Damoh Loksabha Seat Elections News 2024: दमोह लोकसभा सीट बीजेपी का मजबूत गढ़ मानी जाती है. पिछले 8 लोकसभा चुनावों से पार्टी यहां से लगातार जीत हासिल करती आ रही है. इस लोकसभा सीट पर दमोह के अलावा सागर जिले की 3 और छतरपुर जिले की एक विधानसभा सीट आती है.
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Damoh Loksabha Seat Chunav: दमोह लोकसभा क्षेत्र 1962 में पहली बार अस्तित्व में आया. शुरुआती सालों में, बाहरी उम्मीदवारों का ही दबदबा रहा. 1980 में, प्रभु नारायण टंडन, स्थानीय प्रत्याशी के रूप में, पहली बार जीत हासिल करने में सफल रहे. उनके बाद, डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया, चंद्रभान सिंह और शिवराज सिंह लोधी जैसे स्थानीय प्रत्याशियों ने भी जीत हासिल की. पहले, दमोह-पन्ना नाम से जाना जाने वाला यह क्षेत्र, दमोह, पन्ना और छतरपुर की आठ विधानसभा सीटों को शामिल करता था. 2009 में, परिसीमन के बाद, दमोह, छतरपुर और सागर जिले की विधानसभा सीटों को मिलाकर, नए दमोह लोकसभा क्षेत्र का निर्माण किया गया.
यह क्षेत्र, अपनी समृद्ध विरासत और विविधता के लिए जाना जाता है. यहाँ, प्राचीन मंदिरों से लेकर, खूबसूरत नदियों तक, और हरा-भरा जंगलों तक, सब कुछ मौजूद है. दमोह के लोग, अपनी वीरता और आतिथ्य के लिए भी प्रसिद्ध हैं.
सांसदों ने बाद में विधायकी का भी चुनाव लड़ा..
असल में पिछले कुछ दशकों में, दमोह लोकसभा क्षेत्र ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. लेकिन, हर बार, यहां के लोगों ने एकजुट होकर मतदान किया. यहां के कई सांसद खूब चर्चा में रहे हैं और इस सीट की ख़ास बात रही कि यहां के सांसदों ने बाद में विधायकी का भी चुनाव लड़ा. तजा उदाहरण प्रहलाद पटेल का भी है जो मौजूदा सांसद रहे और फिर एमपी विधानसभा चुनाव में जीतकर राज्य में मंत्री बने. रामकृष्ण कुसमरिया का भी नाम इसमें शामिल है.
शुरुआत में दमोह सीट पर कांग्रेस पार्टी की पकड़ अत्यधिक मजबूत थी. लेकिन 1989 में लोकसभा चुनाव के बाद, दमोह सीट पर भाजपा ने जीत हासिल की. इस जीत से बीजेपी का सफर शुरू हो गया, जो 2019 तक जारी है.
पहले चुनाव यानि कि 1962 में यह सीट अनुसूचित जाति के आरक्षित थी और कांग्रेस की सहोद्राबाई विजयी हुईं. 1967 के चुनाव में सीट सामान्य हो गई और कांग्रेस के मणिभाई पटेल जीते. 1971 के चुनाव में भी कांग्रेस जीती. फिर 1977 से पासा थोड़ा पलट गया. और यहां से जनता पार्टी के प्रत्याशी ने जीत हासिल की. 1980 और 1984 में कांग्रेस फिर जीती. इसके बाद शुरू हुआ बीजेपी का सफर. 1989 में बीजेपी को पहली जीत मिली और लोकेंद्र सिंह सांसद बने.
रामकृष्ण कुसमरिया लगातार चार बार जीते चुनाव
1991 में बीजेपी के रामकृष्ण कुसमरिया जीते और अगले तीन लोकसभा चुनाव 1996, 1998 और 1999 में लगातार जीत दर्ज की. साल 2004 में भी भाजपा ने विजय हासिल की और चंद्रभान भैया सांसद बने. इसके बाद साल 2009 में भी भाजपा को जीत मिली और शिवराज सिंह सासंद बने.
प्रहलाद पटेल दो बार जीते, केंद्रीय मंत्री बने..
2014 में प्रहलाद पटेल ने भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. प्रहलाद पटेल ने 2019 के आम चुनाव में भी अपनी सांसदी बरकरार रखते हुए भाजपा को जीत दिलाई. वे मोदी सरकार में मंत्री भी बने.
जब सिटिंग सांसद की चर्चा सीएम बनने की चली
यह मजेदार है कि आखिरी बार इस सीट से सांसद रहे प्रहलाद पटेल की चर्चा मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत के बाद सीएम बनने की भी चली लेकिन आखिरकार मोहन यादव सीएम बने और प्रहलाद पटेल एमपी में मंत्री बने.
फिलहाल दमोह लोकसभा सीट पर अब तक कुल 15 आम चुनाव हुए हैं, जिनमें से 5 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है, जबकि 9 बार बीजेपी जीती है, इसके अलावा एक बार जनता पार्टी के प्रत्याशी को जीत मिली थी. लगातार 9 चुनाव जीतकर बीजेपी यहां मजबूत होती चली गई.
लोधी बाहुल्य सीट..
दमोह सीट पर लोधी, कुर्मी वर्ग यानि ओबीसी यहां 22.4 प्रतिशत के आसपास है, इसके अलावा वैश्य, जैन यानि सवर्ण 7 प्रतिशत के आसपास माने जाते हैं, जबकि ब्राहमण-राजपूत 10 प्रतिशत हैं, वहीं आदिवासी वर्ग 9.6 प्रतिशत हैं, जबकि यादव मतदाता भी 5.7 प्रतिशत हैं. 82.01 प्रतिशत से ज्यादा आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, जबकि 17.99 प्रतिशत के आसपास की आबादी शहरी है.
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साल | विजयी उम्मीदवार | पार्टी |
1952 | ||
1957 | ||
1962 | Sahodrabai Rai | Congress |
1967 | Manibhai J. Patel | Congress |
1971 | Varah Giri Shanker Giri | Congress |
1977 | Narendra Singh Yadvendra Singh | Janata Party |
1980 | Prabhunarayan Ramdhan | Congress (I) |
1984 | Dal Chandra Jain | Congress |
1989 | Lokendra Singh | BJP |
1991 | Ramkrishna Kusmaria | BJP |
1996 | Ramkrishna Kusmaria | BJP |
1998 | Ramkrishna Kusmaria | BJP |
1999 | Ramkrishna Kusmaria | BJP |
2004 | Chandrabhan Bhaiya | BJP |
2009 | Shivraj Lodhi | BJP |
2014 | Prahlad Patel | BJP |
2019 | Prahlad Patel | BJP |
2024 |
2024 का समीकरण क्या है?
फिलहाल अभी तक दोनों तरफ से उम्मीदवारों का ऐलान होना बाकी है. 2019 में प्रहलाद पटेल यहां से दूसरी बार जीते थे, अब वे विधायक हैं. उन्होंने पिछली बार कांग्रेस ने प्रताप सिंह लोधी को हराया था. बीएसपी ने भी लोकगायक जित्तू खरे को चुनाव लड़वाया था, लेकिन हार गए थे. अब देखना है कि इस बार क्या समीकरण बनेगा.
Candidates In 2024 | Party | Votes | |
BJP | |||
Congress | |||
BSP | |||
SP | |||