RBI के निर्देश के मुताबिक ऑनलाइन पेमेंट (Online Payment) पर किसी भी तरह का सरचार्ज नहीं लगना चाहिए, लेकिन क्या वाकई ऐसा है, IIT Bombay की एक रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि बैंक्स/पेमेंट एग्रीगेटर अब भी सरचार्ज वसूल रहे हैं.
बिजनेस वेबसाइट moneycontrol.com में छपी एक खबर के मुताबिक, डेबिट कार्ड पेमेंट पर मर्चेंट से 2 परसेंट तक और डेबिट कार्ड पेमेंट पर कस्टमर से 0.9 फीसदी तक सरचार्ज की वसूली की जा रही है. IIT के एक प्रोफेसर ने रिपोर्ट में कहा है कि रिजर्व बैंक को एक ऐसा वातावरण बनाने की ओर कदम बढ़ाने की जरूरत है, जिससे मर्चेंट, बैंक/पेमेंट एग्रीगेटर्स को कंज्यूमर्स से पेमेंट पर किसी तरह का भुगतान लेने से रोका जा सके.
IIT Bombay के प्रोफेसर ने अपनी स्टडी ‘Charging Consumers for Merchant Payments’ में लिखा है कि एक्वायरर बैंक/पेमेंट एग्रीगेटर कंज्यूमर से डिजिटल पेमेंट पर कंनीनियरंस फीस के नाम पर चार्ज वसूल करते हैं जो कि बहुत बड़ा सवाल है. moneycontrol.com के मुताबिक, इस तरह की वसूली करने वालों की IIT-Bombay की सूचि में कोटक महिंद्रा, ICICI बैंक, HDFC बैंक और Tata SIA, SpiceJet का भी जिक्र है.
आपको बता दें कि एक्वयरर बैंक मर्चेंट को कार्ड्स के जरिए पेमेंट लेने के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराता है. जबकि पेमेंट एग्रीगेटर मर्चेंट को एक्वायरर बैंक से कनेक्ट करता है. इस पूरी प्रक्रिया में वो कस्टमर से पेमेंट रिसीव करता है, उसे इकट्ठा करता है ओर एक तय समय अंतराल के बाद मर्चेंट को ट्रांसफर कर देता है.
हालांकि रिजर्व बैंक के मौजूदा नियमों के तहत डेबिट कार्ड पर सरचार्ज नहीं लगाया जा सकता है, इस पर प्रोफेसर दास का कहना है कि ऐसा लगता है कि RBI के मौजूदा नियमों में इस बात की इजाजत दे दी गई है कि पेमेंट एग्रीगेटर्स कंज्यूमर से वसूल सकें. ये काम पेमेंट सरचार्ज के लिए एक तरह से 'सरोगेट' की तरह लगता है.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देसी प्लेटफॉर्म के लिए आर्थिक सब्सिडी दी जानी चाहिए जिससे विदेशी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की तुलना में घरेलू प्लेटफॉर्म को मजबूती मिलेगी. UPI-BHIM के जरिए पेमेंट का भार सरकार को उठाना चाहिए. Amazon, Flipkart, Zomato और Swiggy को UPI-BHIM से पेमेंट पर सब्सिडी मिलनी चाहिए. सर्विस एग्रीगेटर की तरफ से डिस्काउंट सरकार या RBI को देना चाहिए.
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