एग फ्रीजिंग को एग हार्वेस्टिंग (Egg Harvesting) भी कहते हैं. यह एक काफी महंगा उपचार है, जिसमें महिला के एग्स को प्रिजर्व किया जाता है ताकि बाद में उसे बच्चे के जन्म के लिए इस्तेमाल किया जा सके. बाद में जब भी महिला प्रेग्नेंट होना चाहे तो उन एग्स को फर्टिलाइज करके भ्रूण बनाकर महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर कर दिया जाता है. इंडस्ट्री एक्सपर्ट के मुताबिक, एग्स हार्वेस्टिंग पर स्टोरेज के सालाना चार्ज के अतिरिक्त 50000 से 1 लाख रुपये तक का खर्च आ सकता है. जो महिलाएं 30 या 40 की उम्र के बाद मां बनना चाहती हैं उनके लिए एग्स फ्रीज करवाना एक सेफ प्रॉसीजर है.
एग फ्रीजिंग के जरिये बच्चा पैदा करने से पहले ये जान लें कि इसके लिए उम्र बेहद मायने रखती है. महिलाओं की फर्टिलिटी यानी बच्चा पैदा करने की क्षमता उम्र के साथ घटती जाती है. ऐसे में एक निश्चित उम्र के बाद गर्भाशय में बनने वाले एग्स की क्वॉलिटी और क्वॉन्टिटी दोनों घटने लगती है. महिला के लिए नैचुरल तरीके से गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है. महिला की उम्र जितनी कम होगी एग्स की क्वॉलिटी उतनी ही अधिक होगी.
कई महिलाएं बड़ी उम्र में मां बनने की सोचती हैं और वह अपने एग्स को पहले ही फ्रीज करवा लेती हैं. भारत जैसे देश में जहां महिलाओं को 30 की उम्र से पहले ही मां बनने का मंत्र फॉलो करना सिखाया जाता है, वहां एग फ्रीजिंग (Egg Freezing) प्रॉसीजर बहुत ज्यादा अपनाया नहीं जा रहा है. एग फ्रीजिंग का सुझाव देने के लिए भी महिला को बहुत ज्यादा कोशिशें करनी पड़ती हैं.
एग फ्रीजिंग प्रक्रिया के दौरान कम उम्र की महिलाओं को कम एग्स फ्रीज करवाने पड़ते हैं. बढ़ती उम्र के साथ फ्रीज कराए जाने वाले एग्स की संख्या भी बढ़ती जाती है. जैसे- 35 साल की महिला को अपने 10 एग्स फ्रीज करवाने की जरूरत है, जबकि 37 साल की महिला को 20 एग्स फ्रीज करवाने होते हैं. अगर कोई महिला 42 की उम्र में ऐसा करती है तो उसे 61 एग्स फ्रीज करवाने की जरूरत पड़ेगी.
भारत में फिलहाल एग फ्रीजिंग बहुत ज्यादा चलन में नहीं है. एसेंचर की एमडी व लीड (HR) लक्ष्मी सी कहती हैं कि रिपोर्ट के अनुसार, शहरी भारत में 6 कपल्स में से एक फर्टिलिटी से जुड़ी चुनौतियों का सामना करता है और उसे मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत होती है. ये प्रक्रिया महँगी और जटिल भी हो सकती है. हमारे इनहैंस्ड मेडिकल कवर में फर्टिलिटी और सरोगेसी ट्रीटमेंट शामिल हैं.
वीवर्क इंडिया में इस वक्त 47 फीसदी कर्मचारी महिलाएं हैं. कंपनी में पीपुल हेड प्रीति शेट्टी (Preeti Shetty) का कहना है कि अपनी महिला कर्मचारियों के लिए हमने मौजूदा ग्रुप मेडिकल पॉलिसी में इनफर्टिलिटी कवर की भी पेशकश की है. इसमें IPD/OPD बेसिस पर प्रति परिवार 1 लाख रुपये तक का कवरेज शामिल है. इस कवरेज में एग हार्वेस्टिंग और एग फ्रीजिंग ट्रीटमेंट भी शामिल किए गए हैं.
2017 में वर्किंग मदर एंड अवतार 'बेस्ट कंपनीज फॉर वुमन' में से केवल 2 फीसदी ही एग फ्रीजिंग के लिए मेडिकल कवर की पेशकश कर रही थीं. 2018 में यह आंकड़ा बढ़कर 5 फीसदी हो गया, वहीं 2020 में 11 फीसदी कंपनियां ऐसी थीं जो इस लाभ की पेशकश कर रही थीं.
अवतार की फाउंडर सौंदर्या राजेश (Saundarya Rajesh) का कहना है कि वर्किंग मदर एंड अवतार 'बेस्ट कंपनीज फॉर वुमन' की 53 फीसदी कंपनियां ऐसी हैं, जहां इंप्लॉइज और उनके जीवनसाथी के लिए इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट के लिए सपोर्ट उपलब्ध है. वहीं 11 फीसदी कंपनियां एग फ्रीजिंग के लिए मेडिकल कवर की पेशकश करती हैं. ऐसे में महिलाओं के लिए अब बढती उम्र में मां बनाना हुआ आसान.
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