आयकर विभाग (Income Tax Department) ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 2.61 लाख करोड़ रुपये का रिफंड जारी कर दिया है. पिछले वित्त वर्ष की तुलना में यह 42 फीसदी ज्यादा है. अगर आपने भी इनकम टैक्स रिफंड (Income Tax Refund) के लिए क्लेम किया था और अभी तक आपके अकाउंट में पैसा नहीं आया है तो जानिए इसके पीछे क्या कारण हो सकता है.
अगर किसी साल में आयकर कटौती देय से ज्यादा है, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income tax department) टैक्सपेयर्स को अतिरिक्त काटा गया टैक्स वापस यानी रिफंड करता है.
रिटर्न की प्रोसेसिंग (ITR Processing) के बाद टैक्स डिपार्टमेंट को लगता है कि आपका क्लेम सही है तो इसकी जानकारी SMS और ईमेल के जरिए आपको भेजी जाएगी. इस मैसेज में डिपार्टमेंट बताएगा कि आपके खाते में कितनी रकम रिफंड की जाएगी. साथ ही वह एक रिफंड सीक्वेंस नंबर भी भेजेगा. इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 143 (1) (Income tax notice) के तहत यह सूचना भेजी जाती है.
रिफंड स्टेटस को चेक करने के दो तरीके हैं. पहला इनकम टैक्स ई-फाइलिंग वेबसाइट पर जाकर और दूसरा टिन NSDL वेबसाइट पर जाकर. चैकिंग के दौरान आपसे PAN, एसेसमेंट ईयर डिटेल्स मांगी जाएगी, और इमेज में दिया गया कैप्चा भरना होगा. जानें स्टेप बाय स्टेप प्रोसेस...
- सबसे पहले www.incometaxindiaefiling.gov.in वेबसाइट पर जाएं. - पैन, पासवर्ड और कैप्चा कोड जैसी डिटेल को डालकर अपने अकाउंट में लॉग-इन करें. - 'रिव्यू रिटर्न्स/फॉर्म्स' पर क्लिक करें. - ड्रॉप डाउन मेनू से 'इनकम टैक्स रिटर्न्स' सेलेक्ट करें. जिस असेसमेंट ईयर का इनकम टैक्स रिफंड स्टेटस चेक करना चाहते हैं, उसका चयन करें. - अपने एकनॉलेजमेंट नंबर यानी हाइपरलिंक पर क्लिक करें. - एक पॉप-अप आपकी स्क्रीन पर दिखाई देगा जो रिटर्न की फाइलिंग की टाइमलाइन दिखाएगा. जैसे कि कब आपका आईटीआर फाइल और वेरिफाई किया गया था, प्रोसेसिंग के पूरे होने की तारीख, रिफंड इश्यू होने की तारीख इत्यादि. - इसके अलावा यह असेसमेंट ईयर, स्टेटस, विफल रहने का कारण और पेमेंट का तरीका भी दिखाएगा.
अगर सरकार को अतिरिक्त टैक्स का भुगतान किया जाता है, तो आयकर विभाग अतिरिक्त राशि पर ब्याज का भुगतान करता है. आयकर अधिनियम की धारा 244A(1)(a) के तहत, टैक्सपेयर TCS, TDS या फिर एडवांस टैक्स देने की स्थिति में टैक्स रिफंड पर ब्याज पाने का हकदार है. मासिक आधार पर 0.5% का साधारण ब्याज लागू होता है.
आईटी रिटर्न जिनता जल्दी दाखिल किया गया होगा, उतनी जल्दी रिफंड प्रोसेस होगा. आईटी विभाग क्रोनालॉजी के आधार पर रिफंड मामलों का चयन करता है. अगर रिटर्न भरने में देरी की गई है तो रिटर्न प्रोसेस होने और रिफंड मामले में भी देरी हो सकती है.
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