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Smoking करने वालों के लिए क्यों जरूरी है टर्म पॉलिसी, कैसे घटा सकते हैं प्रीमियम

स्मोकिंग करने से आपकी सेहत के साथ साथ आपकी वित्तीय हालत भी खराब होती है, ऐसे में अगर टर्म पॉलिकी लेना बेहद जरूरी होता है. 

 

Smokers को टर्म पॉलिसी की जरूरत क्यों

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Smokers को टर्म पॉलिसी की जरूरत क्यों

स्मोकिंग करना एक बुरी आदत है, ये सेहत तो खराब करता ही है, स्मोकिंग करने वाले व्यक्ति पर वित्तीय बोझ भी बढ़ाता है, मुश्किल तब और बढ़ जाती है जब उसकी मृत्यु के बाद ये वित्तीय बोझ उसके परिवार के ऊपर आ जाता है. ऐसे में टर्म पॉलिसी की जरूरत महसूस होती है. 

क्या आप स्मोकर हैं

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क्या आप स्मोकर हैं

अगर आपने कभी टोबैको, निकोटीन के उत्पादों का इस्तेमाल किया है, बीते चार साल में अगर आपने कभी भी इन उत्पादों का इस्तेमाल किया है या फिर आपने कभी भी तम्बाकू का सेवन किया् है तो इंश्योरेंस कंपनी की नजर आप एक स्मोकर माने जाएंगे. बीमा कंपनियां ये नहीं देखतीं कि आपने कभी स्मोकिंग की थी या फिर कभी कभी स्मोक करते हैं. उनकी नजर में आप स्मोकर हैं.

 

स्मोकर और नॉन स्मोकर के प्रीमियम में फर्क

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स्मोकर और नॉन स्मोकर के प्रीमियम में फर्क

कोई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी टर्म कितना प्रीमियम चार्ज करेगी ये व्यक्ति की सेहत, उम्र, बीमारी का इतिहास, मौजूदा किसी बीमारी को देखते हुए तय किया जाता है. Policybazaar.com की वेबसाइट के मुताबिक आमतौर पर एक स्मोकर और नॉन स्मोकर के सालाना प्रीमियम में 2000 रुपये से लेकर 6000 रुपये तक का फर्क आता है. 

स्मोकिंग की बात छिपाना पड़ता है भारी

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स्मोकिंग की बात छिपाना पड़ता है भारी

अगर आप टर्म प्लान लेते समय स्मोकिंग की बात बीमा कंपनी से छिपाते हैं तो ये आप पर भारी भी पड़ सकता है. इंश्योरेंस कंपनी आपके ऊपर फ्रॉड का केस कर सकती है. आपकी पॉलिसी को रद्द कर सकती है. आपके नहीं रहने के बाद आपके परिवार को कुछ भी नहीं मिलेगा. 

अगर आप स्मोकिंग छोड़ दें तो

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अगर आप स्मोकिंग छोड़ दें तो

अगर टर्म पॉलिसी लेने के बाद स्मोकिंग छोड़ दें तो क्या होगा. ऐसे में आप पॉलिसी रीन्यूअल के दौरान बीमा कंपनी से अपील कर सकते हैं कि वो प्रीमियम में कुछ रियायत दे. हालांकि प्रीमियम कम होगा या नहीं ये बीमा कंपनी की मर्जी पर है. आमतौर पर बीमा कंपनियां उसे नॉन-स्मोकर मानती हैं जिसने 2 साल तक निकोटीन को हाथ तक न लगाया हो. 

क्या है टर्म इंश्योरेंस?

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क्या है टर्म इंश्योरेंस?

जीवन बीमा लेने का सबसे सरल तरीका टर्म इंश्योरेंस ही होता है. इसमें बीमा लेने वाला व्यक्ति एक निश्चित समय तक प्रीमियम का भुगतान करता रहता है. अगर बीमाधारक की मृत्यु हो जाती है तो सम एश्योर्ड या एकमुश्त राशि उसके परिवार या नॉमिनी को दे दी जाती है. आमतौर पर टर्म पॉलिसी 10 साल,15 साल, 20 साल, 25 साल और 30 सालों के लिए ली जाती हैं.

कितना सम-अश्योर्ड है जरूरी

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कितना सम-अश्योर्ड है जरूरी

आपको कितना कवर लेना चाहिए ये हर किसी के लिए अलग अलग होता है. आमतौर पर माना जाता है कि आपकी सालाना आय का 10 गुना तक टर्म पॉलिसी कवर होना चाहिए. वक्त के साथ जब सैलरी बढ़े तो इसे भी बढ़ाते रहना चाहिए. 

 

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