कभी देश के हर कोने में बजती थी घंटी, आज नहीं थम रही मुश्किलें; SBI ने इस सरकारी कंपनी का खाता किया NPA
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कभी देश के हर कोने में बजती थी घंटी, आज नहीं थम रही मुश्किलें; SBI ने इस सरकारी कंपनी का खाता किया NPA

MTNL NPA: भारतीय स्टेट बैंक ने कर्ज में डूबी कंपनी एमटीएनएल के ऋण खातों को 30 जून से किस्तों और ब्याज का भुगतान न करने के कारण एनपीए घोषित कर दिया है. 

कभी देश के हर कोने में बजती थी घंटी, आज नहीं थम रही मुश्किलें; SBI ने इस सरकारी कंपनी का खाता किया NPA

MTNL Latest News: सरकारी दूरसंचार कंपनी MTNL के मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने कर्ज में डूबी कंपनी एमटीएनएल के ऋण खातों को 30 जून से किस्तों और ब्याज का भुगतान न करने के कारण कमतर मानक वाला गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) घोषित किया है. सरकारी दूरसंचार कंपनी ने शेयर बाजार को यह जानकारी दी है.

एसबीआई ने एक अक्टूबर को शेयर बाजार को दी जानकारी में कहा था कि 30 सितंबर तक एमटीएनएल ऋण खाते पर कुल बकाया 325.52 करोड़ रुपये था. एमटीएनएल ने कहा, "एसबीआई ने एक अक्तूबर 2024 के अपने पत्र के जरिए बताया कि एमटीएनएल के सावधि ऋण खाते संख्या 36726658903 को ब्याज और किस्त का भुगतान न करने के कारण 28 सितंबर, 2024 से एनपीए - कमतर मानक श्रेणी में डाल दिया गया है." 

तुरंत लोन चुकाए एमटीएनएल- SBI

बैंक उन खातों को एनपीए में वर्गीकृत करते हैं, जिनकी अदायगी न करने की अवधि 12 महीने से कम है और जो बकाया चुकाने की क्षमता रखते हैं. एसबीआई ने पत्र में कहा कि एमटीएनएल पर 281.62 करोड़ रुपये बकाया हैं, और खाते को नियमित करने के लिए इसे तुरंत चुकाया जाना चाहिए. 

कभी देश के हर कोने में बजती थी घंटी

एक समय था जब एमटीएनएल की घंटी देश के हर कोने में बजती थी. लेकिन आज इसका सारा कामकाज लगभग बीएसएनएल के पास है. सरकार ने कंपनी के 3,000 कर्मचारियों को वीआरएस देने की पेशकश की योजना बनाई है या फिर उन कर्मचारियों को बीएसएनएल में ट्रांसफर किया जा सकता है. 

कंपनी की बिगड़ती आर्थिक सेहत के चलते इसका ऑपरेशन बीएसएनएल को सौंप दिया गया है. सरकार ने दोनों की सरकारी टेलीकॉम कंपनियों को बचाने के लिए बीच-बीच में बूस्टर डोज भी दिया. साल 2019 से दोनों कंपनियों को कुल 3.22 लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज दिया है, कर्मचारियों को रिवाइवल वीआरएस प्लान का विकल्प दिया गया, ताकि कंपनी की लागत को कम किया जा सके.  

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