परखनली में उतारा. उन्होंने आन्विक स्तर पर क्रमविकास की प्रक्रियाओं की समझ का उपयोग किया और अपनी प्रयोगशाला में उसे मूर्त रूप दिया.