Stock Market News: शेयर बाजार में निवेश बढ़ने के साथ इंट्रा डे और फ्यूचर एंड ऑप्शन में पैसा लगाने वालों की संख्या भी बढ़ रही है. बाजार के नए रिकॉर्ड छूने के साथ ही सेबी ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसे बढ़कर आप हैरान रह जाएंगे.
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Stock Market Indraday Trading: अगर आप शेयर बााजर के इंट्रा डे ऑप्शन या इक्विटी में निवेश करते हैं तो यह खबर आपके काम की है. मार्केट रेग्युलेटर सेबी (SEBI) की स्टडी से सामने आया है कि इंट्रा डे में अधिकतर लोगों को नुकसान हो रहा है. स्टडी से सामने आया कि इक्विटी कैश सेग्मेंट में 10 में से सात इंट्राडे ट्रेडर को वित्त वर्ष 2022-23 में घाटा उठाना पड़ा था. इक्विटी मार्केट में शेयर की खरीद और बिक्री एक ही कारोबारी सत्र में पूरी करने को ‘इंट्राडे’ बिजनेस कहा जाता है. सेबी की तरफ से यह रिपोर्ट जारी की गई है.
इंट्राडे बिजनेस करने वाले संख्या 300 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ी
सेबी की रिपोर्ट के अनुसार फाइनेंशियल ईयर 2018-19 की तुलना में 2022-23 के दौरान इक्विटी सेग्मेंट में इंट्राडे बिजनेस करने वाले लोगों की संख्या 300 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ गई. रिपोर्ट का रोचक पहलू यह है कि फायदे में रहने वाले कारोबारियों की तुलना में घाटे में चलने वालों ने औसतन कहीं ज्यादा संख्या में सौदे किए. इसके अलावा 30 साल से कम उम्र के युवा इंट्राडे कारोबारियों की हिस्सेदारी इस अवधि में ज्यादा बढ़ गई. सेबी ने इक्विटी कैश सेग्मेंट में पर्सनल इंट्राडे कारोबार में हिस्सेदारी और लाभ व हानि के रुझानों के विश्लेषण के लिए यह स्टडी की है.
हर तीन में से एक शख्स इंट्राडे ट्रेड करता है
स्टडी में कोविड महामारी से पहले और बाद के रुझानों का तुलना के आधार पर विश्लेषण किया गया है. इसके लिए वित्त वर्ष 2018-19, वित्त वर्ष 2021-22 और वित्त वर्ष 2022-23 की अवधि को लिया गया. वित्त वर्ष 2022-23 में इक्विटी नकदी खंड में व्यक्तिगत ग्राहकों की संख्या का लगभग 86 प्रतिशत हिस्सा रखने वाली शीर्ष-10 ब्रोकिंग फर्मों के व्यक्तिगत ग्राहकों के नमूने पर यह अध्ययन किया गया है. सेबी ने अध्ययन में पाया कि इक्विटी नकदी खंड में कारोबार करने वाले हर तीन में से एक व्यक्ति इंट्राडे सौदा करता है.
30 साल से कम उम्र के युवा इंट्राडे कारोबारियों की हिस्सेदारी 2022-23 में बढ़कर 48 प्रतिशत हो गई, 2018-19 में यह अनुपात 18 प्रतिशत था. अध्ययन के अनुसार 2022-23 में इक्विटी नकदी खंड में 10 में से 7 इंट्राडे कारोबारियों को घाटा उठाना पड़ा. इसके अलावा बहुत बार कारोबार करने वाले कारोबारियों में से 80 प्रतिशत घाटे में रहे. इन कारोबारियों ने अपने कारोबारी घाटे का अतिरिक्त 57 प्रतिशत सौदा लागत के रूप में खर्च किया जबकि फायदा कमाने वालों ने अपने ट्रेडिंग मुनाफे का 19 प्रतिशत ट्रेडिंग लागत के रूप में खर्च किया. (इनपुट भाषा से भी)