Kissa Kursi Ka: कुश्ती के अखाड़े से राजनीति के अखाड़े में उतरे मुलायम सिंह यादव राजनीति के हर दांव पेंच को बखूबी समझते थे. 24 साल पहले एक रैली में उन्होंने लोगों को उस समय हैरान कर दिया जब अचानक कन्नौज से बेटे के लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. कन्नौज से ही अखिलेश ने राजनीति की ए बी सी डी सीखी थी.
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Kannauj Akhilesh Yadav: सैफई के पहलवान और राजनीति के माहिर खिलाड़ी मुलायम सिंह यादव ने एक बार मंच से कहा था कि देश में किसी नेता ने अपने बेटे को मुख्यमंत्री नहीं बनाया, मैंने बनाया है. हां, अखिलेश यादव की राजनीति में एंट्री पब्लिक के सामने अचानक हुई थी. 1999 का लोकसभा चुनाव हो रहा था. सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव कन्नौज और संभल दोनों सीटों से चुनाव लड़े.
उस समय मुलायम सिंह का यूपी में जबर्दस्त प्रभाव था. वह दोनों सीटें जीत गए. बाद में उन्होंने कन्नौज लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया. अगले ही साल 2000 में यहां उपचुनाव की घोषणा हुई. प्रचार अभियान जोर पकड़ने लगा.
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एक दिन कन्नौज के मशहूर बोर्डिंग मैदान में मुलायम सिंह की रैली हो रही थी. मंच पर अमर सिंह और आजम खान के साथ एक युवा चेहरा भी मौजूद था. कम लोग उसके बारे में जानते थे. वह युवा मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव थे.
अमर सिंह ने कान में कुछ कहा
अचानक अमर सिंह ने मंच पर मुलायम सिंह के कान में कुछ कहा. बताते हैं कि अमर सिंह ने मुलायम से बेटे अखिलेश को राजनीति में उतारने का सुझाव दिया. मुलायम सिंह तुरंत राजी नहीं हुए. आजम खां ने भी अपनी तरफ से कुछ कहा तो मुलायम कुछ देर तक सोचते रहे. कुर्सी से उठे और अखिलेश का हाथ पकड़कर जनता के सामने आ गए.
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उस दिन मंच से मुलायम सिंह यादव ने कहा था, 'बेटा छोड़कर जा रहा हूं, सांसद बना देना.' रैली में शोर बढ़ गया. पिता की जगह बेटे के चुनाव लड़ने की घोषणा से पूरे प्रदेश में हलचल मच गई. रैली के बाद अखिलेश अपने पिता के साथ मंच से उतर रहे थे. मुलायम ने कहा कि अब तुम्हें यहीं रहकर प्रचार करना है.
उपचुनाव में बसपा ने अकबर अहमद डंपी को उतारा था. अखिलेश विजयी हुए. बाद में 2004 और 2009 में भी जीते. अखिलेश लगातार तीन चुनाव कन्नौज से ही जीते. 2012 में वह यूपी के मुख्यमंत्री बने. इस बार भी उनके कन्नौज से लोकसभा चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही हैं.