आपकी रसोई में सब्जी पक रही है या कैंसर! यमुना किनारे जहरीली सब्जियों का उत्पादन
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आपकी रसोई में सब्जी पक रही है या कैंसर! यमुना किनारे जहरीली सब्जियों का उत्पादन

यमुना किनारे पैदा होने वाली सब्जियों में लेड, कैडमियम और आर्सेनिक की मात्रा बहुत ज्यादा होती है जिससे किडनी खराब होने और कैंसर जैसी बीमारी होने का खतरा रहता है.

आपकी रसोई में सब्जी पक रही है या कैंसर! यमुना किनारे जहरीली सब्जियों का उत्पादन

नई दिल्ली: एक दौर था जब अच्छी सेहत के लिए डॉक्टर ये कहा करते थे कि हरी सब्जियां खूब खाओ, लेकिन अब बढ़ते प्रदूषण की वजह से ऐसा दौर आ गया है कि अब डॉक्टर कहेंगे कि हरी सब्जियों से बचकर रहो, इनसे कैंसर हो सकता है. ये कोई मजाक या व्यंग्य की बात नहीं हैं. देश के ज्यादातर इलाकों में जिस तरह से प्रदूषित पानी से सब्जियां उगाई जा रही हैं उससे बचने के लिए सब्जियों पर वैधानिक चेतावनी जारी कर देनी चाहिए. जिस तरह सिगरेट के पैकेट पर ये चेतावनी लिखी जाती है कि सिगरेट पीने से कैंसर होता है उसी तरह प्रदूषित पानी से पैदा होने वाली सब्जियों पर लिखा जा सकता है कि सब्जियां खाने से कैंसर हो सकता है. 

नेशनल एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (NEERI) के मुताबिक यमुना के पानी से पैदा होने वाली सब्जियों में Lead, Cadmium, Mercury और Arsenic जैसे ख़तरनाक Heavy Metals की मात्रा इतनी ज्यादा है कि इससे kidney failure और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. 

ऐसा नहीं है कि यमुना नदी के आसपास में पैदा होने वाली सब्जियों को लेकर ये खुलासा पहली बार हुआ है. इससे पहले भी जी न्यूज कई बार जहरीली सब्जियों के खिलाफ़ बड़ी मुहिम चला चुके हैं  लेकिन आपकी सेहत को ध्यान में रखकर आज एक बार फिर इस गंभीर समस्या पर बात करना जरूरी हो गया है. हमारी कोशिश है कि जब तक देश की सरकारें और सिस्टम... प्रदूषित सब्जियों का स्थाई इलाज नहीं ढूंढती हैं तब तक हमारी ये मुहिम जारी रहेगी. करीब एक वर्ष पहले हमारी टीम ने यमुना के प्रदूषित पानी में पैदा हो रही  सब्जियों का लैब में टेस्ट करवाया था . इससे ये जानकारी सामने आई कि यमुना के किनारे उगाई गई सब्जियों में Lead की मात्रा 280 गुना ज्यादा है. 

आमतौर पर सब्जियों में Lead की मात्रा 0.1, PPM( पार्ट्स पर मिलियन) होनी चाहिए. यानी एकदम ना के बराबर. लेकिन हमने जिन सब्जियों का Test करवाया, उनमें Lead की मात्रा 19.34 PPM से लेकर 28.06 PPM तक निकली. लैब की जांच  रिपोर्ट की जो कॉपी जी न्यूज के पास है उसके मुताबिक सब्जियों में 209 PPM से लेकर 318 PPM तक Arsenic की मात्रा पाई गई जबकि सब्जियों में Arsenic..बिलकुल नहीं होना चाहिए. इसी तरह से सब्जियों में 1.0 PPM से ज्यादा Mercury नहीं होना चाहिए, लेकिन इन सब्जियों में 105 से लेकर 139 PPM तक Mercury पाया गया. डॉक्टरों के मुताबिक इन Heavy Metals की वजह से लोगों को अलग अलग तरह के कैंसर हो सकते हैं. लोगों की किडनी, लिवर और फेफड़े खराब हो सकते हैं. 

Bone Marrow Suppression हो सकता है. इस बीमारी में शरीर को Immunity यानी रोगों से लड़ने की क्षमता देने वाले Cells बनने कम हो जाते हैं. और इनकी संख्या कम होते ही आपको कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं. इसके अलावा बच्चों में जन्म के साथ ही विकृतियां हो सकती हैं. ये बात शायद सबको पता होगी कि यमुना किनारे उगाई जाने वाली सब्जियां खाने लायक नहीं हैं. लेकिन हमारे सिस्टम ने अब तक ऐसी कोई तकनीक नहीं बनाई है ताकि ये पता चल सके आपके घर में जहरीली सब्जियां पहुंच रही हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि सिस्टम को आपकी सेहत की कोई चिंता नहीं है. 

हमारी पिछली रिपोर्ट को देखने के बाद Delhi Development Authority के कुछ अधिकारी..यमुना के इलाकों में जाकर किसानों को चेतावनी देकर वापस आ गये. ये एक तरह की सरकारी खानापूर्ति थी . हमारी टीम एक बार फिर यमुना के उस इलाके में पहुंची जहां आज भी जहरीली सब्जियां..बिना किसी डर के पैदा की जा रही हैं . 

आज भी यमुना के किनारे की उस जहरीली मिट्टी में सब्जियां उगाई जाती हैं, उन्ही खेतों के पास आज भी सब्जी की मंडी लगती है और वहां से दिल्ली और आसपास की बड़ी सब्जी मंडियों में सब्जियां पहुंचाई जा रही है, हमारी टीम ने अपनी पहली रिपोर्ट के बाद जब दोबार उस जगह से ग्राउंड रिपोर्टिंग की, तो पड़ताल के दौरान हमें मयुर विहार और आसपास के इलाकों के थोक और खुदरा सब्जी व्यापारी मिले जो यमुना के किनारे लगी मंडी से सब्जी खरीदकर अपनी ठेलियों से लेकर उसे बाजार में बेचने जा रहे थे, पुछने पर बताया कि 

"कोई नही रोकता यहां से सब्जी खरीदने से, हम आराम से हर रोज सीजन की सभी सब्जियां इस यमुना किनारे की मंडी से खरीदते हैं और बाजार में बेचते हैं, पुछने पर उन्होने ये भी बताया कि भाई साहब अंदाजन 10 से 15 क्विंटल सब्जी हर रोज जाती है यहां से दिल्ली की मंडियों में बिकने के लिए...
इन लोगों से मुलाकात करके हम आगे बढे उन खेतों में जहां सीजन की सब्जियों तैयार खडी थीं , जिसमें भिंडी, घिया, तोरी , हरी मिर्च और बाकी भी कई अलग अलग सब्जियां थीं, जो किसान इन खेतों में काम कर रहे थे, उनसे पुछा तो उन्होने बताया कि 
"साहब करीब 11 महीने पहले तो कुछ सरकारी लोग आये थे कहकर गए कि इन खेतों में सब्जी मत उगाना...लेकिन उसके बाद तो आज तक न कोई हमें देखने आया, न कोई हमसे पुछने आया और नही ये जानने आया इस बारे में , तो हम भी आराम से हैं और अब तो अगले सीजन के सब्जियों की बुआई की तैयारी में लग गए हैं हमलोग..." अब यमुना किनारे के इन खेतों में उगाई जा रही हरी सब्जियां खाने से पहले शायद आप हजार बार सोचेंगे . 

वैसे ये कहानी सिर्फ दिल्ली और आसपास के शहरों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि देश के हर शहर का यही हाल है. क्योंकि देश की कोई भी नदी अब प्रदूषण से मुक्त नहीं है. इस रिपोर्ट को देखने के बाद आप में से बहुत लोग ये सोच रहे होंगे कि आज से सब्जियां खाना ही छोड़ दिया जाए . लेकिन ये समस्या का स्थाई इलाज नहीं है . इस समस्या का हल नदियों को साफ रखने में ही छिपा हुआ है. क्योंकि हमारे देश में नदियों को एक गंदा नाला बनाकर छोड़ दिया गया है. इन नदियों में तमाम गंदगियों के अलावा फैक्ट्रियों से निकलने वाले जहरीले Chemicals, बिना किसी Treatment के छोड़ दिए जाते हैं. ये बहुत शर्म की बात है कि आजादी के 71 वर्षों के बाद भी हमने ऐसा सिस्टम तैयार नहीं किया है, जिससे नदियों को स्वच्छ बनाया जा सके. जिससे भारत के लोगों को स्वच्छ जल और शुद्ध भोजन का अधिकार मिल सके. जहरीली सब्जियों से आपके परिवार को बचाने के लिए हमारी ये मुहिम जारी रहेगी . आज आपने दिल्ली से हमारी ये रिपोर्ट देखी . आने वाले दिनों में हम देश के कई इलाकों में जाकर आपकी इस समस्या के बारे में विस्तार से बताएंगे ताकि देश की सरकारों और सिस्टम को...लापरवाही की नींद से जगाया जा सके . 

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