रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से जारी विज्ञापन के अनुसार, सोमवार 12 जुलाई से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम 2021-22 की चौथी सीरीज ( Sovereign Gold Bond Scheme 2021-22 – Series IV) की बिक्री शुरू हो रही है. इस सीरीज में प्रति ग्राम गोल्ड की कीमत 4,807 रुपये तय किया गया है. बता दें कि Sovereign Gold Bond आरबीआई (RBI) सरकार की ओर से जारी करता है.
मंत्रालय के अनुसार, यह बॉन्ड सभी बैंकों, स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SHCIL), डाकघर और मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों (Stock Exchanges), NSE और BSE के माध्यम से बेचे जाएंगे.गौरतलब है कि स्माल फाइनेंस बैंक और पेमेंट बैंक में इनकी बिक्री नहीं होती है.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड एक सरकारी बॉन्ड है जिसे डीमैट के रूप में बदला जा सकता है. इसका मूल्य रुपए या डॉलर में नहीं होता है, बल्कि सोने के वजन में होता है. जैसे अगर बॉन्ड पांच ग्राम सोने का है, तो पांच ग्राम सोने की जितनी कीमत होगी, उतनी ही बॉन्ड की कीमत होगी. यह बॉन्ड RBI सरकार की ओर से जारी करता है. सरकार ने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना नवंबर 2015 में शुरू हुई थी.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड 2021-22 की चौथी किश्त सोमवार से पांच दिनों के लिए यानी 16 जुलाई तक सब्सक्रिप्शन के लिए खुलेगी. RBI के मुताबिक, बॉन्ड के लिए अगर आप ऑनलाइन आवेदन करते हैं तो आपको प्रति ग्राम 50 रुपये की छूट मिलेगी. यानी ऐसे निवेशकों के लिए एक ग्राम गोल्ड बॉन्ड की कीमत 4,757 रुपये होगी.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में एक वित्त वर्ष में एक व्यक्ति अधिकतम 4 किग्रा सोने के बॉन्ड खरीद सकता है. वहीं न्यूनतम निवेश एक ग्राम का होना जरूरी है. अगर कोई ट्रस्ट या उसके जैसी संस्था है तो वह 20 किग्रा तक के बॉन्ड खरीद सकती हैं. बता दें आवेदन कम से कम 1 ग्राम और उसके मल्टीपल में जारी होते हैं. बॉन्ड का प्राइस इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन लि. (IBJA) द्वारा दी गई 999 शुद्धता वाले गोल्ड के औसत क्लोजिंग प्राइस के आधार पर तय किया गया है.
इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें प्योरिटी का कोई झंझट नहीं होता और कीमतें 24 कैरेट गेाल्ड के आधार पर तय होती हैं. इसमें एग्जिट के आसान विकल्प हैं. साथ ही गोल्ड बांड के अगेंस्ट लोन की सुविधा मिलती है. इसका मैच्योरिटी पीरियड 8 साल होता है. साथ ही 5 साल बाद बेचने का विकल्प मिल जाता है.
इसमें मेच्योरिटी पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड टैक्स फ्री होता है. इसके अलावा केंद्र सरकार समर्थित होने के कारण इसमें घाटे का जोखिम नहीं है. फिजिकल गोल्ड के बजाय गोल्ड बांड को मैनेज करना आसान होता है. इसमें मुनाफा अधिक होता है.
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