यूपी के इस शहर में बन रही पराली से बिजली, प्रदूषण का स्तर होगा कम
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यूपी के इस शहर में बन रही पराली से बिजली, प्रदूषण का स्तर होगा कम

सार्वजनिक क्षेत्र की एनटीपीसी (NTPC) की दादरी यूनिट में धान की पराली आधारित ईंधन से बिजली उत्पादान शुरू किया गया है. एनटीपीसी के मुख्य महाप्रबंधक एके दास ने मीडिया को इस बारे में जानकारी दी.

यूपी के इस शहर में बन रही पराली से बिजली, प्रदूषण का स्तर होगा कम

गाजियाबाद : सार्वजनिक क्षेत्र की एनटीपीसी (NTPC) की दादरी यूनिट में धान की पराली आधारित ईंधन से बिजली उत्पादान शुरू किया गया है. एनटीपीसी के मुख्य महाप्रबंधक एके दास ने मीडिया को इस बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि धान और अन्य कृषि अवशेषों से बने गट्ठे (पेलेटस) को कोयले के साथ आशिंक रूप से प्रतिस्थापित कर बिजली उत्पादन की योजना को न केवल अमली जामा पहना दिया गया है बल्कि पराली आधारित ईंधन से बिजली उत्पादन आरंभ कर दिया गया है.

नियमित आपूर्ति में कुछ समय लगेगा
हालांकि, दास ने कहा कि इस तरह के ईंधन की अनुबंधित मात्रा की नियमित आपूर्ति में अभी कुछ समय लगेगा. उन्होंने कहा कि पावर प्लांट में कोयले के साथ कृषि अवशेषों के बने पेलेटस के प्रयोग को तकनीकी भाषा में बायोमास को-फायरिंग कहते है. इस दिशा में केंद्र सरकार ने बायोमास को-फायरिंग प्रोत्साहन के लिए जरूरी नीति निर्देश भी जारी किए है.

व्यापार और रोजगार के नए मौके बनेंगे
इस कदम से कृषि अवशेषों के एकत्रीकरण, संग्रहण एवं उससे पेलेटस/टोरी फाइड पेलेटस के निर्माण क्षेत्र में निवेश को बढावा देने में मदद मिलेगी. साथ ही कृषि अवशेषों के लिए बाजार मिलेगा. इसके अलावा व्यापार व रोजगार के नए मौके बनेंगे. देशभर में स्थित 21 बिजलीघरों में पेलेटस आपूर्ति के लिए रुचि पत्र (ईओआई) आमंत्रित किए गए हैं. जिसकी खपत 19,440 टन प्रतिदिन है. जिससे करीब 5 हजार करोड़ का बाजार बन सकता है.

गौरतलब है कि पराली और कृषि अवशेषों को खेतों में जलाए जाने की वजह से वायु प्रदूषण बढ़ने की घटनाएं अक्सर आती रहती हैं. खासकर ऐसे कृषि अवशेष जो पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल नहीं हो पाते. इन्हें किसान फसल कटाई के बाद खेतों में ही जला देते हैं. इससे भारी मात्रा में राख हवा में घुल जाती है और प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है.

(इनपुट एजेंसी से)

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