GST की कामयाबी के लिए टैक्स स्लैब की संख्या घटाने की सलाह
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GST की कामयाबी के लिए टैक्स स्लैब की संख्या घटाने की सलाह

जीएसटी में इस समय 0, 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत के पांच स्लैब हैं. इसमें 12 और 18 प्रतिशत को मिलाकर एक दर की जा सकती है तथा शीर्ष दर को भी कम किया जा सकता है.

जीएसटी में इस समय 0, 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत के पांच स्लैब हैं. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: माल एवं सेवाकर (जीएसटी) को लागू हुये छह माह पूरे होने को हैं, लेकिन कारोबारी अभी इसके साथ पूरी तरह सहज नहीं हो पाए हैं. ऐसे में विशेषज्ञों ने सरकार और कारोबारियों के बीच तालमेल व सहयोग बढ़ाने और कर स्लैब की संख्या घटाने की सलाह दी है. कारोबारियों का कहना है कि जीएसटी के स्लैब पांच से घटाकर तीन किये जाने चाहिये तथा सेवाओं पर कर की दर बढ़ाने के नकारात्मक प्रभाव पर भी गौर करने की जरूरत है. गौर तलब है कि जीएसटी में सेवाओं पर कर की दर 14 प्रतिशत से बढ़ कर 18 प्रतिशत हो गयी है. विशेषज्ञों के अनुसार सरकार हालांकि, उद्यमियों की जीएसटी से जुड़ी तमाम परेशानियों को दूर करने के लिये हरसंभव कदम उठा रही है, लेकिन जीएसटी के वास्तविक व्यवहार में आने वाली समस्याओं को जल्द से जल्द दूर किये जाने की जरूरत है.

  1. शेयर ब्रोकिंग पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता है. 
  2. रिटर्न फार्म को और आसान करने की जरूरत है. 
  3. ई-वे बिल को जल्द लागू किया जाना चाहिये.

आर्थिक क्षेत्र के कुछ अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी में शीर्ष दर कम होनी चाहिये. इसमें जो पांच स्लैब हैं उन्हें कम करके तीन किया जाना चाहिये. हालांकि, सरकार की ओर से भी समय समय पर इस बारे में संकेत दिये गये हैं कि आने वाले समय में जीएसटी के स्लैब कम किये जायेंगे. जीएसटी में इस समय 0, 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत के पांच स्लैब हैं. इसमें 12 और 18 प्रतिशत को मिलाकर एक दर की जा सकती है तथा शीर्ष दर को भी कम किया जा सकता है.

पीएचडी वाणिज्य एवं उद्योग मंडल के मुख्य अर्थशास्त्री एस.पी. शर्मा ने कहा, ‘‘जीएसटी के मौजूदा स्लैब को लेकर उद्यमियों में कुछ परेशानी है. इसमें सरलता लाई जानी चाहिये. स्लैब कम होने चाहिये, पांच से कम कर तीन स्लैब होने चाहिये. निर्यातकों को रिफंड नहीं मिल रहा है यह जल्द जारी होना चाहिये.’’ पीएचडी मंडल के ही अप्रत्यक्ष कर समिति के अध्यक्ष बिमल जैन ने कहा, ‘‘जीएसटी की पूरी प्रक्रिया सामान्य हो जाये सरकार इसके लिये कोशिश कर रही है. लेकिन इसमें कहीं न कहीं समस्या बनी हुई है. यही वजह है कि सरकार ने जीएसटी के मामले में एक तरफ पुचकारने का काम किया है तो दूसरी तरफ रिटर्न भरने के लिये कुछ डराने वाले वक्तव्य भी दिये हैं.’’

जैन ने कहा कि जीएसटी को जिस सोच के साथ लागू किया गया, उसके साथ पटरी बिठाने और स्थितियां सामान्य होने में समय लगेगा. ‘‘लोगों का माइंडसैट बदलने में समय लगेगा. एक बड़ा हिस्सा है जो अभी भी रिटर्न भरने के तौर तरीकों से रूबरू होने का प्रयास कर रहा है. धीरे धीरे चीजें सुधर रही हैं.’’ दिल्ली शेयर बाजार के पूर्व अध्यक्ष और ग्लोब कैपिटल इंडिया के चेयरमैन अशोक अग्रवाल का कहना है कि जीएसटी में कर की दरें ठीक की जानी चाहिये. ‘‘जो अब तक 14 प्रतिशत सेवाकर देते रहे हैं उन्हें सेवाकर के रूप में 18 प्रतिशत जीएसटी देना पड़ रहा है. यह दर 16 प्रतिशत के आसपास होनी चाहिये.’’ शेयर ब्रोकिंग पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता है. रिटर्न फार्म को और आसान करने की जरूरत है. ई-वे बिल को जल्द लागू किया जाना चाहिये. इससे कर वसूली बेहतर होगी.

(इनपुट एजेंसी से भी)

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