तेलंगाना की रहने वाली बदावथ मधुलता, जो घर का खर्च चलाने के लिए बकरियां चराती हैं, उन्होंने इस साल जेईई एडवांस्ड की परीक्षा में 824वीं रैंक हासिल की थी, जिसके बाद उन्हें आईआईटी पटना में सीट मिल गई थी, लेकिन उनके पास कॉलेज की फीस भरने के पैसे नहीं है, जिसके कारण वह बकरियां चराने को मजबूर हैं.
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नई दिल्ली: तेलंगाना के राजन्ना सिरसिला जिले की रहने वाली बदावथ मधुलता ने इस साल जेईई में अनुसूचित जनजाति (ST) कैटेगरी में 824वीं रैंक हासिल की और आईआईटी पटना में जगह बनाई. हालांकि, उनका परिवार इंजीनियरिंग फिजिक्स में बी.टेक (BTech in Engineering Physics) करने के लिए ट्यूशन और अन्य खर्चों के लिए आवश्यक 2.5 लाख रुपये नहीं जुटा सका.
सिर्फ इतने पैसों का ही कर पाई इंतजाम
खेतीहर मजदूर की बेटी मधुलता ने पिछले महीने अपना एडमिशन सिक्योर करने के लिए केवल 17,500 रुपये का भुगतान किया था. लेकिन परिवार आर्थिक तंगी और पिता की बीमारी के कारण अतिरिक्त 2.51 लाख रुपये का भुगतान नहीं कर सका.
घर चलाने के लिए बकरियां चराने को मजबूर
दरअसल, अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए मधुलता को अपने गांव में बकरियां चरानी पड़ती है. उनकी यह स्थिति तब सामने आई जब ट्राइबल वेलफेयर जूनियर कॉलेज की फैकल्टी ने, जहां उन्होंने अपनी 12वीं कक्षा पूरी की, 27 जुलाई को फीस भुगतान की आखिरी तारीख नजदीक आने पर मदद की अपील की.
मुख्यमंत्री ने सहायता के लिए उठाया कदम
वहीं, इस अपील के बाद तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने बदावथ मधुलता को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए कदम उठाया है, जो आईआईटी पटना में सीट पाने के बावजूद आर्थिक तंगी के कारण बकरियां चरा रही थी.
मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने मधुलता को वित्तीय चुनौतियों के बावजूद प्रतिष्ठित संस्थान में सीट हासिल करने पर बधाई दी. उन्होंने 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर घोषणा की कि आदिवासी कल्याण विभाग ने उसकी शिक्षा के लिए आवश्यक धनराशि जारी कर दी है.
मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि मधुलता एकेडमिक रूप से उत्कृष्ट प्रदर्शन करती रहेंगी और तेलंगाना का गौरव बढ़ाएगी.
आदिवासी कल्याण आयुक्त के आदेश के अनुसार, मधुलता ने 2,51,831 रुपये की वित्तीय सहायता मांगी थी. राज्य सरकार ने ट्यूशन फीस में 1 लाख रुपये माफ कर दिए है और ट्यूशन फीस, होस्टल फीस, जिमखाना, ट्रांस्पोर्ट, मेस फीस, लैपटॉप और अन्य फीस के लिए 1,51,831 रुपये प्रदान किए है.