AI in Education: स्टूडेंट्स अपने सब्जेक्ट और स्किल्स की कर सकें प्रैक्टिस, एआई कैसे बदल रहा पेपर बनाने का तरीका और पैटर्न?
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AI in Education: स्टूडेंट्स अपने सब्जेक्ट और स्किल्स की कर सकें प्रैक्टिस, एआई कैसे बदल रहा पेपर बनाने का तरीका और पैटर्न?

AI in Education Courses: स्टूडेंट्स पुराने पैटर्न के आधार पर पेपर का अनुमान लगाते हैं, लेकिन टेक्नोलॉजी के इंटीग्रेशन से ये सीमाएं दूर हो रही हैं.

AI in Education: स्टूडेंट्स अपने सब्जेक्ट और स्किल्स की कर सकें प्रैक्टिस, एआई कैसे बदल रहा पेपर बनाने का तरीका और पैटर्न?

How AI changing Paper Pattern: आज की तेजी से बदलती दुनिया में, एजुकेशन के फील्ड में बड़े बदलाव हो रहे हैं, जिसमें टेक्निकल प्रोग्रेस प्रमुख कारण है. इन बदलावों में सबसे जरूरी यह है कि ट्रेडिशनल पेपर बनाने की प्रक्रिया में अब बदलाव आ रहा हैं. दशकों से पेपर स्टूडेंट्स के ज्ञान का विश्लेषण करने का सबसे जरूरी साधन रहे हैं, लेकिन टीचर्स और संस्थानों को इन्हें बनाने की मैनुअल प्रक्रिया में हमेशा से मुश्किल होती रही है, लेकिन आज टेक्नोलॉजी, खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), इस प्रक्रिया को ज्यादा स्किल, गतिशील और मॉडर्न एजुकेशन सिस्टम की जरूरतों को पूरा करने के लिए बदल रही है.

टेक्नोलॉजी एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन्स को सवाल-जवाब वाले पुराने अप्रोच से बाहर निकालने में मदद कर रही है. पहले, पेपर टीचर्स या परीक्षा बोर्ड द्वारा मैन्युअल रूप से बनाए जाते थे, जो अक्सर पुराने पेपरों और तय कोर्स पर आधारित होते थे. यह विधि उस समय प्रभावी थी, लेकिन इसमें कई सीमाएं हैं. यह बहुत समय लेने वाला काम है, मानवीय गलती होने की संभावना रहती है और पेपर में टाइप की कमी है. टीचर्स को यह सुनिश्चित करना कठिन लगता है कि सभी स्किल की परीक्षा हो रही है या नहीं? साथ ही, इसमें रटने (रटकर याद करने) पर ज्यादा जोर दिया गया था, क्योंकि स्टूडेंट्स पुराने पैटर्न के आधार पर पेपर का अनुमान लगाते हैं, लेकिन टेक्नोलॉजी के इंटीग्रेशन से ये सीमाएं दूर हो रही हैं और परीक्षाओं का एक नया दृष्टिकोण सामने आ रहा है.

यह बदलाव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से हुआ है. अब बड़े डेटाबेस से सवाल उठाने वाले पेपर रीयल टाइम में AI-ड्रिवन सिस्टम बना रहे हैं. ये सिस्टम अलग अलग और सवाल बनाते हैं, जिससे स्टूडेंट्स कई सब्जेक्ट और स्किल्स पर प्रैक्टिस कर सकें. AI यह भी मदद करता है कि टीचर्स जानबूझकर या अनजाने में कुछ खास सब्जेक्ट या सवालों का पक्ष नहीं लेते. AI पेपर को स्टूडेंट्स के पर्फोर्मेन्स लेवल के अनुसार ढाल सकता है, इससे स्टूडेंट्स को चैलेंजिंग परीक्षाएं दी जा सकती हैं जो उनकी क्षमता के अनुरूप हैं.

टेक्नोलॉजी पेपर को तैयार करने और पेश करने में भी मदद करती है. AI की मदद से पेपर को सुनने, देखने या जो स्टूडेंट्स देख नहीं सकते उन स्टूडेंट्स के लिए बनाया जा सकता है. उदाहरण के लिए, देखकर सीखने वाले स्टूडेंट्स को ग्राफ या फोटो आधारित पेपर दिए जा सकते हैं, जबकि तार्किक सोच में निपुण विद्यार्थियों को ज्यादा प्रॉब्लम सॉल्विंग वाले पेपर दिए जा सकते हैं. यह बदलाव, जिसमें मानक परीक्षाओं से पर्सनलाइज्ड प्रैक्टिस की ओर रुझान है, एक समावेशी टीचिंग एनवायरमेंट बना रहा है, जहां सभी स्टूडेंट्स को उनकी विशिष्ट क्षमताओं और सीखने की प्राथमिकताओं के आधार पर मूल्यांकन किया जाता है.

एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स में पेपर बनाने की ऑटोमेटेड प्रक्रिया ने टाइम और रिसोर्स को भी प्रभावित किया है. अब AI-ड्रिवन सिस्टम पेपर को मिनटों में तैयार करते हैं, जिससे टीचर्स को अन्य जरूरी पढ़ाई के कामों के लिए ज्यादा समय मिलता है. पहले पेपर बनाने में कई दिन लग जाते थे. अब लगातार इवैल्यूएशन का मॉडल बनाया जा रहा है, जो केवल मिड टर्म या साल के आखिर की परीक्षाओं पर निर्भर नहीं है, जिससे इस प्रशासनिक बोझ में कमी से ज्यादा बार असेसमेंट भी संभव हो सकते हैं. लगातार इवेल्यूएशन न केवल सीखने को बेहतर बनाता है, बल्कि स्टूडेंट्स पर दबाव कम करता है क्योंकि यह नियमित, प्रतिक्रिया और सुधार पर फोकस करता है और ज्यादा प्रेशर वाले एग्जाम से बचाता है.

साथ ही, ग्रेडिंग (अंक देने) की प्रक्रिया, जिसमें पहले ट्रेडिशनल तरीकों में देरी और गलतियों की संभावना थी, को आईटी ने क्रांतिकारी रूप से बदल दिया है. AI-ड्रिवन ग्रेडिंग सिस्टम परीक्षा स्क्रिप्ट को ऑटोमेटेड रूप से चेक करते हैं, जिससे मानवीय गलतियां कम होती हैं और नंबर एकरूप होते हैं. ये सिस्टम बहुविकल्पीय सवालों से लेकर छोटे जवाबों और निबंधों तक का विश्लेषण कर सकते हैं, जिसमें वाक्य संरचना, तर्क और संपूर्णता का विश्लेषण करने वाले नेचुरल लैंग्वेज एल्गोरिदम का उपयोग किया गया है. यह तकनीक सुनिश्चित करती है कि स्टूडेंट्स का मूल्यांकन ज्यादा पारदर्शी और निष्पक्ष होगा, बिना किसी मानवीय पूर्वाग्रह के. एक और फायदा यह है कि स्टूडेंट्स अपने रिजल्ट को तुरंत देख सकते हैं, जिससे वे रियल टाइम में अपनी कमजोरियों को पहचान सकते हैं और सुधार कर सकते हैं.

लर्निंग स्पाइरल के फाउंडर मनीष मोहता ने बताया कि AI और टेक्नोलॉजी केवल सवाल जवाब और नंबर देने तक सीमित नहीं हैं. अब स्कूलों में AI-ड्रिवन टीचिंग प्लेटफार्म पॉपुलर हो रहे हैं. ये प्लेटफार्म रियल टाइम में स्टूडेंट्स की क्षमता और कमजोरियों का मूल्यांकन करते हैं और कंटेंट को उनके अनुसार समायोजित करते हैं, जिससे पर्सनलाइज्ड टीचिंग का एक्सपीरिएंस मिलता है. नतीजतन, ट्रेडिशनल टीचिंग मॉडल, जो पहले सिर्फ एक सिलेबस को फॉलो करता था, अब ज्यादा गतिशील और स्टूडेंट-फोकस्ड हो गया है. ये प्लेटफार्म भी स्टूडेंट्स को अलग अलग सब्जेक्ट्स, रिसोर्स या प्रक्टिस की सिफारिश कर सकते हैं, जिससे सीखना ज्यादा इंटरेस्टिंग और प्रभावी हो रहा है.

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शिक्षा के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इंटीग्रेटेड यह बदल रहा है कि पेपर कैसे बनाए और कराए जाते हैं. यह ट्रेडिशनल प्रक्रियाओं को ड्राइव करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह इस बारे में नए सिरे से सोचने का मौका दे रहा है कि स्टूडेंट्स का आकलन कैसे किया जाए? ताकि उन्हें सार्थक तरीके से चुनौती दी जा सके. जैसे-जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस AI का डेवलपमेंट जारी है, शिक्षा के क्षेत्र एक क्रांति के मुहाने पर खड़ा है, जहां पेपर की पारंपरिक सीमाओं को पार करते हुए एक ज्यादा प्रगति, कुशल और न्यायसंगत टीचिंग और इवेल्यूएशन सिस्टम बन रहा है.

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