Company Loss Reason: साइकोलॉजी के प्रोफेसर ने किया एक सर्वे, इस सर्वेक्षण में बताया गया है कि कंपनियां कैसे बेवजह के फैसले लेकर अपना खुद का करोड़ो में नुकसान कर लेती है.
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Meeting Side effects: नॉर्थ कैरोलिना यूनिवर्सिटी के सर्वे में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. इस सर्वे को वहां के साइकोलॉजी और मैनेजमेंट के प्रोफेसर स्टीवन रोजेलबर्ग ने किया है. इस सर्वे में बड़ी बड़ी कंपनियों में होने वाली बेवजह की मीटिंग्स के बारे में बताया है. सर्वे से पता चला है कि कंपनी हर साल 100 मिलियन डॉलर यानी लगभग 800 करोड़ रुपये इन मीटिंग्स पर खर्च कर देती है.
कर्मचारियों ने किए बड़े खुलासे
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, प्रोफेसर स्टीवन रोजेलबर्ग ने एक सर्वे किया. जिसमें 20 इंडस्ट्रीज के 632 कर्मचारियों का इंटरव्यू लिया और उनसे उनकी नौकरी को लेकर कुछ सवाल किए. इसके अलावा उन्होंने कर्मचारियों से पूछा कि वे मीटिंग्स में कितना वक्त बिताते हैं? क्या इन मीटिंग्स से कुछ फायदा होता है? इन मीटिंग्स के लिए जब बुलाया जाता है तो उन कर्मचारियों का क्या जवाब होता है? इस सर्वे में बताया गया है कि वे लोग हर हफ्ते मीटिंग्स में 18 घंटे बिताते हैं. कुछ कर्मचारियों ने मीटिंग्स के इनविटेशन में ना भी कहा, लेकिन ना बोलने वालों की संख्या बहुत कम है. कुछ कर्मचारी बीच मीटिंग से उठ कर आ जाते हैं.
बेवजह कंपनियां भुगतती है करोड़ो का नुकसान!
इस सर्वे के मुताबिक, बेवजह की मीटिंग्स से कंपनी एक कर्मचारी पर लगभग 25000 डॉलर सालाना बर्बाद करती है. अगर किसी कंपनी में 5000 से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे हैं, तो इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कंपनी सालाना 101 मिलियन डॉलर बर्बाद कर देती है. प्रोफेसर रोजेलबर्ग ने बताया, मीटिंग्स कहीं न कहीं चीजों को कंट्रोल करने के लिए की जाती है और खराब मीटिंग्स का खामियाजा ज्यादा होता है. अगर किसी कर्मचारी को मीटिंग का इनविटेशन मिलता है और वो, वहां जाना नहीं चाहता है, लेकिन फिर भी उन्हें दबाव में जाना पड़ता है. ऐसा क्यों?
प्रोफेसर ने मैनेजरों को दी हिदायत!
इस सर्वे में हैरान करने वाली बात सामने आई है, इसमें बताया गया है कि खराब तरह से मैनेज की गई मीटिंग्स की वजह से कर्मचारियों के काम पर बुरा असर पड़ता है. वहीं चौंकाने वाली बात तो ये है कि कुछ कर्मचारी तो इन खराब मीटिंग्स के चलते नौकरी छोड़ने का मन बना लेते हैं.
कर्मचारियों को दें आजादी
प्रोफेसर रोजेलबर्ग ने बताया है कि मैनेजर को मीटिंग्स काफी सोच समझकर बुलाना चाहिए. उन्होंने बताया है कि कर्मचारियों को ना कहने की आजादी भी देना चाहिए. इन्होंने कर्मचारियों की हर घंटे की सैलरी के हिसाब से अनुमान लगाया और बताया है कि हर हफ्ते मीटिंग की वजह से कंपनी कितना नुकसान झेलती है.
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