Disinvestment: अब 4 बैंकों का निजीकरण कर सकती है सरकार, बजट में किया था 2 का ऐलान
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Disinvestment: अब 4 बैंकों का निजीकरण कर सकती है सरकार, बजट में किया था 2 का ऐलान

बजट 2021 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने संसद में ऐलान किया था कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में 2 सरकारी  बैंकों का निजीकरण (Privatization) किया जा सकता है. हालांकि सरकार ने बैंकों के नाम नहीं बताए थे लेकिन अब खबर आ रही कि मोदी सरकार 4 बैंकों का निजीकरण कर सकती है. 

4 बैंकों के निजीकरण की तैयारी

दिल्ली: मोदी सरकार का विनिवेश (Disinvestment) पर जोर लगातार बढ़ता ही जा रहा है. खबरों की मानें तो मोदी सरकार जल्द ही 4 बैंकों के निजीकरण का ऐलान कर सकती है. ये बात इसलिए ज्यादा चौंकाने वाली है कि बजट में वित्त मंत्री ने केवल 2 सरकारी बैंकों के निजीकरण की बात कही थी लेकिन अब जो खबर आ रही है वो सबको हैरान कर देने वाली है.

  1. 4 बैंकों का हो सकता है निजीकरण
  2. बजट में सरकार ने किया था 2 का ऐलान
  3. विनिवेश का लक्ष्य पूरा करने की तैयारी

किन 4 बैंकों का हो सकता है निजीकरण

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra), इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक (Central Bank) के निजीकरण का ऐलान किया जा सकता है. इन तीन बैंकों के अलावा बैंक ऑफ इंडिया (Banl of India) के भी निजीकरण का ऐलान किया जा सकता है. हालांकि अभी तक सरकार की तरफ से कोई ऐलान नहीं किया गया है.

बैंकों का विलय और निजीकरण

सरकार की कोशिश है कि अब देश में केवल बड़े बैंक ही रहें. इन बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक (SBI), पंजाब नेशनल बैंक (PNB), बैंक ऑफ बड़ौदा और कैनरा बैंक का नाम आ रहा है. पिछले साल किए गए विलय (Merger) से पहले देश में कुल 23 सरकारी बैंक थे लेकिन अब कई बैंकों का विलय हो चुका है. फिलहाल देश में केवल 12 सरकारी बैंक बचे हैं.

सरकारी बैंकों की लिस्ट

1. बैंक ऑफ बड़ौदा 
2. बैंक ऑफ इंडिया
3. बैंक ऑफ महाराष्ट्र
4. केनरा बैंक
5. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया
6. इंडियन बैंक
7. इंडियन ओवरसीज बैंक
8. पंजाब नेशनल बैंक
9. पंजाब एंड सिंध बैंक
10. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया
11. यूको बैंक
12. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया

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विनिवेश का लक्ष्य पूरा करने की कोशिश

मोदी सरकार ने 2021-22 में विनिवेश का लक्ष्य कुल 1.75 लाख करोड़ तय किया है.  इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए मोदी सरकार भारत पेट्रोलियम, भारतीय जीवन बीमा निगम के अलावा बैंकों के निजीकरण की तैयारी भी कर रही है. एलआईसी का IPO तो अक्टूबर के बाद आना लगभग तय हो ही गया है. IPO के जरिए सरकार 1 लाख करोड़ तक की कमाई करना चाहती है.

खातेदारों को कोई नुकसान नहीं

वैसे बैंकों के विलय या निजीकरण के बाद खातेदारों को कोई नुकसान नहीं होता है. जिस बैंक में विलय किया जाता है उसी बैंक में खातेदारों का पूरी धनराशि जमा कर दी जाती है. केवल पासबुक , चेकबुक, बैंक की ऐप, आईएफएससी कोड इन सब में बदलाव किया जाता है. ग्राहक की जमा राशि पर कोई असर नहीं पड़ता है. हालांकि सरकारी बैंक और निजी बैंक में मिनिमम बैलेंस का नियम अलग-अलग होता है. आम तौर पर सरकारी बैंक में न्यूनतम धनराशि 1 हजार रुपये और निजी बैंक में 10 हजार रुपये तक होती है.

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निजीकरण पर सरकार का पक्ष

सरकार का दावा है कि कुछ सरकारी संस्थानों को चलाए रखने के लिए उनका निजीकरण बेहद जरूरी है. अगर उन संस्थानों का निजीकरण नहीं किया जाएगा तो उनके कर्मचारियों की सैलरी निकालना मुश्किल हो जाएगा. ऐसे में बेहतर है कि उन संस्थानों का निजीकरण कर लिया जाए जिससे कम से कम कर्मचारियों की नौकरी चलती रहे. जिन 4  बैंकों के निजीकरण की बात सामने आ रही है उनमें कुल मिलाकर 1 लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं. सरकार का दावा है कि किसी भी कर्मचारी की नौकरी को कोई खतरा नहीं होगा.

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