यूपी की अमेठी लोकसभा सीट कभी कांग्रेस का अजेय दुर्ग कही जाती थी, जिसे कांग्रेस उम्मीदवार के अलावा कोई और नहीं जीत सकता था. कांग्रेस ने इस सीट पर 1977 से 2019 तक लगातार कब्जा बनाए रखा. यह सीट कांग्रेस के लिए ही नहीं बल्कि नेहरू- गांधी परिवार के लिए बेहद खास रही है. इसी सीट से गांधी परिवार के कई नेताओं ने राजनीति में अपना डेब्यू किया. अमेठी सीट से संजय गांधी एक बार, राजीव गांधी 4 बार, सोनिया गांधी एक बार और राहुल गांधी 3 बार इलेक्शन जीते. लेकिन वर्ष 2019 में अमेठी सीट पर कुछ ऐसा हुआ कि कांग्रेस और गांधी परिवार हिलकर रह गया और उस सदमे से आज तक बाहर नहीं निकल पाया है. अमेठी लोकसभा क्षेत्र में असेंबली की 5 सीटें आती हैं. ये पांचों सीटें अलग-अलग जिलों से जुड़ी हैं. इनमें अमेठी जिले की तिलोई सीट, जगदीशपुर (एससी), गौरीगंज और अमेठी सीट, जबकि रायबरेली की सैलून (सीट) शामिल हैं. इनमें से 4 सीटों पर बीजेपी और एक पर सपा का कब्जा है.अमेठी लोकसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां पर वोटर्स की संख्या करीब 18 लाख है. इनमें सबसे ज्यादा तादाद दलित वोटर्स की है, जिनकी आबादी करीब 26 फीसदी है. इनके अलावा करीब 20 फीसदी मुस्लिम, 18 प्रतिशत ब्राह्मण, 11 प्रतिशत क्षत्रिय हैं. इस सीट पर 10 प्रतिशत कुर्मी- लोध और 16 फीसदी मौर्य- यादव हैं. जो किसी भी प्रत्याशी की हार जीत में अहम भूमिका निभाते हैं.
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