EPFO, Take Home Salary: अगर श्रम मंत्रालय (Labour Ministry) के सुझावों को मान लिया गया तो नौकरीपेशा लोगों की Take Home Salary बढ़ सकती है, लेकिन पेंशनर्स की पेंशन घट सकती है. दरअसल, नए Wage Code के बाद ये कहा जा रहा है कि कर्मचारियों की टेक होम सैलरी घट जाएगी, लेकिन ग्रेच्युटी और पेंशन में बढ़ोतरी होगी. ऐसे में ये खबर उन कर्मचारियों को राहत दे सकती है जो अपनी Take Home Salary में कटौती नहीं चाहते. नया वेतनमान के नियम अप्रैल 2021 से लागू हो सकते हैं.
दरअसल, श्रम मंत्रालय ने संसदीय समिति को कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में कर्मचारी और इम्पलॉयर, दोनों का अंशदान 12 परसेंट से घटाकर 10 परसेंट करने का सुझाव दिया है. इससे कर्मचारियों की सैलरी में बढ़ोतरी हो जाएगी. लेकिन पीएफ में योगदान कम होने से पेंशन की राशि कम हो जाएगी.
आमतौर पर अभी, ज्यादातर कंपनियां कर्मचारी की सैलरी का गैर-भत्ता हिस्सा (non-allowance part) का 50 परसेंट से कम रखती हैं, ताकि वो अपना उन्हें EPF और ग्रेच्युटी में कम योगदान करना पड़े और उनका बोझ कम हो सके. लेकिन नया वेतन कोड लागू होने के बाद कंपनियों को बेसिक सैलरी बढ़ानी पड़ेगी. इससे कर्मचारियों की take-home salary तो घट जाएगी, लेकिन PF योगदान और ग्रेच्युटी योगदान बढ़ जाएगा. साथ ही कर्मचारी की टैक्स देयता (tax liability) भी घट जाएगी, क्योंकि कंपनी कर्मचारी के लिए अपना PF योगदान उसके CTC ( Cost-To-Company) में जोड़ देगी.
दरअसल, अगले साल अप्रैल 2021 से निजी कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों की टेक होम सैलरी (take-home salary) घट सकती है, क्योंकि कंपनियों को नए वेतन नियम (new wage rules) के हिसाब से कर्मचारियों के सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव करना होगा. नए वेतन नियमों के मुताबिक, किसी भी कर्मचारी के भत्ते (allowances) कुल भुगतान (compensation) का 50 परसेंट से ज्यादा नहीं हो सकते हैं. मतलब अप्रैल, 2021 से कर्मचारी की बेसिक सैलरी (basic pay) कुल सैलरी (Total Pay) का 50 परसेंट या इससे ज्यादा होगी.
लेकिन श्रम मंत्रालय ने एक और सुझाव संसदीय समिति को दिया है, श्रम मंत्रालय का कहना है कि ईपीएफओ (EPFO) जैसे पेंशन फंड को आगे जारी रखने और ज्यादा व्यावहारिक बनाए रखने के लिए मौजूदा ढांचे में बदलाव करना होगा. इसमें 'Defined benefits' के बजाय 'Defined contributions' का सिस्टम लागू किया जाए. अभी EPFO पेंशन की न्यूनतम सीमा तय है, यह एक तरीक से ‘defined benefits’ मॉडल है. Defined contributions सिस्टम को अपनाने पर पीएफ सदस्यों को उनके अंशदान यानी के मुताबिक बेनेफिट मिलेगा, यानी जितना योगदान उतना ही फायदा.
अगर नए वेतनमान नियमों की रौशनी में इस नए सुझाव को देखें तो उन कर्मचारियों के लिए राहत की खबर है जो अपनी टेक होम सैलरी ज्यादा चाहते हैं. हालांकि इस पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है.
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