RBI ने बैंक ग्राहकों को दिया बड़ा झटका, प्राइवेट बैंकों में हो रहे ज्यादा फ्रॉड, क्या करें अब ग्राहक?
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RBI ने बैंक ग्राहकों को दिया बड़ा झटका, प्राइवेट बैंकों में हो रहे ज्यादा फ्रॉड, क्या करें अब ग्राहक?

Reserve Bank of India: इस समय देशभर में बैंकिंग धोखाधड़ी (Banking Fraud) के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं और इस बारे में खुद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of india) ने जानकारी दी है. आरबीआई की तरफ से रिपोर्ट (RBI Report) जारी कर इस बारे में बताया गया है. 

RBI ने बैंक ग्राहकों को दिया बड़ा झटका, प्राइवेट बैंकों में हो रहे ज्यादा फ्रॉड, क्या करें अब ग्राहक?

Banking Fraud Cases: बैंक के नाम पर कई बार लोगों के फेक कॉल्स (Fake Calls) आती हैं, जिसके बाद में उनके खाते से लाखों रुपये गायब हो जाते हैं. इस समय देशभर में बैंकिंग धोखाधड़ी (Banking Fraud) के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं और इस बारे में खुद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of india) ने जानकारी दी है. आरबीआई की तरफ से रिपोर्ट (RBI Report) जारी कर इस बारे में बताया गया है. इसके साथ ही आरबीआई ने कहा है कि बैंक में खाता रखने वाले ग्राहक इस तरह की फेक कॉल्स और धोखाधड़ी से सावधान रहें. 

2022-23 में बढ़े धोखाधड़ी के मामले
बैंकिंग क्षेत्र में धोखाधड़ी के मामले 2022-23 में बढ़कर 13,530 हो गए. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को इस बारे में आंकड़े जारी किए. धोखाधड़ी के इन मामलों में शामिल कुल राशि 30,252 करोड़ रुपये थी, जो इससे पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले करीब आधी है.

कार्ड और इंटरनेट के जरिए हुई धोखाधड़ी
आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट 2022-23 में कहा गया कि मात्रा के लिहाज से धोखाधड़ी मुख्य रूप से डिजिटल भुगतान (कार्ड/इंटरनेट) की श्रेणी में हुई. यदि मूल्य के लिहाज से बात करें तो मुख्य रूप से लोन पोर्टफोलियो (अग्रिम श्रेणी) में सबसे अधिक धोखाधड़ी की सूचना मिली.

1,32,389 करोड़ रुपये की हुई धोखाधड़ी
वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, 2021-22 में कुल 9,097 धोखाधड़ी के मामले प्रकाश में आए, जिसमें 59,819 करोड़ रुपये की राशि शामिल थी. इससे पहले 2020-21 में धोखाधड़ी के 7,338 मामलों में शामिल कुल राशि 1,32,389 करोड़ रुपये थी.

प्राइवेट बैंकों में ज्यादा हे रहे धोखाधड़ी के मामले
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘पिछले तीन वर्षों में बैंकों के धोखाधड़ी के मामलों के अध्ययन से पता चलता है कि संख्या के लिहाज से निजी क्षेत्र के बैंकों ने धोखाधड़ी की अधिक सूचना दी, जबकि मूल्य के लिहाज से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अधिक धोखाधड़ी के मामले दर्ज कराए.’’ इन आंकड़ों में तीन वर्षों के दौरान दर्ज किए गए एक लाख रुपये और उससे अधिक की धोखाधड़ी से जुड़े मामले शामिल हैं.

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