Bihar History: जिस बिहार की भलाई के लिए हो रही इतनी सियासत, उस पर एक नजर भी डाल लीजिए
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Bihar History: जिस बिहार की भलाई के लिए हो रही इतनी सियासत, उस पर एक नजर भी डाल लीजिए

Bihar GK: नीतीश कुमार के 9वीं बार सीएम पद की शपथ के साथ ही बिहार बेहद सुर्खियों में है, यहां राजनीतिक दलों में हुई उठापटक से खबरों का बाजार गर्म रहा. इन सबके बीच जानिए बिहार के बारें में तमाम महत्वपूर्ण और दिलचस्प बातें...

Bihar History: जिस बिहार की भलाई के लिए हो रही इतनी सियासत, उस पर एक नजर भी डाल लीजिए

Interesting Things About Bihar: बिहार में एक बार फिर सियासी उलटफेर हुआ है. आरजेडी के साथ महागठबंधन से रिश्ता तोड़ते हुए जेडीयू ने बीजेपी के साथ सरकार बनाने का फैसला लिया और रविवार, 28 जनवरी को राजभवन में नीतीश कुमार ने 9वीं बार राज्य के मुखिया पद की शपथ ली. इसके साथ ही बीजेपी के सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ग्रहण की. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए यह आर्टिकल बेहद काम का साबित हो सकता है. बिहार पॉलिटिक्स के बीच आज हम आपको बताने जा रहे हैं, इस राज्य से जुड़ी तमाम महत्वपूर्ण बातें, जिन्हें जानना आपके लिए जरूरी है...

बिहार का इतिहास
बिहार साल 1912 में बंगाल के विभाजन के समय अस्तित्व में आया. इसके बाद बिहार के टुकड़े होकर 1935 में उड़ीसा और 2000 में झारखंड राज्यों की स्थापना की गई. इस राज्य की स्थापना 22 मार्च 1912 को हुई थी. राज्य की राजधानी पटना हैं, जिसे प्राचीन समय में पाटलिपुत्र, पुष्पपुर, कुसुमपुर और अजीमाबाद नामों से भी जाना जाता था. बिहार का इतिहास बेहद दिलचस्प इतिहास है. इस राज्य को बनाने वाले तीन अलग-अलग क्षेत्र भोजपुर, मिथिला और मगध की अपनी अलग संस्कृति रही है. बिहार का सबसे पहला इतिहास संदर्भ हिंदू पौराणिक महाकाव्य रामायण में मिलता है, जिसके अनुसार मिथिला भगवान राम की पत्नी देवी सीता की जन्मभूमि है. स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म पटना के उत्तर-पश्चिम में सिवान जिले में हुआ था, जो उस समय सारण जिले का एक हिस्सा हुआ करता था. 

बिहार में महान संतों गौतम बुद्ध और महावीर का जन्म हुआ. इस तरह यह राज्य दुनिया के दो सबसे लोकप्रिय धर्मों बौद्ध और जैन धर्म का जन्मस्थान है. ये धर्म पूरी दुनिया  में फैले और समृद्ध भी हुए. यहां मौर्य, गुप्त आदि राजवंशो ने राज किया. बिहार वो राज्य है जिसने आज़ादी के समय भारत छोड़ो आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
थी. इसी तरह से इस राज्य की बहुत सारी बातें हैं, जो ना इसे विदेशों में भी एक अलग पहचान दिलाती है. इतिहास की माने तो यहां बौद्ध मठों (विहारों) की अधिकता होने के चलते ही इस क्षेत्र का नाम बिहार पड़ा. गौरतलब है कि यह क्षेत्र प्राचीन समय में बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र रहा है.

बिहार देश का 13वां सबसे बड़ा राज्य
बिहार देश का वह हिस्सा है, जिसके बिना भारत के इतिहास की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. क्षेत्रफल के हिसाब से 13वां और जनसंख्या के हिसाब से तीसरा सबसे बड़ा राज्य है, जिसमें कुल 38 जिले मौजूद हैं. इस राज्य का कुल क्षेत्रफल 94,163 वर्ग किमी.  

कहां-कहां लगती हैं राज्य की सीमा
राज्य की सीमा से 3 राज्य पश्चिम बंगाल (पूर्व), उत्तर प्रदेश (पश्चिम) और झारखंड (दक्षिण) लगे हैं. जबकि, उत्तर में राज्य से हिंदू राष्ट्र नेपाल की सीमा लगती है. हमारे पड़ोसी देश नेपाल की सीमा से बिहार के 7 जिले लगते हैं, जिसमें पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज शामिल हैं. 

बिहार की प्रमुख नदियां और भाषाएं
किसी भी भूमि को ऊपजाऊ बनाने में वहां की नदियों को बहुत बड़ा योगदान होता है. इस मामले में भी बिहार समृद्ध है. बिहार में गंगा, बागमती, कोषी, कमला, गंडक, घाघरा, सोन, पुनपुन, फल्गु, किऊल नदियां बहती हैं. इस राज्य में भाषाओं की भरमार है, जिसमें अंगिका, भोजपुरी, मगही, मैथिली और वजिजका शामिल हैं. अंग्रेजी, हिन्दी और मैथिली यहां की राजभाषा है. 

बिहार की जनसंख्या
बिहार सरकार की ओर से 2023 में जारी आंकड़ों के अनुसार राज्य की कुल आबादी 13,7,25,310 है. बिहार में सर्वाधिक संख्या हिंदुओं की हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य की कुल आबादी में 81.99 प्रतिशत हिंदू और 17.70 फीसदी मुसलमान हैं, जबकि अन्य धर्म के लोगों की संख्या केवल 0.31 फीसदी है. 

साल 2023 की जनगणना के मुताबिक पिछड़ा वर्ग की 27.12 फीसदी और अत्यंत पिछड़ा वर्ग की 36.01फीसदी आबादी है. जबकि, अनुसूचित जाति की 19.65 फीसदी, अनुसूचित जनजाति की 1.68 फीसदी और अनारक्षित  यानी सवर्ण वर्ग की आबादी 15.5 फीसदी है.

इन कारणों से भी पहचाना जाता है बिहार 
दुनिया का सबसे पुराना 'नालंदा विश्वविद्यालय' बिहार में ही है, जहां पहले विश्व भर से लोग शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे. बिहार एक ऐसा राज्य है, जो देश को सबसे ज्यादा आईएएस देता है. कहा जाता है कि बिहारी गणित में बहुत अच्छे होते हैं, जिसका प्रमाण वे महान गणितज्ञ देते हैं, जिन्होंने अपनी गणित के कारण पूरे विश्व में पहचान बनाई. महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का जन्म राज्य भोजपुर जिले के एख छोटे से गांव में हुआ था. 

कब हुए थे पहली बार चुनाव?
आजाद भारत में 1951-52 के दौरान पहले लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हुए थे. बिहार में हुआ पहला विधानसभा चुनाव उत्साहपूर्ण होने के साथ-साथ चुनौतीपूर्ण भी था. बिहार के पहले विधानसभा चुनाव का सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा जमींदारी प्रथा हटाना था. आजादी के बाद शुरुआती वर्षों में खेतीहर मजदूर और ओबीसी वर्ग के लोग जमींदारी प्रथा खत्म करने की मांग जोर-शोर से उठा रहे थे. भूमिहार जमींदार उनका समर्थन कर रहे थे, जबकि राजपूत और कायस्थ लोग विरोध में थे.  उस दौर में कांग्रेस के सामने सिर्फ सोशलिस्ट पार्टी की चुनौती थी, जो 1930 के दौर में जय प्रकाश नारायण और राम मनोहर लोहिया जैसे दिग्गजों के कारण बनी थी, जो  किसानों के लिए बात करते थे. 

किसमे जीती थीं सबसे ज्यादा सीटें
26 मार्च 1952 को राज्य की 330 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुआ था, जिसमें 239 सीटें जीतकर कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत हासिल किया और 23 सीटों के साथ सोशलिस्ट पार्टी दूसरे नंबर पर रही. कांग्रेस के श्री कृष्णा सिन्हा ने राज्य के पहले मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभाला था. 

बिहार में बेरोजगारी का स्तर 
बेरोजगारी उन मुद्दों में से एक है, जिसका बिहार में सत्ताधारी दल के नेताओं के पास कोई ठोस जवाब नहीं है. काम की तलाश में बिहार से दिल्ली, पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों के लिए सर्वाधिक पलायन होता है. राज्य सरकार रोजगार को लेकर तमाम दावें करती हैं, लेकिन नेशनल करियर सर्विस पोर्टल के आंकड़े सरकारी दावों की पोल खोलते हैं. एनसीएसपी की ओर से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक साल में बिहार में बेरोजगार युवाओं की संख्या में तीन गुना इजाफा हुआ है. मार्च 2021 तक राज्य में पोर्टल पर रजिस्टर्ड बेरोजगार युवाओं की कुल संख्या 78,00,259 थी.  वहीं, सेंटर फार मानीटरिंग इंडियन इकोनॉमी की एक रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में अप्रैल 2022 में बेरोजगारी दर 21.1 प्रतिशत पर पहुंच गई थी. 

राज्या में बेरोजगारी के प्रमुख कारण?
बिहार में बेरोजगारी का स्तर दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा हैं. इसमें प्रमुख कारणों में शिक्षा का निम्न स्तर, परंपरागत एजुकेशन, तकर्नीक ज्ञान की कमी, कृषि का मौसम स्वरूप, नए रोजगार अवसरों के सृजन का अभाव, औद्योगिक उत्पादन में निरंतरता की कर्मी, स्वरोजगार के साधनों की कमी, तेजी से बढ़ती जनसंख्या आदि शामिल हैं. 

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