यूपी के 48 ITI को नहीं मिलेगी मान्यता, 1500 छात्रों का भविष्य खतरे में, जानें पूरा मामला
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यूपी के 48 ITI को नहीं मिलेगी मान्यता, 1500 छात्रों का भविष्य खतरे में, जानें पूरा मामला

यूपी एक 48 आईटीआई में पढ़ रहे लगभग 1500 छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ गया है. दरअसल, समाज कल्याण विभाग के स्टैंडर्ड को पूरा ना कर पाने के कारण इन प्राइवेट आईटीआई को मान्यता देने के इनकार कर दिया गया है.

यूपी के 48 ITI को नहीं मिलेगी मान्यता, 1500 छात्रों का भविष्य खतरे में, जानें पूरा मामला

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के 48 प्राइवेट ITI को मान्यता नहीं मिलने से 1500 से अधिक छात्रों का भविष्य अनिश्चित हो गया है. समाज कल्याण विभाग ने इन ITI को मान्यता देने से इनकार कर दिया है, जिसके कारण इन संस्थानों में पढ़ रहे छात्रों के सर्टिफिकेट वेलिड नहीं रहेंगे.

दरअसल, इन ITI में पढ़ रहे छात्र नलकूप, सिलाई-कढ़ाई, हिंदी टंकण और आर्मेचर वाइंडर जैसे ट्रेडों में ट्रेनिंग ले रहे हैं. लेकिन अब इन छात्रों को चिंता है कि उनका शिक्षा वर्ष बर्बाद हो जाएगा और उन्हें नौकरी नहीं मिलेगी. कई छात्रों ने इस मामले को लेकर प्रदर्शन भी किया है और सरकार से जल्द से जल्द समाधान मांगा है.

यूपी में चल रहे इन प्राइवेट ITI को 1970 से समाज कल्याण विभाग की ओर से मान्यता दी जाती रही है, लेकिन साल 2016 के बाद इन आईटीआई को समाज कल्याण विभाग की ओर से मान्यता मिलनी बंद हो गई थी. इसके पीछे का सबसे बड़ी वजह यह थी की ये आईटीआई कौशल विकास मिशन के स्टैंडर्ड को पूरा नहीं कर पा रहे थे.

दरअसल, यह तय किया गया था कि स्टैंडर्ड मैनटेन करने वाले आईटीआई, नैशनल काउंसिल फॉर वोकेशनल ट्रेनिंग (NCVT) और स्टेट काउंसिल फॉर वोकेशनल ट्रेनिंग (SCVT) से मान्यता लेंगे. यहां से मान्यता मिलने के बाद उन्हें अनुदान समेत अन्य सरकारी सुविधाएं दी जाएंगी. लेकिन इस शर्तों को पूरा ना कर पाने के कारण यूपी के 48 प्राइवेट आईटीआई में नलकूप, सिलाई-कढ़ाई, हिंदी टंकण और आर्मेचर वाइंडर जैसे ट्रेडों को मान्यता नहीं मिल रही है.

समाज कल्याण विभाग का कहना है कि इन ITI ने नियमों का उल्लंघन किया है और उनके पास सुविधाओं की कमी है. विभाग इन ITI को मान्यता देने से पहले उनकी जांच करेगा और नियमों का पालन करने पर ही उन्हें मान्यता दी जाएगी.

हालांकि, फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि इन ITI के छात्रों का क्या होगा. कुछ छात्र अन्य ITI में प्रवेश लेने का प्रयास कर सकते हैं, जबकि कुछ अपनी पढ़ाई छोड़ सकते हैं. सरकार इन छात्रों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था करने पर विचार कर सकती है.

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