EPFO एक निवेश का सबसे बढ़िया साधन नौकरीपेशा लोगों के लिए है. हर साल पीएफ खाते में मिलने वाले ब्याज का निर्धारण संगठन की सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी और श्रम मंत्रालय करता है, जिस पर वित्त मंत्रालय अपनी मुहर लगाता है. पीएफ बैलेंस का निर्धारण ओपनिंग और क्लोजिंग बैलेंस से होता है.
Trending Photos
नई दिल्लीः कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) अपने करोड़ों अंशधारकों के खातों का संचालन करता है. इन खातों में कर्मचारी और नियोक्ता मूल वेतन व डियरनेस अलाउंस की 24 फीसदी राशि जमा करवाते हैं. जमा राशि पर जो ब्याज होता है, वो बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. ऐसे में लोगों को ये पता होना जरूरी है कि कैसे ईपीएफओ ब्याज के जरिए बैलेंस का निर्धारण करता है.
Opening व Closing Balance की राशि होती है तय
ईपीएफओ हमेशा खाते में राशि का ओपनिंग और क्लोजिंग बैलेंस लेता है. यह राशि एक वित्तीय वर्ष की शुरुआत और समाप्ति के वक्त तय की जाती है. इसका आकलन करने के लिए मासिक रनिंग बैलेंस को जोड़ा जाता है और ब्याज के रेट /1200 से गुणा कर दिया जाता है.
यह भी पढ़ेंः 390 रुपये की रोजाना EMI पर मिल रही है Maruti Suzuki की ये Best 7 seater Car
रकम निकालने से भी पड़ता है असर
यदि चालू वर्ष के दौरान कोई राशि निकाली जाती है तो, ब्याज की रकम साल की शुरुआत से लेकर निकासी के तुरंत पहले वाले महीने की ली जाती है. साल का क्योजिंग बैलेंस उसका ओपनिंग बैलेंस होगा+कंट्रीब्यूशन-निकासी (यदि कोई है तो)+ब्याज.
उदाहरण के लिए यदि ब्याज दर 8.65% है और बैलेंस 1,12,345 रुपये है तो कुल मासिक बैलेंस 11,04,740 रुपये हो जाएगा. ब्याज 1104740 X (8.65/1200) = 7,963 रुपये हो जाएगा. इस प्रकार से साल का क्लोजिंग बैलेंस हो जाएगा ओपनिंग बैलेंस+कंट्रीब्यूशन-निकासी+ब्याज 1,12,345 + 1200 – 25000 + 7963 = 96,508 रुपये
सरकार ने रोजगार को बढ़ावा देने और नए रोजगार के अवसरों को प्रोत्साहन दिए जाने को मंजूरी दी है. यह मंजूरी आत्मनिर्भर भारत पैकेज तीन के तहत कोविड रिकवरी फेज के औपचारिक क्षेत्र में रोजगार को बढ़ावा दिए जाने के लिए दी गई है. मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए 1,584 करोड़ रुपये की धनराशि व्यय करने की अनुमति दी गई है.
सभी नए कर्मचारियों को दो वर्ष की अवधि के लिए मिलेगी सब्सिडी
जानकारी के मुताबिक, सामने आया है कि इस योजना अवधि में लगभग 58.5 लाख कर्मचारी लाभान्वित हो सकते हैं. इस योजना के तहत केंद्र सरकार एक अक्टूबर 2020 को या उसके बाद और 30 जून, 2021 तक शामिल सभी नए कर्मचारियों को दो वर्ष की अवधि के लिए सब्सिडी प्रदान करेगी.
2 सालों तक पीएफ सरकार भरेगी
इसके मुताबिक जिन रोजगार प्रदाता संगठनों में 1000 से अधिक कर्मचारी हैं वहां केन्द्र सरकार नए कर्मचारियों के संदर्भ में दो वर्ष की अवधि के लिए ईपीएफ में केवल 12 प्रतिशत कर्मचारी योगदान देगी. कोई कर्मचारी जिसका मासिक वेतन 15,000 रुपये से कम है और वह किसी ऐसे संस्थान में काम नहीं कर रहा था जो एक अक्टूबर 2020 से पहले कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) से पंजीकृत था और उसके पास इस अवधि से पहले यूनिवर्सल अकाउंट नंबर या ईपीएफ सदस्य खाता नंबर नहीं था तो वह इस योजना के लिए पात्र होगा.
ये भी देखें-