The All India Motor Transport Congress (AIMTC) का दावा है कि वो 95 लाख ट्रकों, 50 लाख बसों और टूरिस्ट ऑपरेटर्स का प्रतिनिधित्व करती है. ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (All India Motor Transport Congress) के अध्यक्ष कुलतार सिंह अटवाल (Kultar Singh Atwal) के मुताबिक शनिवार एक बैठक हुई, जिसमें ये फैसला लिया गया है कि सभी संगठन केंद्र को चिट्ठी लिखकर पेट्रोल-डीजल की कीमतों को काबू करने की अपील करेंगे.
अटवाल का कहना है कि अगर सरकार 14 दिनों में यह मांग पूरी नहीं करती है तो वे अपना काम ठप कर देंगे. सभी ट्रांसपोर्टर्स अपने ट्रकों की चाबियां जिलाधिकारियों को सौंपकर अपना विरोध जताएंगे. संगठन के महासचिव नवीन गुप्ता के मुताबिक मालभाड़े में लगभग 65 प्रतिशत तक का खर्च पेट्रोल-डीजल का होता है. ईंधन की कीमतों की बढ़ोतरी से ट्रक चालकों का घाटा बढ़ता जा रहा है, क्योंकि डीजल के दाम बढ़ने से उनकी लागत भी बढ़ रही है, जिससे ट्रकों की EMI चुकाने के भी पैसे नहीं बच रहे.
ट्रांसपोर्टर्स की एक और मांग है कि उनका माल भाड़ा भी ऑटो-टैक्सी की तरह प्रति किलोमीटर की दर से तय किया जाए. यह किराया तेल कीमतों से लिंक होना चाहिए. तेल कीमतों में बढ़ोतरी के साथ इसमें भी बढ़ोतरी की जानी चाहिए. लगातार बढ़ती तेल की कीमत से ट्रक ऑपरेटर्स भारी आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं. ट्रक मालिकों ने सरकार को चेतावनी दी है कि वह पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर अंकुश लगाएं नहीं तो 15 दिन बाद सभी ट्रक मालिक अपने ट्रकों की चाबियां जिला कलेक्टरों को सौंप देंगे.
ट्रांसपोर्टर्स का कहना है कि दिल्ली-मुंबई के बीच ट्रकों का मालभाड़ा 27-30 हजार रुपये होता है. ये भाड़ा तब भी था जब डीजल 56 रुपये प्रति लीटर पर था और आज भी यही भाड़ा है, जबकि दाम 82 से 85 रुपये के बीच है. ऐसे में हमारे ऊपर घाटे का दबाव बढ़ता जा रहा है. जबकि महंगाई के दबाव में कम खरीदी होने की आशंका से माल खरीदने वाले इससे ज्यादा कीमतें देने को तैयार नहीं हो रहे हैं.
सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों ने तेल की कीमतों में लगातार 7वें दिन बढ़ोतरी की. दिल्ली में सोमवार को पेट्रोल जहां 26 पैसे बढ़ कर 88.99 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया वहीं डीजल तो 29 पैसे प्रति लीटर की छलांग लगा कर 79.35 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर पहुंच गया.
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