31 मार्च नजदीक आने पर प्राइवेट कंपनियों और सरकारी ऑफिस में कर्मचारियों से इनवेस्टमेंट प्रूफ सब्मिट करने के लिए कहा जा रहा है. अगर आपने प्रूफ जमा नहीं किए तो सैलरी से टैक्स काटा जाएगा. आयकर की धारा 80 सी और 80यू में आप प्रूफ सब्मिट करके ज्यादा से ज्यादा इनकम को टैक्स फ्री बना सकते हैं.
कृषि से होने वाली आमदनी (Income from Agriculture) टैक्स फ्री इनकम में पहले नंबर पर आती है. देश में खेती से होने वाली आमदनी पर किसी तरह का टैक्स नहीं लगता. यदि आपको अन्य स्रोत से भी कमाई है तो कृषि से होने वाली इनकम का इस्तेमाल टैक्स स्लैब तय करने में किया जाएगा. इस स्थिति में भी टैक्स केवल अन्य सोर्स से होने वाली इनकम पर ही लगेगा.
पीएफ की रकम को भी टैक्स फ्री रखा गया है. हालांकि इसमें शर्त यह है कि आपका पीएफ कटते हुए पांच साल से ज्यादा हो गए हो. इसी तरह ग्रेच्युटी भी टैक्स के दायरे से बाहर है. प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को 10 लाख तक की ग्रेच्युटी पर टैक्स नहीं देना होता.
पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के समय में गिफ्ट पर टैक्स लगाता था. 2017 में यह तय किया गया कि महंगे गिफ्ट पर टैक्स देना होगा. इसमें 50 हजार रुपये तक का गिफ्ट टैक्स के दायरे में नहीं आता. लेकिन इससे ऊपर के गिफ्ट पर आपको आयकर देना होता है. गिफ्ट में कैश मिला हो या चेक, ड्रॉफ्ट, चल-अचल संपत्ति, 50 हजार की सीमा तक इन्हें टैक्स से छूट मिलती है. आईटीआर में इन्हें इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज में दिखाना होता है.
सैलरी के कई कंपोनेंट टैक्स फ्री होते हैं, जिन्हें सैलरी का बी पार्ट कहा जाता है. जैसे : कनवेंस अलाउंस, फूड वाउचर, मोबाइल या इंटरनेट का बिल, एलटीए और मैग्जीन आदि खरीदने के लिए मिलने वाला पैसा. हालांकि इन कंपोनेंट में कंपनियां अपने-अपने हिसाब से अमाउंट देती हैं.
शायद आपको यह जानकर आश्चर्य हो कि स्कॉलरशिप के पैसों को आयरकर अधिनियम में इनकम माना गया है. लेकिन यह इनकम टैक्स के सेक्शन 56 (ii) के तहत स्कॉलरशिप से मिले पैसों पर छूट है.
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