सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने उस आयोग का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया है, जिसका गठन यह समीक्षा करने के लिए किया गया था कि क्या अपना धर्म बदलकर सिख और बौद्ध धर्म के अलावा अन्य धर्मों को अपनाने वाले व्यक्तियों को अनुसूचित जाति (SC) का दर्जा दिया जा सकता है
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SC status to converted dalits: सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने उस आयोग का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया है, जिसका गठन यह समीक्षा करने के लिए किया गया था कि क्या अपना धर्म बदलकर सिख और बौद्ध धर्म के अलावा अन्य धर्मों को अपनाने वाले व्यक्तियों को अनुसूचित जाति (SC) का दर्जा दिया जा सकता है. एक नवंबर को जारी अधिसूचना में यह जानकारी दी गई है. दरअसल आयोग को 10 अक्टूबर को अपना कार्य समाप्त करना था लेकिन उसने अपनी रिपोर्ट को पूरा करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा था जिसके बाद आयोग का कार्यकाल बढ़ाने का फैसला किया गया.
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समय सीमा बढ़ी
जांच में सामाजिक न्याय, अधिकारों और पारंपरिक रूप से अनुसूचित जाति वर्गीकरण में शामिल नहीं किए गए धर्मों (ईसाई धर्म और इस्लाम) से धर्मांतरित लोगों को आरक्षित दर्जा दिए जाने के संभावित विस्तार से जुड़ी बातों को भी शामिल किया गया है. भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन की अध्यक्षता में आयोग धार्मिक रूपांतरण को समझने के लिए समाजशास्त्रियों और इतिहासकारों के साथ जुड़ रहा है. अब नवीनतम अधिसूचना के अनुसार, आयोग को अब 10 अक्टूबर, 2025 तक अपनी रिपोर्ट जमा करनी होगी.
आयोग को अध्ययन करके दो वर्ष के भीतर अपनी रिपोर्ट देनी थी. आयोग को अध्ययन करेगा कि ऐतिहासिक रूप से सामाजिक असमानता और भेदभाव झेलते आ रहे दलित अगर संविधान के अनुच्छेद 341 में उल्लेखित धर्मों (हिन्दू, सिख, बौद्ध) के अलावा किसी और धर्म में परिवर्तित हो गये हैं तो क्या उन्हें धर्म परिवर्तन के बाद भी अनुसूचित जाति का दर्जा दिया जा सकता सकता है.
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