Marcos Commando: देश का तीनों सेनाओं का अदम्य साहस दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए काफी है. पिछले कुछ समय में दुनिया ने भारतीय सेना का एक ही रूप देखा है. हमारे स्पेशल कमांडो अक्सर चर्चा में रहते हैं. आज हम आपको बताने जा रहे हैं मार्कोस कमांडो के बारे में...
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Indian Navy Marcos Commando: भारत एक ऐसा देश है जो तीनों तरफ से समंदर से घिरा हुआ है, जिसके फायदे हैं तो कुछ नुकसान भी. फायदा ये कि विदेशी आक्रमण से देश सुरक्षित है. समुद्र के किनारे रहने वाले लोगों को बहुत बड़ा रोजगार देता है, लेकिन समुद्री तूफान आने से जन धन की बहुत हानि होती है. इसके अलावा समंदर के रास्ते दुश्मनों के देश में आकर आंतकवादी गतिविधियों का अंजाम देने का सबसे ज्यादा खतरा होता है. इसी खतरे से देश को बचाने के लिए इंडियन नेवी पूरी तरह से मुश्तैद रहती है और ऐसे हर खतरे से देश को बचाती है, जो समंदर के रास्ते होकर आते हैं. भारत की समुद्री सीमाओं पर सुरक्षा में लगातार बढ़ती चुनौतियों और आतंकवादी गतिविधियों का मुंह तोड़ जबाव देने के लिए मार्कोस फोर्स तैयारी की गई.
भारतीय नौसेना (Indian Navy) के मरीन यानी मार्कोस कमांडो हमेशा ही सुर्खियों में रहते हैं. ये फोर्स अपने सक्सेसफुल ऑपरेशन्स के लिए जानी जाती है. लोग इनके बारे में जानने में बेहद दिलचस्पी रखते हैं कि आखिर ये मार्कोस कमांडो कौन हैं, जिनके नाम से दुश्मनों की घिग्गी बंध जाती है. कैसे तैयार किए जाते हैं मार्कोस कमांडो? इस खबर में हम आपको मार्कोस कमांडो से जुड़े सभी सवालों के जवाब देंगे...
पावरफुल कमांडो फोर्स
मरीन फोर्स कमांडो को अमेरिकी नेवी सील्स की तर्ज पर तैयार किया गया है. मार्कोस को भारत के सबसे खतरनाक कमांडो में गिना जाता है. इंडियन नेवी की इस स्पेशल यूनिट की स्थापना फरवरी 1987 में हुई थी. ये कमांडो राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड, गरुड़, पैरा कमांडो, फोर्स वन का हिस्सा होते हैं. मरीन कमांडो फोर्स में सबसे टफ फौजी होते हैं, जो तेज और सीक्रेट रिएक्शन के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. मार्कोस के नाम से ही दुश्मनों की रूह कांप जाती है.
क्या है मार्कोस फोर्स?
इंडियन नेवी की स्पेशल ऑपरेशंस फोर्स यूनिट देश के दुश्मनों के लिए सबसे घातक होती है, जिसके कमांडो की ट्रेनिंग भी बहुत खतरनाक होती है. हर किसी का इसमें क्वालिफाई कर पाना संभव नहीं होता है. इन्हें इस तरह से ट्रेनिंग मिलती है कि ये जमीन से लेकर आसमान तक दुश्मनों का खात्मा कर सकते हैं, जिन्हें दुनिया के सभी आधुनिक हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है. इनकी ट्रेनिंग बेहद चुनौतीपूर्ण होती हैकुछ ही सैनिक फाइनल राउंड तक पहुंच पाते हैं.
मार्कोस कमांडो का आदर्श वाक्य "द फ्यू द फियरलेस" है, जो अपने कॉम्बैट स्किल और अविश्वसनीय बहादुरी के लिए जाने जाते हैं. इस स्पेशल यूनिट को अमेरिकी नेवी सील और ब्रिटिश स्पेशल बोट सर्विस (SBS) के तर्ज पर बनाया गया, जो आग, हवा, पानी और जमीन पर किसी भी ऑपरेशन को सफल बनाने में माहिर होते हैं.
इस फोर्स में कैसे हो सकते हैं शामिल?
मार्कोस कमांडो फोर्स में शामिल होने वाले के लिए जवानों का असाधारण रूप से मजबूत और फिजिकली फिट होना बहुत जरूरी है. ये स्किल्ड और सीक्रेट कमांडो होने के लिए जाने जाते हैं. मार्कोस कमांडो बनने के लिए नौसेना में नाविक या अधिकारी होना जरूरी है, जिनकी आयु 20 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
इतनी होती है सैलरी
मरीन कमांडो की सैलरी 7वें केंद्रीय वेतन आयोग (CPC) द्वारा तय की जाती है. कई रिपोर्ट्स के मुताबिक मार्कोस कमांडो की एवरेज सैलरी मंथली 80,000 से 1,20,000 रुपये तक हो सकती है, जो रैंक और अनुभव के अनुसार बदलती रहती है.
विभिन्न भत्ते:
बेसिक पे - 25,000 प्रति माह हो सकता है. बेसिक पे रैंक के आधार पर तय होता है.
शिप ड्राइविंग अलाउंस - 8,500 से 10,000 रुपये
मार्कोस भत्ता - 25,000 रुपये
कठिन क्षेत्रों में पोस्टिंग पर मार्कोस कमांडो को बेसिक पे का एक्स्ट्रा 20 प्रतिशत मिलता है.
अत्यधिक सक्रिय क्षेत्र में पोस्टिंग होने पर 16,900 रुपये भत्ता मिलता है.
फील्ड एरिया कर्मियों को 10,500 रुपये फील्ड एरिया भत्ता मिलता है.
नामित "शांति क्षेत्रों" में 35,500 रुपये शांति क्षेत्र भत्ता मिलता है.