English as Foreign Language: एससीएफ के लेंगुएज चार्ट के मुताबिक, भाषाओं में से एक भारतीय मूल की होनी चाहिए, जिसमें 17 मूल भारतीय भाषाओं और नौ विदेशी भाषाओं को लिस्टेड किया गया है, जिसमें अंग्रेजी टॉप पर है.
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English not a must in maharashtra schools: अंग्रेजी भाषा को 'विदेशी भाषा' के रूप में कैटेगराइज किया जाएगा और अब यह महाराष्ट्र में लंबे समय से चली आ रही प्रथा से हटकर जूनियर कॉलेज (जेसी) लेवल (कक्षा 11 और 12) पर जरूरी नहीं होगी. यह महाराष्ट्र राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) द्वारा जारी कक्षा 3 से कक्षा 12 तक स्कूल शिक्षा (एसई) के लिए स्टेट करिकुलम फ्रेमवर्क (एससीएफ) के मसौदे में दी गई सिफारिशों में से एक है.
कक्षा 11 और 12 के लिए प्रस्तावित सब्जेक्ट स्कीम के तहत, स्टूडेंट आठ सब्जेक्ट - दो लेंगुएज, एनवायरमेंटल एंड फिजिकल एजुकेशन, और अपनी पसंद के चार सब्जेक्ट का चयन कर सकते हैं. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक एससीएफ का टारगेट अंततः स्ट्रीम-स्पेशिफिक (आर्ट्स, कॉमर्स, साइंस) सीखने को खत्म करना है. एससीएफ के लेंगुएज चार्ट के मुताबिक, भाषाओं में से एक भारतीय मूल की होनी चाहिए, जिसमें 17 मूल भारतीय भाषाओं और नौ विदेशी भाषाओं को लिस्टेड किया गया है, जिसमें अंग्रेजी टॉप पर है.
एजुकेशनिस्ट वसंत कलपांडे ने पूछा, 'अंग्रेजी को विदेशी भाषा कैसे माना जा सकता है?' राज्य और केंद्र सरकारों के बीच आधिकारिक कम्यूनिकेशन, अदालती कार्यवाही और अलग अलग सरकारी डॉक्यूमेंट्स में इसके महत्व को इंडिकेट करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हिंदी के साथ अंग्रेजी को भी भारत सरकार की आधिकारिक भाषा घोषित किया गया है.
एससीएफ-एसई के ड्रॉफ्ट में कक्षा 3 से 10 तक अंग्रेजी भाषा पॉलिसी पर स्पष्टता का अभाव है, जहां अब तक अंग्रेजी जरूरी थी. प्रस्तावित सब्जेक्ट कॉम्बिनेशन के मुताबिक, कक्षा 3 से 5 तक मौजूदा तीन-लेंगुएज सिस्टम के बजाय दो लेंगुएज होंगी. पहली लेंगुएज या तो मातृभाषा या राज्य भाषा (मराठी) हो सकती है, और दूसरी भाषा कोई अन्य भाषा हो सकती है.
स्कूलों, विशेषकर अंग्रेजी माध्यम वाले स्कूलों ने इंप्लिमेंटेशन के बारे में चिंता व्यक्त की है. एक टीचर ने कहा, "हम अलग अलग मातृभाषा वाले अलग अलग बैकग्रउंड से आने वाले बच्चों को शिक्षा देते हैं. इसका मतलब है कि हमारे पास दूसरा ऑप्शन बचा है, जो मूलतः मराठी है. तो फिर हम अंग्रेजी माध्यम के स्कूल कैसे बनेंगे." शिक्षक ने कहा कि मसौदे ने जवाबों से ज्यादा भ्रम पैदा हो गया है.
कई टीचर्स ने यह भी बताया कि एक जरूरी प्रवासी आबादी के साथ महाराष्ट्र की शहरीकरण और इंडस्ट्रीकरण प्रकृति को देखते हुए, प्रस्तावित सिस्टम अपने बच्चों की स्कूली शिक्षा के लिए शिक्षा के माध्यम का चयन करने के माता-पिता के अधिकारों का उल्लंघन करती है.