PMI Data July 2023: भारत में सर्विस सेक्टर (Service Sector) की वृद्धि जुलाई में 13 साल के उच्चस्तर पर पहुंच गई है. एक मासिक सर्वेक्षण में बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी गई है.
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Service Sector Growth: देश के सर्विस सेक्टर इकोनॉमिक ग्रोथ (economic growth) में एक जरूरी स्थान है. आज पीएमआई का आंकड़ा (PMI Data) जारी हो गया है. भारत में सर्विस सेक्टर (Service Sector) की वृद्धि जुलाई में 13 साल के उच्चस्तर पर पहुंच गई है. एक मासिक सर्वेक्षण में बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी गई है. इसमें कहा गया है कि मांग में उल्लेखनीय सुधार और अंतरराष्ट्रीय बिक्री बढ़ने से जुलाई में सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में तेजी आई है.
जून 2010 के बाद सबसे तेज ग्रोथ
मौसमी रूप से समायोजित एसएंडपी ग्लोबल भारत सेवा पीएमआई कारोबारी गतिविधि सूचकांक जून के 58.5 से बढ़कर जुलाई में 62.3 पर पहुंच गया है. इससे पता चलता है कि उत्पादन में जून, 2010 के बाद सबसे तेज वृद्धि हुई है.
50 से ऊपर होने का क्या है मतलब?
सेवा पीएमआई इंडेक्स लगातार 24वें महीने 50 से ऊपर बना हुआ है. खरीद प्रबंधक सूचकांक (PMI) की भाषा में 50 से ऊपर अंक का मतलब गतिविधियों में विस्तार से और 50 से कम अंक का आशय संकुचन से होता है.
क्या है एक्सपर्ट की राय?
एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस में अर्थशास्त्र की एसोसिएट निदेशक पॉलियाना डी लीमा ने कहा है कि सेवा क्षेत्र की जुझारू क्षमता भारत की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है. जुलाई के पीएमआई आंकड़ों से पता चलता है कि दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में इसका योगदान काफी उल्लेखनीय रहेगा. सर्वे में शामिल सदस्यों का कहना है कि इस तेजी में मुख्य योगदान मांग में बढ़ोतरी तथा नए ऑर्डर हैं.
13 साल के रिकॉर्ड लेवल पर
भारतीय सेवाओं की मांग जुलाई में बढ़कर 13 साल के उच्चस्तर पर पहुंच गई. सर्वे में शामिल 29 प्रतिशत भागीदारों ने कहा कि उन्हें इस दौरान अधिक नया कारोबार हासिल हुआ है.
ग्लोबल मार्केट में हुई बिक्री
लीमा ने कहा है कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बिक्री में व्यापक वृद्धि एक स्वागतयोग्य खबर है. विशेषरूप से चुनौतीपूर्ण वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए. कई देशों मसलन बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को कंपनियों का सेवाओं का निर्यात बढ़ा है. उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति के मोर्चे पर बात की जाए, तो निगरानी वाली कंपनियों की खाद्य, श्रम और परिवहन की लागत बढ़ी है. हालांकि, लागत दबाव के बावजूद कंपनियों ने शुल्क में कम वृद्धि की है क्योंकि वे अपनी मूल्य रणनीति को लेकर सतर्क हैं.
एजेंसी - इनपुट