Om Prakash Rajbhar Statement On Hanuman: उत्तर प्रदेश के मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने एक बार फिर अपने विवादित और चौंकाने वाले बयान से सियासी माहौल गरमा दिया है. इस बार उन्होंने भगवान हनुमान को अपनी जाति 'राजभर' से जोड़ दिया है.
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Om Prakash Rajbhar Statement On Hanuman: उत्तर प्रदेश के मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने एक बार फिर अपने विवादित और चौंकाने वाले बयान से सियासी माहौल गरमा दिया है. इस बार उन्होंने भगवान हनुमान को अपनी जाति 'राजभर' से जोड़ दिया है. राजभर का दावा है कि हनुमान जी राजभर जाति में पैदा हुए थे और उन्होंने अपने 87समाज को बजरंगबली से जोड़ने के लिए कई तर्क दिए. आइये जानते हैं उनके इस बयान का पूरा मामला...
हनुमान जी 'भर वानर' थे...
ओमप्रकाश राजभर ने दावा किया है कि भगवान हनुमान 'भर वानर' थे, जो राजभर जाति का हिस्सा हैं. उन्होंने कहा कि हनुमान जी का जन्म राजभर जाति में हुआ था और उनके समाज के लोग आज भी उन्हें वानर कहकर संबोधित करते हैं. राजभर ने यह भी जोड़ा कि उनके समाज के लोग ताकतवर होते हैं, और इसका प्रमाण उन्होंने हनुमान जी के अहिरावण वध की कहानी से दिया.
हनुमान जी और राजभर जाति का कनेक्शन
राजभर ने अपने बयान में भगवान हनुमान को राजभर समाज से जोड़ने के लिए कई तर्क दिए. उन्होंने कहा कि हनुमान जी का जीवन और उनके कार्य इस बात का प्रमाण हैं कि वे राजभर जाति से थे. अहिरावण वध का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि हनुमान जी ने अपनी ताकत और बुद्धिमानी से समाज को दिशा दी.
सियासत में भगवान का जातिकरण
यह पहली बार नहीं है जब भगवान हनुमान का जातिकरण किया गया है. इससे पहले भी कई नेताओं ने भगवान हनुमान को किसी विशेष जाति या वर्ग से जोड़ने की कोशिश की है. लेकिन ओमप्रकाश राजभर ने इस बार इसे और एक कदम आगे बढ़ाते हुए अपने पूरे समाज को बजरंगबली का वंशज बता दिया है.
राजभर का तर्क-वितर्क और सियासी मकसद
ओमप्रकाश राजभर अक्सर अपने अजीबो-गरीब बयानों के लिए जाने जाते हैं. उनका यह बयान भी सियासी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें वे अपने समाज को खुश करने और उनके समर्थन को मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं. राजभर ने कहा कि हनुमान जी का साहस और ताकत उनके समाज की पहचान है.
हनुमान जी के नाम पर सियासी खेल
भगवान हनुमान का नाम सियासत में कई बार इस्तेमाल किया गया है. लेकिन इस बार राजभर ने इसे एक अलग स्तर पर ले जाकर अपनी जाति और भगवान के बीच सीधा संबंध जोड़ दिया है. उनके इस बयान पर सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
धार्मिक और सामाजिक विशेषज्ञों का मानना है कि भगवान को किसी जाति या वर्ग से जोड़ना उचित नहीं है. यह न केवल समाज को बांटने का काम करता है, बल्कि धार्मिक भावनाओं को भी आहत कर सकता है.