लेनदेन की संख्या साल 2023 की पहली छमाही में 51.9 अरब थी, जो इस साल की समान अवधि में 78.97 अरब हो गई. इस दौरान यूपीआई लेनदेन का मूल्य 40 प्रतिशत बढ़ा है. यह 83.16 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 116.63 लाख करोड़ रुपये हो गया.
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UPI Transactions: देश में इंस्टेंट पेमेंट सिस्टम (Instant Payment System) यूपीआई (UPI) के जरिये होने वाले लेनदेन की संख्या साल 2024 के पहले छह महीनों में सालाना आधार पर 52 प्रतिशत बढ़कर 78.97 अरब हो गई. पेमेंट टेक्निक सर्विस प्रोवाइडर ‘वर्ल्डलाइन’ ने एक रिपोर्ट में इस बारे में जानकारी दी. वर्ल्डलाइन ने जनवरी-जून, 2024 के लिए तैयार रिपोर्ट में कहा कि यूपीआई पेमेंट का मार्केट पर दबदबा कायम है और इसकी पहुंच तेजी बढ़ रही है.
2023 में यूपीआई लेनदेन की संख्या 8.03 अरब थी
रिपोर्ट कहती है कि जनवरी, 2023 में यूपीआई लेनदेन की संख्या 8.03 अरब थी. यह जून, 2024 तक बढ़कर 13.9 अरब हो गई. लेनदेन की संख्या में यह वृद्धि भुगतान मूल्य में हुई बढ़ोतरी से भी मेल खाती है. जनवरी, 2023 में 12.98 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन यूपीआई के जरिये हुआ था जो जून, 2024 में बढ़कर 20.07 लाख करोड़ रुपये हो गया. रिपोर्ट के अनुसार साल 2024 की पहली छमाही की तुलना पिछले साल की समान अवधि से करने पर यूपीआई लेनदेन की संख्या में 52 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है.
लेनदेन 83.16 लाख करोड़ से बढ़कर 116.63 लाख करोड़ हो गया
लेनदेन की संख्या साल 2023 की पहली छमाही में 51.9 अरब थी, जो इस साल की समान अवधि में 78.97 अरब हो गई. इस दौरान यूपीआई लेनदेन का मूल्य 40 प्रतिशत बढ़ा है. यह 83.16 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 116.63 लाख करोड़ रुपये हो गया. रिपोर्ट के मुताबिक, यूपीआई लेनदेन की संख्या और मूल्य दोनों के लिहाज से फोनपे अग्रणी यूपीआई मंच के तौर पर सामने आया है जबकि गूगलपे और पेटीएम का स्थान उसके बाद आता है. हालांकि, इस साल की पहली छमाही में यूपीआई लेनदेन के औसत टिकट आकार (प्रति लेनदेन मूल्य) में आठ प्रतिशत की गिरावट देखी गई.
औसत टिकट साइज पिछले साल की पहली छमाही में 1,603 रुपये था जबकि इस साल की पहली छमाही में यह 1,478 रुपये रह गया. औसत टिकट आकार में व्यक्ति-से-व्यक्ति (पी2पी) और व्यक्ति-से-दुकानदार (पी2एम) लेनदेन शामिल होते हैं. वर्ल्डलाइन इंडिया के सीईओ रमेश नरसिम्हन ने कहा, ‘यूपीआई लेनदेन में यह उल्लेखनीय वृद्धि, खासकर पी2एम खंड में सूक्ष्म लेनदेन के लिए पसंदीदा तरीके के तौर पर इसकी स्थिति को मजबूत करती है. यह आने वाले वर्षों में दीर्घकालिक टिकाऊपन और बड़े लेनदेन की तरफ कदम बढ़ाने का संकेत है.’ (इनपुट भाषा से भी)