कोरोना महामारी के बाद अब लोगों की भी समझ में आया है कि पर्याप्त रिस्क कवर कितना जरूरी है. क्योंकि कोरोना का इलाज का बिल लाखों रुपये आता है, जिसे भरते भरते कई लोगों की जीवन भर की पूंजी खत्म हो गई. इसके बाद लोगों में हेल्थ पॉलिसी में कोरोना का रिस्क कवर लेना शुरू किया है. लेकिन लोगों के मन में इसे लेकर अब भी कई कंफ्यूजन बाकी हैं.
सबसे बड़ा कंफ्यूजन ये है कि, कोविड-19 संक्रमित होने के बाद इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने पर क्या आपको ज्यादा प्रीमियम देना होगा? ये ऐसा सवाल है जो अक्सर पूछा जा रहा है. इस पर इंश्योरेंस कंपनियों का कहना है कि मौजूदा पॉलिसी होल्डर्स को तो कोई दिक्कत नहीं आएगी, लेकिन नई पॉलिसी के लिए वेटिंग पीरियड की शर्तें जुड़ सकती है. लेकिन वो भी मरीज की स्थिति पर निर्भर है. जो मौजूद ग्राहक हैं उनको अगर अपनी पॉलिसी को रीन्यू कराना है तो उनके प्रीमियम में कोई बदलाव नहीं होगा.
अगर कोई व्यक्ति कोरोना से संक्रमित है, तो इंश्योरेंस कंपनी उसकी हालत का मुआयना करेगी. इसके बाद पॉलिसी जारी करेगी. इस पॉलिसी का फायदा मरीज को तुरंत नहीं मिलेगा. बल्कि इसके लिए वेटिंग पीरियड होगा. ये वेटिंग पीरियड 30 दिन, 60 दिन और 90 दिन होगा. वेटिंग पीरियड के बाद ही पॉलिसीहोल्डर को फायदा मिलना शुरू होगा.
वो मरीज जो होम क्वारंटीन में रहकर ठीक हो चुके हैं. ऐसे लोगों के लिए वेटिंग पीरियड कम हो सकता है. उन्हें 30 या फिर ज्यादा से ज्यादा 60 दिन का वेटिंग पीरियड ही रखना होगा.
अगर कोई मरीज काफी लंबी अवधि के बाद ठीक हुआ तो पहले उसका पूरा हेल्थ टेस्ट होगा. इसके बाद इंश्योरेंस कंपनी पॉलिसी को जारी करेगी. दरअसल, देखा गया है कि जो मरीज 4 से 6 हफ्ते में ठीक हुए हैं, उनके फेफडे, दिल, ब्रेन और किडनी पर बुरा असर पड़ा है.
अगर कोई मरीज वेंटिलेटर या ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहा है तो उसके लिए पॉलिसी जारी करने का पैमाना बिल्कुल अलग होगा.
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