Amethi Lok Sabha Election/Chunav 2024 News: अमेठी में राहुल गांधी की वर्ष 2019 में स्मृति ईरानी के हाथों हुई हार से कांग्रेस अब तक सदमे में है. सवाल है कि गांधी परिवार क्या इस बार अपनी खोई जमीन वापस पा सकेगा?
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Amethi Lok Sabha Election 2024: यूपी की अमेठी लोकसभा सीट कभी कांग्रेस का अजेय दुर्ग कही जाती थी, जिसे कांग्रेस उम्मीदवार के अलावा कोई और नहीं जीत सकता था. कांग्रेस ने इस सीट पर 1977 से 2019 तक लगातार कब्जा बनाए रखा. यह सीट कांग्रेस के लिए ही नहीं बल्कि नेहरू- गांधी परिवार के लिए बेहद खास रही है. इसी सीट से गांधी परिवार के कई नेताओं ने राजनीति में अपना डेब्यू किया. अमेठी सीट से संजय गांधी एक बार, राजीव गांधी 4 बार, सोनिया गांधी एक बार और राहुल गांधी 3 बार इलेक्शन जीते. लेकिन वर्ष 2019 में अमेठी सीट पर कुछ ऐसा हुआ कि कांग्रेस और गांधी परिवार हिलकर रह गया और उस सदमे से आज तक बाहर नहीं निकल पाया है.
अमेठी लोकसभा चुनाव रिजल्ट 2024
यूपी की अमेठी लोकसभा सीट कभी कांग्रेस का अजेय दुर्ग कही जाती थी, जिसे कांग्रेस उम्मीदवार के अलावा कोई और नहीं जीत सकता था. लेकिन बीजेपी की स्मृति ईरानी ने इस दुर्ग को तोड़ दिया. इस सीट पर सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां पर वोटर्स की संख्या करीब 18 लाख है.
फाइट के बावजूद राहुल से हारी थीं स्मृति
वर्ष 2014 में देश में मोदी लहर शुरू होने के बाद बीजेपी को यूपी की 90 पर्सेंट लोकसभा सीटें हासिल हुई थी. लेकिन अमेठी सीट पर उसे हार झेलनी पड़ी थी. इस सीट पर बीजेपी ने एक्ट्रेस से राजनेता बनीं स्मृति ईरानी को उतारा था. उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार राहुल गांधी को अच्छी फाइट दी, इसके बावजूद उन्हें राहुल गांधी के हाथों 1 लाख 8 हजार वोटों से हार झेलनी पड़ी.
2019 में स्मृति ने ले लिया हार का बदला
इस हार के बावजूद स्मृति ने न हिम्मत हारी और न ही मैदान छोड़ा. उन्होंने अमेठी को अपनी कर्मभूमि बनाया और अगले आम चुनाव की तैयारियों में जुट गई. उन्होंने अगले 5 साल तक अमेठी के गांव- गांव में जनसंपर्क कर अपना और बीजेपी का आधार तैयार कर लिया.
अमेठी सीट पर स्मृति ईरानी की मेहनत रंग लाई और उन्होंने 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को 55 हजार वोटों से हरा दिया. राहुल गांधी को शायद अपनी संभावित हार की भनक थी. इसीलिए उन्होंने अमेठी के साथ ही केरल की वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ा था. वे अमेठी से हार गए लेकिन वायनाड में उन्हें जीत हासिल हुई.
42 साल का दबदबा खत्म होने से लगा झटका
अमेठी में इस हार के साथ ही कांग्रेस और गांधी- नेहरू खानदान का पिछले 42 साल से इस सीट पर चला आ रहा दबदबा खत्म हो गया. बीजेपी ने इस सीट पर एक बार फिर स्मृति ईरानी को मैदान में उतारा है. स्मृति ईरानी अमेठी में अपना घर बनाकर गृह प्रवेश भी कर चुकी हैं. अमेठी की जनता के लिए यह उनका स्पष्ट संदेश है कि अब अमेठी ही उनका घर है और वे इसे छोड़कर नहीं जाएंगी.
किसी वफादार को उतार सकती है कांग्रेस
सपा- कांग्रेस के बीच हुए गठबंधन में यह सीट कांग्रेस के हिस्से में आई है. लेकिन पार्टी ने अभी तक इस सीट पर किसी का नाम घोषित नहीं किया है. यह देखने लायक बात होगी कि क्या राहुल गांधी फिर से इस सीट पर ताल ठोंकते दिखेंगे या उनकी बहन प्रियंका वाड्रा चुनाव लड़ेंगी. यह भी कयास लगाया जा रहा है कि गांधी परिवार अपने किसी वफादार को भी इस सीट से उतार सकता है.
तीन बार बदला सीट का नाम
अमेठी सीट पहले सुल्तानपुर दक्षिण सीट के नाम से जानी जाती थी और इस पर पहली जीत कांग्रेस के वीवी केशकर ने हासिल की थी. इसके बाद वर्ष 1962 में इस लोकसभा सीट का नाम मुसाफिरखाना पड़ गया. इसके बाद वर्ष 1967 में अमेठी नाम से नई लोकसभा सीट का गठन किया गया, जिसमें कांग्रेस नेता विद्याधर वाजपेयी ने जीत हासिल की.
गांधी वर्सेज गांधी भी हो चुका है मुकाबला
इस सीट पर गांधी परिवार का आपस में भी मुकाबला हो चुका है. वर्ष 1984 के लोकसभा चुनाव में राजीव गांधी के सामने संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी ने चुनाव लड़ा. संजय के देहांत के बाद दोनों परिवारों में कड़वाहट बढ़ गई थी. हालांकि इंदिरा गांधी की हत्या की वजह से जनता की सहानुभूति राजीव गांधी के साथ थी. इसलिए उन्होंने 3 लाख वोटों के भारी अंतर से मेनका गांधी को हरा दिया.
फिलहाल बीजेपी का पलड़ा भारी
अमेठी लोकसभा क्षेत्र में असेंबली की 5 सीटें आती हैं. ये पांचों सीटें अलग-अलग जिलों से जुड़ी हैं. इनमें अमेठी जिले की तिलोई सीट, जगदीशपुर (एससी), गौरीगंज और अमेठी सीट, जबकि रायबरेली की सैलून (सीट) शामिल हैं. इनमें से 4 सीटों पर बीजेपी और एक पर सपा का कब्जा है.
अमेठी सीट का जातीय समीकरण
अमेठी लोकसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां पर वोटर्स की संख्या करीब 18 लाख है. इनमें सबसे ज्यादा तादाद दलित वोटर्स की है, जिनकी आबादी करीब 26 फीसदी है. इनके अलावा करीब 20 फीसदी मुस्लिम, 18 प्रतिशत ब्राह्मण, 11 प्रतिशत क्षत्रिय हैं. इस सीट पर 10 प्रतिशत कुर्मी- लोध और 16 फीसदी मौर्य- यादव हैं. जो किसी भी प्रत्याशी की हार जीत में अहम भूमिका निभाते हैं.
अमेठी लोकसभा सीट का इतिहास
वर्ष | विजेता | पार्टी |
2019 | स्मृति ईरानी | बीजेपी |
2014 | राहुल गांधी | कांग्रेस |
2009 | राहुल गांधी | कांग्रेस |
2004 | राहुल गांधी | कांग्रेस |
1999 | सोनया गांधी | कांग्रेस |
अमेठी लोकसभा 2024
पार्टी | उम्मीदवार | मिले वोट | रिजल्ट |
बीजेपी | स्मृति ईरानी | ||
कांग्रेस | |||
बसपा | |||
अन्य |