RBI Rules: आरबीआई की तरफ से बैंकों और वित्तीय संस्थान के सीएफओ व ऑडिटर्स की मीटिंग बुलाई गई है. उम्मीद की जा रही है इस दौरान मीटिंग में बैंकों की बैलेंस शीट सही तरीके से दिखाने और फाइनेंशियल स्थिति को सही तरीके से सामने लाने के लिए सख्ती की बात कही जाएगी.
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RBI Zero Tolerance Policy: कुछ दिन पहले ही आरबीआई ने दो बैंकों के लाइसेंस रद्द किये हैं. इसके अलावा आरबीआई (RBI) ने पीएनबी पर भारी-भरकम पेनाल्टी भी डाली है. बैंकों के खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई आरबीआई की तरफ से नियमों का पालन नहीं करने पर की जाती है. लेकिन अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की तरफ से कमर्शियल बैंकों के मुख्य वित्तीय अधिकारियों (CFO) और एक्सटरनल ऑडिटर के साथ मीटिंग करने का प्लान किया गया है.
बैंकों को नियमों का सख्ती से पालन कराना मकसद
इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर के अनुसार आरबीआई और बैंक प्रमुख के बीच होने वाली बातचीत का मकसद बैंकों को नियमों का सख्ती से पालन कराने और किसी भी तरह की गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं करने का सख्त संदेश देना है. आरबीआई के दो डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव और जे स्वामीनाथन सीएफओ और ऑडिटर्स को संबोधित करेंगे. आरबीआई की तरफ से सीएफओ और ऑडिटर्स को उनकी जिम्मेदारी के बारे में जागरूक करना है. इस मीटिंग के जरिये यह तय किया जा सकेगा कि बैलेंस शीट बैंकों की फाइनेंशियल स्थिति को सही तरीके से दिखाया जा सके.
नियमों को लेकर कई बार टकराव होता है
एक सीनियर बैंकर की तरफ से कहा कि भरोसे की कमी की वजह से एक्सटरनल ऑडिटर और बैंकों के बीच, रेग्युलेटर और बैंक के बीच नियमों को समझने को लेकर कई बार टकराव होता रहता है. एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि बहुत से लोन दिये जा रहे हैं, इसी दौरान रेगुलेटर यह बैठक कर रहा है. कई बार लोन देने की जल्दबाजी में कभी-कभी पुराने खराब लोन को नये लोन से चुकता कर दिया जाता है. पिछले हफ्ते आरबीआई ने बैंकों के चीफ के साथ मीटिंग में लोन और जमा में बढ़ते फासले पर चिंता जताई थी.
जमा राशि में कमी के बावजूद लोन में इजाफा
जून में खत्म हुई तिमाही में कुछ बैंकों की तरफ से जमा राशि में कमी के बावजूद 15 से 16% तक का लोन में इजाफा होने की घोषणा की गई है. रेग्युलेटर इस मुद्दे को लेकर चिंतित है क्योंकि इससे बैंकों के लिए रिस्क बढ़ सकता है. रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में कुछ नियमों के उल्लंघन के चलते कुछ बैंकों के कारोबार करने पर रोक लगा दी है. इसी दौरान बैंक ऑडिटर और फाइनेंशियल डिपार्टमेंट प्रमुखों (CFO) के साथ बैठक कर रहा है.
अप्रैल में कोटक बैंक को डिजिटल बैंकिंग के जरिये नए ग्राहक बनाने और नए क्रेडिट कार्ड जारी करने पर रोक लगा दी गई थी. मार्च में, IIFL फाइनेंस को गोल्ड लोन देने पर रोक लगा दी गई थी. इससे पहले JM फाइनेंस को शेयर और बॉन्ड से जुड़े कारोबार करने पर रोक लगा दी गई थी. मार्च में पेटीएम पेमेंट्स बैंक को नए ग्राहक बनाने और जमा लेने पर रोक लगा दी गई थी. ये सभी पाबंदियां उन वित्तीय संस्थानों पर लगाई गई थी जो बहुत तेजी से बढ़ रहीं थीं, लेकिन इसके साथ नियमों का पालन नहीं किया जा रहा.