Maharashtra Election: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों का ऐलान 23 नवंबर को होगा लेकिन कुछ उम्मीदवारों ने पहले ही अपनी जात का ऐलान कर दिया है. पिछले चुनाव में मिली हार के बावजूद इस बार उनका कॉन्फिडेंस बहुत हाई दिखाई दे रहा है.
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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद अब सभी की नजरें नतीजों पर टिकी हुई हैं. इस बार महाराष्ट्र में 65 फीसद वोटिंग हुई है, जो पिछले बार के चुनाव 60.70 फीसद से अधिक है. चुनाव आयोग की तरफ से नतीजों का ऐलान 23 नवंबर को किया जाएगा. जनादेश ईवीएम में कैद है जो अपने तय समय पर ही खुलेगा लेकिन कुछ लोगों ने नतीजों के आने से पहले ही अपनी जीत घोषित कर दी है. इतना ही नहीं कुछ जगहों पर इस तरह को पोस्टर भी देखे गए हैं. बात सिर्फ यहीं नहीं रुकी, एनसीपी के उम्मीदवार नतीजे आने से पहले ही विजय जुलूस निकाल दिया.
घटना मामला पुणे की खडकवासला सीट की है. यहां से एनसीपी (शरद पवार) के उम्मीदवार सचिन डोडके ने नतीजे आने से पहले ही पहले ही जीत का जुलूस निकाल लिया है. जुलूस के दौरान लोगों ने उन्हें कांधे पर बिठाया हुआ था और गाजे-बाजे के साथ विजय जुलूस निकाला जा रहा था. खडकवासला सीट से सचिन का मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के भीमराव तापकिर और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के मयूरेश वंजाले से है. भाजपा के भीमराव पहले से विधायक हैं और भाजपा ने फिर से उन्हें भरोसा जताते हुए टिकट दिया था. हालांकि इस बार के चुनाव के बाद एनसीपी उम्मीदवार सचिन को अपनी जीत का इतना यकीन हो गया कि नतीजों से पहले ही विजय जुलूस निकाल दिया. 2019 के चुनाव में भी सचिन सिर्फ 2500 वोटों के फर्क से हारे थे.
पुण्यात शरद पवार गटाच्या आमदाराच्या विजयाचे बॅनर, निकालाच्या आधीच जंगी मिरवणूक #punenews #VidhanSabhaElection2024 #SachinDodake #SharadPawar #MaharahstraElection2024 pic.twitter.com/tiF6VEVXIb
— Harish Malusare (@harish_malusare) November 21, 2024
इसके अलावा पुणे की पार्वती सीट से भी कुछ इसी तरह की घटना सामने आई है. शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी की उम्मीदवार के विजय पोस्टर देखने को मिले हैं. अश्विनी कदम नाम की उम्मीदवार जो पिछले चुनाव में हार गई थीं लेकिन फिर भी पार्टी ने उन्हें एक बार फिर टिकट दिया और इस बार उन्होंने नतीजों से पहले ही पोस्टर छपवा दिए. पिछली बार वो 35000 वोटों से हारी थीं. अश्विनी कदम की राजनीतिक यात्रा 2007 में शुरू हुई जब वे एनसीपी के टिकट पर पार्षद चुनी गईं. 2012 में उन्होंने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा और पार्षद के रूप में दूसरी बार चुनाव जीतीं. 2017 में वे एनसीपी में वापस लौटीं और पार्षद चुनाव में फिर से जीत हासिल की. हालांकि, 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा में हार की वजह से दाखिल नहीं हो पाई.