Red Sea impact: लाल सागर में हूति विद्रोहियों के आतंक का असर अब दिखने लगा है. भारत के आयात-निर्यात पर इसका असर पड़ रहा है. माल ढुलाई को बढ़ा ही, साथ ही साथ अब एक्सपोर्ट-इंपोर्ट में मुश्किल आने लगी है. शॉपिंग कॉस्ट बढ़ने और निर्यात प्रभावित होने से अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ने लगा है.
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Red Sea Conflict: लाल सागर में हूति विद्रोहियों के आतंक का असर अब दिखने लगा है. भारत के आयात-निर्यात पर इसका असर पड़ रहा है. माल ढुलाई को बढ़ा ही, साथ ही साथ अब एक्सपोर्ट-इंपोर्ट में मुश्किल आने लगी है. शॉपिंग कॉस्ट बढ़ने और निर्यात प्रभावित होने से अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ने लगा है. भारत का निर्यात गिर रहा है. यूरोप के लिए डीजल निर्यात दिसंबर 2023 में 287000 बैरल प्रति दिन के मुकाबले गिरकर जनवरी 2024 में 40000 बैरल प्रति दिन पर पहुंच गया है. यूरोप के पेट्रोलियम प्रोडक्ट एक्सपोर्ट में जनवरी में 70 फीसदी की गिरावट आई है, जो जुलाई 2022 के बाद से सबसे कम है.
लाल सागर का संकट, भारत को बढ़ रहा नुकसान
लाल संकट का संकट गहराता जा रहा है. इसका असर अब भारत पर भी दिखने लगा है. जनवरी 2024 में यूरोप को होने वाला निर्यात 18 महीने के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है. सबसे ज्यादा असर डीजल और पेट्रोलियम प्रोडक्ट पर पड़ा है. शिपिंग कंपनियां हूतियों के हमले से बचने की कोशिश कर रही है. जिसके चलते उन्हें स्वेज नहर के बजाए लंबा रूट लेना पड़ रहा है. लंबे रूट के चलते शिपिंग कॉस्ट बढ़ रही है. जिसका असर निर्यात पर पड़ा रहा है. अगर जनवरी में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के एक्सपोर्ट को देखें तो भारत का पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का निर्यात दिसंबर 2023 में 1.11 मिलियन बैरल प्रति दिन था, जो करीब 18 फीसदी गिर गया है. लाल सागर में हूतियों के खौफ के चलते शिपिंग कंपनियां स्वेज नहर के रास्ते से दूरी बना रही है.
लाल सागर के संकट ने बढ़ाई भारत की टेंशन
लाल सागर का संकट भारतीय निर्यातकों को डराने लगा है. हूतियों के हमले के चलते बढ़ी टेंशन के चलते माल ढुलाई की दरें (फ्राइट रेट) 700 फीसदी तक उछल गई हैं. शिपिंग कॉस्ट बढ़ने से निर्यातकों की लागत बढ़ गई है.लाल सागर में हूतियों के हमले के चलते कंपनियां पश्चिम देशों में पहुंचने के लिए माल ढुलाई के लिए लंबा रास्ता चुनने को मजबूर हैं.
हूतियों का हमला, भारत के निर्यात पर असर
लाल सागर संकट के चलते यूरोपीय संघ और मिस्र जैसे देशों में भारतीय बासमती चावल का निर्यात प्रभावित हो रहा है. हालांकि भारत के बड़े निर्यातक बाजारों पर इसका असर नहीं हुआ है. आपको बता दें कि लाल सागर मार्ग वैश्विक कारोबार के लिए महत्वपूर्ण शिपिंग लेन है. ये जलमार्ग अफ्रीका और एशिया को जोड़ता है. लाल सागर को वैश्विक वस्तुओं और ऊर्जा आपूर्ति के लाइफलाइन के तौर पर देखा जाता है.