Budget 2023: सरकारी कर्मचारियों को नए साल में बड़ी खुशखबरी मिल सकती है. सरकार वित्त वर्ष 2023-24 के आम बजट को बनाने की कवायद शुरू हो चुकी है. इस बीच वित्त मंत्री से सोशल सिक्योरिटी के तहत पेंशन बढ़ाने और मैटरनिटी लाभ के लिए पर्याप्त प्रावधान करने की मांग की गई है. आइये जानते हैं लेटेस्ट अपडेट.
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Union Budget 2023: सरकारी कर्मचारियों के लिए नया साल कई बड़ी खुशखबरी लेकर आ सकता है. जहां एक तरफ सलेरी से जुड़े कई बड़े फैसले पर मुहर लगने की चर्चा जोरो पर है वहीं, दूसरी तरफ पेंशन और मैटरनिटी लाभ में भी बढ़ोतरी के आसार हैं. दरअसल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) अगले वित्त वर्ष का बजट (Union Budget 2023) एक फरवरी, 2023 को पेश करेंगी. इसके साथ ही बजट की तैयारियां भी तेजी से चल रही है. इस बीच बड़े अर्थशास्त्रियों ने अगले वित्त वर्ष के बजट से पहले सोशल सिक्योरिटी के तहत पेंशन बढ़ाने और मैटरनिटी लाभ के लिए पर्याप्त प्रावधान करने की मांग की है.
पेंशन बढ़ाने की मांग
दरअसल, अर्थशास्त्रियों ने वित्त मंत्री से सोशल सिक्योरिटी के तहत पेंशन बढ़ाने और मैटरनिटी लाभ के लिए पर्याप्त प्रावधान करने की मांग की है. इसके लिए उन्होंने वित्त मंत्री को लेटर लिखा है. इस लेटर पर हस्ताक्षर कर अपनी सहमती जताने वालों में दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के मानद प्रोफेसर ज्यां द्रेज, कैलिफोर्निया बार्कले यूनिवर्सिटी के मानद प्रोफेसर प्रणब बर्धन, मुंबई स्थित इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ डेवलपमेंट रिसर्च (IIDR) में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर आर नागराज, आईआईटी दिल्ली में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर रीतिका खेरा, जेएनयू के मानद प्रोफेसर सुखदेव थोराट समेत अन्य शामिल हैं. पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले अर्थशास्त्रियों ने वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में एनएफएसए मानदंडों के तहत मातृत्व अधिकारों को पूर्ण रूप से लागू किए जाने की भी मांग की है. आपको बता दें कि इसके लिए कम-से-कम 8,000 करोड़ रुपये की जरूरत होगी
पूर्व वित्त मंत्री को भी लिखा था पत्र
न्यूज एजेंसी भाषा की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक अर्थशास्त्रियों ने इस पत्र में यह बताया है कि उन्होंने इससे पहले 20 दिसंबर, 2017 और 21 दिसंबर, 2018 को पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली को भी पत्र लिखा था. उन्होंने इस लेटर में लिखा है, ‘पत्र के जरिए हम आपको फिर से याद दिला रहे हैं. हमने अगले केंद्रीय बजट के लिए 2 प्राथमिकताओं को चिह्नित करने की कोशिश की है. इसमें पहला, सोशल सिक्योरिटी के लिए पेंशन में वृद्धि और दूसरा पर्याप्त मैटरनिटी लाभ का प्रावधान है.'
पत्र में यह भी लिखा गया है कि राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना (NOAPS) के तहत बुजुर्गों की पेंशन में केंद्र सरकार का योगदान 2006 से महज 200 रुपये प्रति माह पर स्थिर बना हुआ है. जबकि यह ठीक नहीं है. केंद्र सरकार के योगदान को तुरंत बढ़ाकर कम-से-कम 500 रुपये (अगर हो सके तो अधिक) किया जाना चाहिए. दरअसल, बढती महंगाई को देखते हुए पहले भी पेंशनर्स की तरफ से भी यह मांग होती रही है.
विधवा पेंशन पर भी चर्चा सम्भव
लेटर में कहा गया है, ‘मौजूदा 2.1 करोड़ पेंशनभोगियों के आधार पर इसके लिए एडिशनल 7,560 करोड़ रुपये के करीब प्रावधान की जरूरत है. इसी प्रकार विधवाओं के लिए पेंशन 300 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 500 रुपये प्रति महीने की जानी चाहिए.’ इसमें बताया गया है कि विधवाओं के लिए पेंशन मद में 1,560 करोड़ रुपये की लागत आएगी.
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