SEBI ने टॉप 500 कंपनियों में चेयरमैन और MD का पद अलग करने की मियाद बढ़ाई, जानिए वजह
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SEBI ने टॉप 500 कंपनियों में चेयरमैन और MD का पद अलग करने की मियाद बढ़ाई, जानिए वजह

मार्केट रेगुलेटर सेबी से कॉरपोरेट इंडिया के लिए राहत की खबर है. सेबी ने मार्केट कैपिटल के लिहाज़ से टॉप 500 कंपनियों में चेयरमैन और एमडी का पद अलग करने की मियाद 2 साल बढ़ा दी है.

सेबी से कॉरपोरेट इंडिया के लिए राहत की खबर

नई दिल्ली: मार्केट रेगुलेटर सेबी से कॉरपोरेट इंडिया के लिए राहत की खबर है. सेबी ने मार्केट कैपिटल के लिहाज़ से टॉप 500 कंपनियों में चेयरमैन और एमडी का पद अलग करने की मियाद 2 साल बढ़ा दी है. कंपनियों में अब चेयरमैन और एमडी के पद को अलग करने का नियम 1 अप्रैल 2022 से लागू होगा.

हालांकि ये साफ करना जरूरी है कि नियम को रद्द नहीं किया गया है. बल्कि इसे टाला गया है. सेबी ने कॉरपोरेट गवर्नेंस पर बनी उदय कोटक समिति की सिफारिशों के आधार पर मई 2018 में निर्देश जारी किया था. बैंकों को 31 मार्च 2020 तक की मोहलत दी गई थी. सेबी का मकसद था कि इससे कंपनियों के कॉरपोरेट गवर्नेंस में सुधार आएगा.

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नियम के मुताबिक कंपनियों में चेयरमैन का पद नॉन एक्ज़ीक्यूटिव रोल का होगा. चेयरमैन का फोकस कंपनी के लिए रणनीति बनाने और कामकाज की निगरानी पर होगा, जबकि एमडी की जिम्मेदारी कंपनी के नियमित कामकाज को देखने की होगी.   

अमल को टालने के लिए सेबी की ओर से कोई वजह तो नहीं बताई गई है लेकिन माना जा रहा है कि कॉरपोरेट इंडिया की ओर से इसकी मांग की गई थी. कंपनियों की दलील थी कि इकोनॉमी का माहौल ठीक नहीं है. ऐसे में किसी बड़े बदलाव को लागू करना ठीक नहीं होगा. क्योंकि कंपनियों को कंप्लायंस में कठिनाई होगी.

साथ ही कई कंपनियों के मैनेजमेंट में फेरबदल से अस्थिरता भी हो सकती है. रिलायंस इंडस्ट्रीज, कोल इंडिया, ONGC जैसी कंपनियों में चेयरमैन और एमडी दोनों का बंटवारा नहीं हुआ है. 

दरअसल 500 कंपनियों में से आधे से ज्यादा कंपनियों में कंप्लायंस हो चुका है. लेकिन कई बड़ी कंपनियों में इस पर अमल होना बाकी था. कहा जा रहा है कि इसे रोकने के लिए लेकर वित्त मंत्रालय से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक से गुहार की गई थी. हालांकि सेबी अधिकारियों के मुताबिक इस प्रस्ताव पर अमल के लिए कंपनियों को लंबा समय दिया गया था. मई 2018 में प्रस्ताव पर अमल का निर्देश आया था.

जानकारों की मानें तो समय सीमा बढ़ाना ठीक है. लेकिन कॉरपोरेट गवर्नेंस को बेहतर करने के लिहाज से इस प्रस्ताव पर अमल होना चाहिए. इससे कंपनियों के कामकाज में बेहतरी की उम्मीद जगेगी.

नियमों के अमल के मियाद में विस्तार से कंपनियों को चेयरमैन और एमडी पद पर बेहतर प्रत्याशी चुनने के लिए वक्त मिलेगा.  

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