सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2018-19 में भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार 6.8 फीसदी के आसपास रही. जबकि, जनवरी-मार्च अप्रैल तिमाही के दौरान विकास की रफ्तार सबसे कम करीब 5.8 फीसदी रही.
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नई दिल्ली: भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार जरूर घट गई है, लेकिन सरकार की तरफ से पूरी कोशिश की जा रही है कि इसे दोबारा पटरी पर लाया जाए. लेकिन, पिछले दिनों ऐसा हुआ कि कुछ अर्थशास्त्रियों ने वर्तमान विकास दर को लेकर सवाल खड़ा किया. ऐसे दावों की वजह से विश्व भर के निवेशक प्रभावित होते हैं. इन तमाम घटनाओं के बीच रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने विशेषज्ञों को आंकड़ें चुनने के तरीके के खिलाफ चेताया.
दास का बयान ऐसे समय में आया है जब पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रहमण्यम ने अपने एक शोध में दावा किया था कि देश की GDP विकास के अनुमानों को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया गया है. उनके इस दावे को लेकर काफी विवाद भी हुआ. प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने इन दावों को खारिज करते हुए इसे सुब्रहमण्यम के आंकड़ों के चुनाव की बाजीगरी करार दिया था.
आर्थिक गतिविधियां खो रहीं हैं रफ्तार, निर्णायक मौद्रिक नीति की जरूरत, दास ने बैठक में कहा
बता दें, सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2018-19 में भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार 6.8 फीसदी के आसपास रही. जबकि, जनवरी-मार्च अप्रैल तिमाही के दौरान विकास की रफ्तार सबसे कम करीब 5.8 फीसदी रही. पहले उम्मीद की जा रही थी कि भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार 2018-19 में 7 फीसदी से कम नहीं होगी.
(इनपुट-भाषा)