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Petrol-Diesel Price: लागत बढ़ने के बावजूद ईंधन के दाम लगभग दो महीने से स्थिर होने के साथ पेट्रोलियम कंपनियों ने नुकसान (अंडर-रिकवरी) का मुद्दा उठाना शुरू कर दिया है. पेट्रोल के मामले में यह नुकसान 17.1 रुपये प्रति लीटर, जबकि डीजल पर 20.4 रुपये लीटर पहुंच गया है. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि खुदरा ईंधन बेचने वाली कंपनियों ने सरकार से इस मामले में संपर्क कर ‘राहत’ मांगी है. हालांकि, उन्होंने तपाक से यह भी कहा कि कीमत तय करने के बारे में कंपनियों को फैसला करना है.
उन्होंने इस रिपोर्ट पर कुछ भी कहने से मना कर दिया कि निजी पेट्रोलियम रिफाइनरी कंपनियां रूस से सस्ती दर पर कच्चा तेल आयात कर तथा तैयार पेट्रोलियम उत्पाद अमेरिका को निर्यात कर अच्छा-खासा मुनाफा कमा रही हैं. मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊर्जा के दाम में तेजी से तेल एवं गैस कंपनियों के अत्यधिक लाभ पर कर लगाने के बारे में निर्णय के लिये वित्त मंत्रालय उपयुक्त प्राधिकरण है. पुरी ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हमारे सभी कॉरपोरेट नागरिक काफी जिम्मेदार हैं. ईंधन के दाम की समीक्षा का काम कंपनियां करती हैं.’
उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम कंपनियां ईंधन के दाम में संशोधन को लेकर उनके पास सलाह के लिये नहीं आतीं. घरेलू पेट्रोल पंपों पर ईंधन को 85 डॉलर प्रति बैरल कच्चा तेल के मानक के आधार पर बेचा जा रहा है. जबकि ब्रेंट क्रूड फिलहाल 113 डॉलर प्रति बैरल पर है. इससे लागत और बिक्री मूल्य में अंतर है. जिससे कंपनियों को नुकसान हो रहा है. दो जून की स्थिति के अनुसार उद्योग को पेट्रोल पर प्रति लीटर 17.1 रुपये तथा डीजल पर 20.4 रुपये प्रति लीटर का नुकसान हो रहा था. मंत्री ने कहा, ‘पेट्रोलियम कंपनियां नुकसान की बात कर रही हैं. जैसा कि मैंने कहा कि वे एक जिम्मेदारी कॉरपोरेट नागरिक हैं और जो भी जरूरी निर्णय होगा, वे लेंगे.’
उन्होंने कहा, ‘हां, वे हमारे पास आते हैं. यह कोई छिपी हुई बात नहीं है. वे हमारे पास आते हैं और कहते हैं कि हमें राहत की जरूरत है... लेकिन अंतत: निर्णय उन्हीं को करना है.’ हालांकि, पुरी ने इस बारे में विस्तार से नहीं बताया कि पेट्रोलियम कंपनियां किस प्रकार की राहत की मांग कर रही हैं. तेल के दाम में तेजी के बावजूद सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (एचपीसीएल) और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) अप्रैल से ईंधन के दाम नहीं बढ़ाए हैं. यह सिलसिला पिछले 57 दिन से चल रहा है. पिछले महीने सरकार ने पेट्रोल पर आठ रुपये और डीजल पर छह रुपये प्रति लीटर का उत्पाद शुल्क घटाया. इस कटौती का लाभ ग्राहकों को दिया गया.
इसे पेट्रोलियम कंपनियों को हो रहे नुकसान की भरपाई में समायोजित नहीं किया गया. सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम विपणन कंपनियां नुकसान के बाद भी कामकाज कर रही हैं, जबकि रिलायंस-बीपी और नायरा एनर्जी जैसी निजी कंपनियों ने हानि को कम करने के लिये परिचालन में कटौती की हैं. निजी तेल रिफाइनरी कंपनियों के रूस से सस्ती दर पर कच्चा तेल आयात कर तथा तैयार पेट्रोलियम उत्पाद अमेरिका तथा अन्य देशों को निर्यात कर अच्छा-खासा मुनाफा कमाने के बारे में आ रही रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर पुरी ने कहा कि यह कहना बहुत मुश्किल है कि किस देश का कच्चा तेल प्रसंस्करण के लिये किस रिफाइनरी में गया और निर्यात किया जाने वाला उत्पाद किस कच्चे तेल का है.
उन्होंने कहा, ‘क्या रूस का कच्चा तेल निजी रिफाइनरी में आ रहा है और फिर उसे अमेरिका को (तैयार उत्पाद के रूप में) निर्यात किया जा रहा है, मैं इसका कभी पता नहीं लगा पाऊंगा. इसकी संभावना नहीं है.’ मंत्री ने कहा कि हालांकि निजी रिफाइनरी कंपनियों के घरेलू बाजार में नहीं इसे नहीं बेचना एक वाजिब सवाल है. लेकिन वह इस बारे में कुछ नहीं कहेंगे या प्रेस के माध्यम से कोई सलाह नहीं देंगे. कंपनियों को हो रहे ऊंचे लाभ पर कर लगाने के बारे में उन्होंने कहा कि यह मामला वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आता है. पुरी ने कहा, ‘यह वित्त मंत्रालय का मामला है. लेकिन मुझे लगता है कि हमारा फिलहाल जोर सस्ती दर पर और सुरक्षित ऊर्जा प्राप्त करने पर है. हम इसे सुनिश्चित करने पर ध्यान दे रहे हैं.’
(इनपुट-भाषा)
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